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कनाडा की महिला सैनिकों को दुश्मनों से ज्यादा अपनों से है खतरा

जनता जनार्दन संवाददाता , Jun 02, 2022, 15:32 pm IST
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कनाडा की महिला सैनिकों को दुश्मनों से ज्यादा अपनों से है खतरा कनाडा में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कनाडा सरकार जहां अभी तक पड़ोसी देश अमेरिका के हैंडगन कल्चर के कनाडा पर बढ़ते असर से परेशान थी, वहीं अब कनाडाई सशस्त्र बलों (सीएएफ) को लेकर आई एक रिपोर्ट से वहां भारी बवाल मच रहा है. इस रिपोर्ट ने सरकार की परेशानी भी बढ़ा दी है. दरअसल, यौन हिंसा पर आई एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा की महिला सैनिकों को दुश्मनों की तुलना में अपने साथियों से ज्यादा खतरा है. 404 पन्नों की इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश लुईस आर्बर ने लिखा है. इसे आर्बर रिपोर्ट भी कहा जाता है. इसमें और भी बहुत कुछ कहा गया है.

इस रिपोर्ट में यौन हिंसा, भेदभाव, स्त्री द्वेष और आघात को संबोधित करने में सीएएफ की विफलताओं को दर्शाया गया है. है, जिसे मुख्य रूप से वर्षों से सेना की महिला सदस्यों द्वारा अनुभव किया गया था. इस रिपोर्ट में आर्मी में सेक्स क्राइम पर विस्तार से बात की गई है.

बता दें कि फ़रवरी 2021 में ग्लोबल न्यूज़ ने कनाडा आर्मी में सेक्स क्राइम पर पहली रिपोर्ट छापी थी. इसके बाद कई और पीड़ित सामने आईं. इसके बाद तत्कालीन रक्षामंत्री हरजीत सज्जन ने मामले की समीक्षा कराने की जिम्मेदारी कनाडा सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस लुईस आर्बर को दी. उन्हें समीक्षा के दौरान और भी कई चीजें पता करने की जिम्मेदारी दी गई. जैसे मिलिटरी में लगातार हो रहे सेक्स क्राइम की वजह क्या है, पीड़िता अपने साथ हुए क्राइम के बारे में क्यों नहीं बताते, पीड़िता के सामने किस तरह की दिक्कतें आती हैं

आर्बर ने मामले की पूरी पड़ताल की और अपनी रिपोर्ट में लिखा कि, "यौन दुराचार के मामलों में सीएएफ का नेतृत्व बहुत खराब है. जिस मॉडल के तहत सीएएफ काम कर रहा है, उससे इसकी महिला सदस्यों को दुश्मन की तुलना में अपने साथियों से अधिक खतरा है. दिन-प्रतिदिन के आधार पर नुकसान का खतरा अधिक होता है. यह कनाडा की सेना में यौन हिंसा के आरोपों की जांच करने वाली तीसरी बड़ी रिपोर्ट है.

इस रिपोर्ट में 1992 के एक मामले का जिक्र किया गया है. उस वक्त नौसेना में तैनात डॉन मैक्इलमोयल के साथ एक साथी कर्मी ने रेप किया था. घटना में कुछ चश्मदीद भी थे, लेकिन वह सामने नहीं आए. घटना के वक्त वक्त उनकी उम्र 19 साल थी. जब मैकइलमोयल ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो उन पर उल्टा राष्ट्रीय रक्षा अधिनियम के तहत मेल फ्लोर पर होने का आरोप लगाया गया. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दर्द से कई पीड़ित गुजर चुकी हैं. यही वजह है कि अब सीएएफ में बदलाव की जरूरत है.
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