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चुनाव आचार संहिता क्या होती है? जानें पूरा नियम

जनता जनार्दन संवाददाता , Jan 11, 2022, 20:17 pm IST
Keywords: Model Code of Conduct Explainer   चुनाव आयोग   विधान सभा चुनाव उत्तर प्रदेश   पंजाब   उत्तराखंड   गोवा   
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चुनाव आचार संहिता क्या होती है? जानें पूरा नियम चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव का ऐलान कर दिया है. सभी राज्यों में मतदान और नतीजों की तारीख भी घोषित कर दी गई है. आगामी विधान सभा चुनाव उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में 10 फरवरी से 07 मार्च के बीच होना तय है. यूपी में 7 चरणों में मतदान होगा, मणिपुर में दो चरणों में. और सभी राज्यों में 14 फरवरी को मतदान होगा.

चुनाव की घोषणा के साथ ही पांचों राज्यों में अब चुनाव आचार संहिता लागू है. चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई गतिविधियों पर पाबंदी लग जाती है. ये पाबंदियां सिर्फ उम्मीदवार, सियासी दल या नेता के लिए ही नहीं बल्कि आम नागरिकों के लिए भी होती हैं. ऐसे में आपको आचार संहिता के नियमों की पूरी जानकारी होनी चाहिए. आइये आपको आचार संहिता के नियमों के बारे में बताते हैं जिससे आप दंडात्मक कार्रवाई से बच सकें.


1. सार्वजनिक उद्घाटन और शिलान्यास पर रहता है बैन.
2. किसी भी नए काम या योजना स्वीकृति पर मनाही.
3. सरकार अपनी उपलब्धियों के होर्डिंग्स नहीं लगा सकती.
4. सरकारी वाहनों से निकाल दिए जाते हैं सायरन.
5. सरकारी भवनों में पीएम, सीएम, मंत्री, राजनीतिक व्यक्तियों की तस्वीरों पर होती है मनाही.
6. सरकार अपनी उपलब्धियों के विज्ञापन मीडिया में नहीं दे सकती.
7. रिश्वत लेना या देना माना जाएगा अपराध.
8. सोशल मीडिया पर कोई भी उन्मादी पोस्ट आपके लिए घातक साबित हो सकती है. आचार संहिता के नियमों के ध्यान में रखते हुए ही सोशल मीडिया पर किसी के बारे में लिखें.. या पोस्ट करें.

आचार संहिता का उल्लंघन आम आदमी के लिए भी घातक साबित हो सकता है. आचार संहिता वाले क्षेत्रों में चुनाव या उम्मीदवार से संबंधित कोई भी आपत्तिजनक गतिविधि आपको पुलिस हिरासत में भेज सकती है.

कोई दल या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं हो सकते जिससे जातियों और धार्मिक या भाषायी समुदायों के बीच पहले से मौजूद मतभेद और भी अधिक गंभीर हो जाए. नफरत फैलाने वाली या तनाव पैदा करने वाली गतिविधियों में हो सकती है दंडात्मक कार्रवाई.


वोट के लिए जाति या संप्रदाय की भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जा सकती. आचार संहिता के दौरान मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों और पूजा के अन्य स्थलों को चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

दल या उम्मीदवारों को प्रस्तावित सभा के लिए जगह और समय के बारे में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को काफी पहले ही सूचित करना होता है.

कोई भी सियासी दल या उम्मीदवार मतदाताओं को घूस नहीं दे सकता. अगर मतादाता घूस लेते पकड़ा गया तो भी यह अपराध माना जाएगा.

मतदाताओं को डराना-धमकाना भी होता है अपराध.

मतदान केंद्रों से 100 मीटर की दूरी में चुनाव प्रचार करने पर होती है मनाही.

मतदान समाप्त होने के 48 घंटों से पहले ही सार्वजनिक सभाएं आयोजित करने पर होती है मनाही.

मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन उपलब्ध कराना भी है अपराध.

कोई भी राजनैतिक दल या उम्मीदवार अपने कार्यकर्ताओं को किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी भूमि, भवन, परिसर की दीवारों इत्यादि पर झंडा लगाने, बैनर लटकाने, सूचना चिपकाने, नारा लिखने इत्यादि की अनुमति नहीं देगा.

किसी दल के कार्यकर्ता अन्‍य दल के कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए पोस्टर नहीं हटा सकते.

मतदाताओं को पहचान पर्ची सादे (सफ़ेद) कागज पर ही दी जाएगी. उस पर कोई प्रतीक, अभ्यर्थी का नाम या दल का नाम नहीं होगा.

मतदान के दिन और इससे 48 घंटे पहले शराब देने या बांटने पर रहता है प्रतिबंध.

मतदाताओं को छोड़कर ऐसा कोई व्यक्ति मतदान बूथ के भीतर प्रवेश नहीं करेगा जिसके पास निर्वाचन आयोग का कोई मान्य पास नहीं है.

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