Saturday, 20 April 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

क्या देश के कानून से ऊपर समझ रहा अपने को क्रिकेट बोर्ड?

जनता जनार्दन संवाददाता , Sep 01, 2011, 13:00 pm IST
Keywords: BCCI   Sports bill   Parliament   Autonomous Body    RTI act   Doping tests   Cricketers   Ajay Makan   बीसीसीआई   भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड   अजय माकन   आरटीआई   छूट   सरकारी मदद   
फ़ॉन्ट साइज :
क्या देश के कानून से ऊपर समझ रहा अपने को क्रिकेट बोर्ड? नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के विरोध के चलते राष्ट्रीय खेल विधेयक के पटरी से उतरने से खिन्न केंद्रीय खेल मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अजय माकन ने बुधवार को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के अंतर्गत आने से इंकार करने के मुद्दे पर बीसीसीआई को जमकर लताड़ लगाई।

माकन ने कहा कि बीसीसीआई भले ही कह रही हो कि उसका खर्चा सरकारी मदद के बगैर चलता है लेकिन यह सच नहीं है क्योंकि उसे सरकार से कर में छूट मिलती है, जो एक लिहाज से सरकारी मदद ही है।

माकन का यह बयान उनके द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल अधिनियम को कैबिनेट द्वारा नकारे जाने के एक दिन बाद आया है। कांग्रेस ने हालांकि इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से परहेज किया।

माकन ने कहा, "बीसीसीआई ने कहा है कि उसे सरकारी मदद नहीं मिलती, लिहाजा वह आरटीआई के अंतर्गत नहीं आना चाहती। आखिर इसका क्या मतलब है? बीसीसीआई अपरोक्ष रूप से सरकार से मदद पा रही है। करों में छूट क्या है? उसे जो जमीन मिलती है, वह क्या है? फिरोजशाह कोटला के लिए बीसीसीआई ने कितनी रकम अदा की है?"

"बीसीसीआई को मनोरंजन कर नहीं देना पड़ता। साथ ही साथ वह मैचों के आयोजन को लेकर सरकार को सुरक्षा के लिए भुगतान नहीं करती। यही नहीं, उसे स्टेडियमों के निर्माण के लिए मिलने वाली जमीन अमूमन मुफ्त की होती है।"

"इस लिहाज से लोगों को यह जानने का अधिकार है कि उसके अंदर क्या चल रहा है। लोगों को कुछ बातें जानने का अधिकार है क्योंकि बीसीसीआई जो टीम तैयार करती है, वह अंतत: देश के लिए खेलती है।"

माकन ने कहा कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा कि खेल महासंघ या फिर बीसीसीआई सरकार को अपने कामकाज का ब्योरा दें। इन खेल महासंघों को लोगों के प्रति जवाबदेह होना होगा।

बकौल माकन, "हम महासंघों को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि उनका कामकाज पारदर्शी और स्तरीय हो। हम चाहते हैं कि खेल महासंघ आरटीआई के अंतर्गत आएं और साथ ही उनके अधिकारियों के चयन के लिए उम्र सीमा का पालन हो।"

इस बीच, कांग्रेस राष्ट्रीय खेल विधेयक का बीसीसीआई और कुछ केंद्रीय मंत्रियों द्वारा नकारे जाने पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस सम्बंध में कैबिनेट द्वारा लिया गया फैसला नीति निर्धारण की साधारण प्रक्रिया और गोपनीयता से जुड़ा है। सिंघवी ने कहा कि उन्होंने इस सम्बंध में मीडिया रिपोर्ट पढ़ी है लेकिन वह इस सम्बंध में कुछ बयान नहीं दे सकते।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि शरद पवार (आईसीसी अध्यक्ष), प्रफुल्ल पटेल (एआईएफएफ अध्यक्ष), फारुख अब्दुल्ला (जम्मू एवं कश्मीर क्रिकेट संघ अध्यक्ष) और सी.पी. जोशी (राजस्थान क्रिकेट संघ अध्यक्ष) ने खेल महासंघों को नियंत्रित करने के प्रस्ताव के साथ पेश किए गए राष्ट्रीय खेल विधेयक को नकार दिया।

इन सबका मत है कि इस अधिनियम के माध्यम से खेल मंत्रालय राष्ट्रीय खेल संघों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। खेल मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अजय माकन ने कैबिनेट के इस फैसले के बाद इस विधेयक को वापस ले लिया।

कैबिनेट ने माकन से इस विधेयक पर नए सिरे से काम करने को कहा है। इस बारे में माकन ने हालांकि बुधवार को अपनी स्थिति साफ कर दी लेकिन कांग्रेस पार्टी इसे लेकर बचती रही।
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल