श्री कृष्ण के जन्मदिवस पर क्यों है 56 भोग लगाने की परंपरा
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Aug 29, 2021, 19:47 pm IST
Keywords: भाद्रपद मास Janmashtami 2021 भगवान श्री कृष्ण यशोदा माता श्री कृष्ण
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. इस बार ये पर्व 30 अगस्त, सोमवार को मनाया जा रहा है. देशभर में जन्माष्टमी की धूम अभी से देखने को मिल रही है. लड्डू गोपाल के वस्त्र, गहने और पूजा के सामान से मार्केट अटा पड़ा है. लोगों में भी जन्माष्टमी को लेकर खासा क्रेज देखने को मिल रहा है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया था. फिर गोकुल भेज दिया गया था. जहां उनका जन्मोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया गया. जन्माष्टमी पर लोग व्रत रखते हैं. और रात्रि 12 बजे के बाद उन्हें स्नान करवा कर, नए वस्त्र और गहने पहनाए जाते हैं. इतना ही नहीं, कान्हा जी को तरह-तरह के व्यंजन का भोग लगाया जाता है. इस दिन कान्हा जी को 56 भोग लगाने की परंपरा का रिवाज है. क्या आप जानते हैं ये परंपरा कब शुरू हुई और उन्हें 56 भोग क्यों लगाए जाते हैं- 56 भोग लगाने की परंपरा कब शुरू हुई (56 bhog on janmashtami) ब्रजवासियों को ऐसा करता देखकर इंद्र को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गुस्से में तेज बारिश कर दी. सब जगह पानी-पानी हो गया. ऐसे में गांव वालों को इस कहर से बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली से उठा लिया और पूरे ब्रज की रक्षा की. भगवान श्री कृष्ण ने सात दिन तक अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर रखा और सात दिन तक कुछ नहीं खाया. आंठवे दिन बारिश रुकने पर उन्होंने ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकाला. सात दिन तक खाना न खाने के कारण माता यशोदा और अन्य ब्रजवासियों ने मिलकर भगवान श्री कृष्ण के लिए व्यंजन का प्रबंध किया. क्योंकि यशोदा माता श्री कृष्ण को एक दिन में आठ बार खाना खिलाती थी, इसलिए 7 दिन तक कुछ न खाने पर उन्हें 56 भोग का भोग लगाया गया (56 Bhog offered to krishna ji), जिसमें वे सभी चीजें शामिल की गईं जो श्री कृष्ण को पसंद थी. 56 भोग में शामिल होती हैं ये चीजें (these are the 56 things in bhog ) |
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