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दही, लस्सी पर जीएसटी लगाने का फैसला किसका था?

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 26, 2022, 16:08 pm IST
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दही, लस्सी पर जीएसटी लगाने का फैसला किसका था? जीएसटी बैठक के बाद वित्त मंत्री की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, 18 जुलाई से कई चीजों के दाम बढ़ गए हैं, जिसे लेकर लगातार विरोध हो रहा है. अब सरकार ने इस पर नया बयान दिया है. आटा,चावल, दाल जैसी चीजों पर जीएसटी को लेकर लोगों लोगों में हो रहे सवाल-जवाब के बीच सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि अनाज, दही, लस्सी सहित विभिन्न वस्तुओं पर माल और सेवा कर (GST) लगाए जाने का हालिया फैसला विभिन्न राज्यों के मंत्रियों के समूह (GOM) ने सर्वसम्मति से लिया था.

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने अपने जवाब में बताया कि जीएसटी परिषद की लखनऊ में हुई 45वीं बैठक में विभिन्न राज्यों के मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) बनाने का फैसला किया गया था. चौधरी ने कहा कि उस जीओएम में कर्नाटक, बिहार, केरल, गोवा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के मंत्री शामिल थे. उन्होंने यह भी कहा कि यह जीओएम सर्वसम्मति से फैसले लेता है.

दरअसल, इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने सवाल किया था कि हाल ही में जिस बैठक में अनाज, दही, लस्सी आदि पर जीएसटी लगाए जाने का फैसला हुआ, क्या उसमें विपक्षी दलों द्वारा शासित दिल्ली, केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के मंत्री मौजूद थे. उन्होंने यह सवाल भी किया कि क्या इन प्रदेशों ने बैठक में इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने का विरोध किया था या असहमति जताई थी.

पंकज चौधरी ने कहा कि फैसला करने वाले समूह में शामिल लोगों की स्वीकृति से ही फैसला लिया गया. इतना ही नहीं, उन्होंने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाए जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि इस तरह के फैसले जीएसटी परिषद लेती है और उसमें यह प्रस्ताव आया था.

पंकज चौधरी ने कहा, ‘प्रस्ताव पर अभी विचार किया जा रहा है.' भाजपा सदस्य अशोक बाजपेयी ने सवाल किया था कि क्या ‘एक देश, एक मूल्य’ के सिद्धांत के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर समान जीएसटी लागू किया जाएगा.

वित्त मंत्री ने इससे पहले ट्वीट कर यह बात कही थी, 'क्या यह पहली बार है जब इस तरह के खाद्य पदार्थों पर कर लगाया जा रहा है? नहीं, राज्य सरकारें GST से पहले की व्यवस्था में खाद्यान्न से काफी राजस्व एकत्र कर रहे थे. अकेले पंजाब ने पर्चेज टैक्स के रूप में खाद्यान्न पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का संग्रह किया. यूपी ने ₹700 करोड़ जुटाए.

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