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साल 2022 की आखिरी अमावस्या कब है? पितृ पक्ष के लिए है बेहद खास

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 15, 2022, 17:44 pm IST
Keywords: Paush Amavasya 2022   पितृ दोष   हिंदू धर्म   पौष माह   पौष अमावस्या   गंगाजल  
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साल 2022 की आखिरी अमावस्या कब है? पितृ पक्ष के लिए है बेहद खास

 हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का खास महत्व है. साल खत्म होने की कागार पर है. ऐसे में साल के आखिर में 23 दिसंबर के दिन पौष माह की अमावस्या तिथि पड़ रही है. इस दिन पितरों की आत्मा की शाति के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि किया जाता है. शास्त्रों में पौष माह को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है. कहते हैं कि इस माह में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पुण्य कर्म आदि करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष माह की अमावस्या तिथि को पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, श्राद्ध और तर्पण जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि शनि दोष औप पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितरों का श्राद्ध कर्म करने से लाभ होता है. जानें पौष माह अमावस्या का महत्व और मुहूर्त आदि. 

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष अमावस्या तिथि 22 दिसंबर की शाम 7 बजकर 13 मिनट से शुरू हो रही है और 23 दिसंबर दोपहर 03 बजकर 46 मिनट कर रहेगी. 

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि पर स्नान-दान का खास महत्व बताया जाता है. ऐसे में पौष अमावस्या के दिन सुबह सवेरे किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. अगर आपके लिए ऐसा मुमकिन न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें. इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें. तांबे के लोटे में जल ले कर सूर्य भगवान को अर्घ्य अर्पित करें. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. कहते हैं कि इस दिन गरीब, दुखी और जरूरतमंद लोगों की मदद करें. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं. 

अमावस्या तिथि पर पितृ दोष से मुक्ति के लिए कुछ उपायों को करने की सलाह दी जाती है. पौष अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए दूध, चावल की खीर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर पितरों की निमित्त खीर का भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के बाद हाथ में थोड़ा सा पानी लें और दाएं हाथ की तरफ छोड़ दें. इसके साथ ही, एक लोटे में जल भरकर उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ अर्पित करें. .

इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि पितरों के प्रसन्न रहने से घर परिवार और आने वाली पीढ़ियों पर कभी संकट नहीं आता. साथ ही, घर में हमेशा सुख-समृद्धि का वास होता है. 

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