अमर रही नेताजी मुलायम सिंह यादव की दोस्ती, आखिरी दम तक निभाया साथ

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 11, 2022, 13:32 pm IST
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अमर रही नेताजी मुलायम सिंह यादव  की दोस्ती, आखिरी दम तक निभाया साथ आज कुछ घंटों बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार किया जाएगा और वह पंचतत्व में विलीन हो जाएंगे. इसके बाद लोगों के पास सिर्फ उनकी यादें रह जाएंगी. नेताजी को जानने वालों और उनके दोस्तों के पास उनसे जुड़ी कई अच्छी यादें हैं. उन्हें करीब से जानने वाले कहते हैं कि वह जिससे दोस्ती करते थे उसे पूरी तरह निभाते थे. राजनीति के मैदान में ही उनके अपने दल के अलावा विरोधी दलों में भी कई ऐसे नेता रहे हैं जिनसे उनकी दोस्ती अटूट रही है. आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी ही दोस्ती के किस्से.

आज कुछ घंटों बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार किया जाएगा और वह पंचतत्व में विलीन हो जाएंगे. इसके बाद लोगों के पास सिर्फ उनकी यादें रह जाएंगी. नेताजी को जानने वालों और उनके दोस्तों के पास उनसे जुड़ी कई अच्छी यादें हैं. उन्हें करीब से जानने वाले कहते हैं कि वह जिससे दोस्ती करते थे उसे पूरी तरह निभाते थे. राजनीति के मैदान में ही उनके अपने दल के अलावा विरोधी दलों में भी कई ऐसे नेता रहे हैं जिनसे उनकी दोस्ती अटूट रही है. आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी ही दोस्ती के किस्से.

जनेश्वर मिश्र को छोटे लोहिया कहा जाता था. जनेश्वर मुलायम सिंह यादव से पहले राजनीति में आए थे. बात 1967 की है, तब मुलायम सिंह यादव पहली बार चुनाव लड़ रहे थे, उस दौरान उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार कराने के लिए जनेश्वर मिश्र से संपर्क किया. यहीं से दोनों की दोस्ती शुरू हुई औऱ आखिरी दम तक बनी रही. जनेश्वर ने हमेशा मुलायम का साथ दिया. वहीं मुलायम ने भी उन्हें पूरा सम्मान दिया. जब समाजवादी पार्टी का गठन हुआ तो उन्हें मुलायम सिंह यादव ने उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी. यही नहीं अखिलेश यादव को राजनीति में उतारने से पहले मुलायम सिंह यादव ने उनकी ट्रेनिंग जनेश्वर मिश्र से ही कराई थी.

आजम खान संग मुलायम सिंह यादव की दोस्ती को कौन नहीं जानता है. दोनों की दोस्ती कई बार मतभेद के बाद भी लंबे समय तक बनी रही. हालांकि 27 साल की दोस्ती में 2009 में थोड़ी रुकावट भी आई. तब उन्होंने अमर सिंह की वजह से सपा का साथ छोड़ दिया था. मुलायम से उनकी दूरी की वजह अमर सिंह और कल्याण सिंह को ही माना गया, लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी कभी आजम खान ने मुलायम सिंह के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला. वहीं मुलायम सिंह यादव भी उन्हें खूब सपोर्ट करते थे. जब 2010 में आजम खान सपा में वापस आए तो दोनों की आंखों में आंसू आ गए थे.

एक समय था कि अमर सिंह समाजवादी पार्टी का चेहरा बन गए थे. उद्योगपति अमर सिंह को मुलायम सिंह यादव ने पार्टी में बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए उन्हें महासचिव बना दिया था. दोनों की दोस्ती कुछ साल में ही इतनी मजबूत हो गई कि पार्टी के हर कार्यक्रम में दोनों साथ नजर आते थे. मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह को पूरी छूट दे रखी थी. इसकी वजह से आजम खान के अलावा राज बब्बर, बेनी प्रसाद वर्मा और कई अन्य बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, लेकिन मुलायम ने अमर सिंह का साथ नहीं छोड़ा. काफी विरोध के बाद 2010 में अमर सिंह को सपा से बाहर किया गया, लेकिन यह मुलायम की दोस्ती ही थी कि इसके बाद भी वह अमर सिंह को फिर से सपा में लाए और उन्हें राज्यसभा भी भेजा.

कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में लगभग एक साथ ही कदम रखा था. दोनों अलग-अलग पार्टी से संबंध रखते थे और दोनों के बीच वैचारिक मतभेद भी थे, लेकिन इनसे अलग इनके बीच दोस्ती भी गजब की थी. जब कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी तो वह मुलायम सिंह के और नजदीक आ गए थे. मुलायम सिंह यादव ने उन्हें उस दौरान आगरा में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में अपने साथ मंच साझा करने का मौका दिया.

मुलायम सिंह यादव के बेनी प्रसाद वर्मा से भी अच्छे संबंध थे. नेताजी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए चौधरी चरण सिंह से पैरवी करने वालों में बेनी प्रसाद वर्मा ही थे. यही नहीं, जब मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी बनाने की तैयारी में थे तब भी बेनी प्रसाद वर्मा ने उनका खूब साथ दिया था, लेकिन पद और टिकट की वजह से दोनों के रिश्तों में दूरी आई. बेनी प्रसाद वर्मा ने मुलायम को लेकर काफी बुरा भला कहा, लेकिन मुलायम सिंह यादव ने कभी भी उनको लेकर कुछ गलत नहीं कहा. 2008 में बेनी प्रसाद वर्मा कांग्रेस में चले गए थे. लेकिन यह मुलायम सिंह यादव की दोस्ती ही थी कि वह उन्हें फिर से सपा में लाए और 2016 में उन्हें राज्यसभा भेजा.

बृजभूषण तिवारी डॉ. राम मनोहर लोहिया के साथी थे. इनकी मुलायम सिंह से बहुत अच्छी दोस्ती रही. बृजभूषण ने मुलायम का हर कदम पर साथ दिया था. बात चाहे 1989 में मुख्यमंत्री बनने की हो या फिर 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन की. हर बार बृजभूषण मुलायम के साथ नजर आए. 1991 में मोहसिना किदवई चुनाव लड़ रही थी और बृजभूषण तिवारी के खिलाफ उनका पलड़ा भारी था. उन्होंने मुलायम सिंह यादव से मदद मांगी. मुलायम सिंह ने वहां एक रैली करके मुसलमानों का मूड बदल दिया और बृजभूषण तिवारी अच्छे मार्जिन से चुनाव जीते.

जब समाजवादी पार्टी में अमर सिंह का बोलबाला था तब वह पार्टी में अमिताभ बच्चन की बत्नी जया बच्चन को लेकर आए. बाद में बेशक अमर सिंह पार्टी से किनारे कर दिए गए, लेकिन जया बच्चन आज भी पार्टी से जुड़ी हैं. मुलायम सिंह यादव और अमिताभ बच्चन परिवार के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे. मुलायम सिंब यादव ने हमेशा दोस्ती निभाई और जया बच्चन को पार्टी में उचित स्थान दिया.

इन सबके अलावा मुलायम सिंह यादव की दोस्ती कई और नेताओं से भी कमाल की थी. इनमें नारायण दत्त तिवारी, परसनाथ, अंबिका, बलराम, किरणमय नंदा, रेवती रमण, राजेंद्र चौधरी और मोहन सिंह आदि प्रमुख थे.  
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