Social Drama Psychological Film Ray चार कहानियों के गुलदस्ते में सत्यजित रे की कलम की खुशबू

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 06, 2021, 13:53 pm IST
Keywords: Social Drama Psychological   Ray Film Review   Ray Film   Film And Entertenme   मस्तिष्क  
फ़ॉन्ट साइज :
Social Drama Psychological Film Ray चार कहानियों के गुलदस्ते में सत्यजित रे की कलम की खुशबू महान फिल्मकार और लेखक सत्यजित रे का यह जन्म शताब्दी वर्ष है. नेटफ्लिक्स इस मौके पर उन्हें याद करते हुए वेबसीरीज/एंथोलॉजी लेकर आया है. नाम है, रे. इसमें तीन फिल्म निर्देशकों ने अपनी-अपनी कलात्मकता के साथ रे की लिखी कहानियों को पर्दे पर उतारा है. औसतन 50-50 मिनिट की चार कहानियां सत्यजित रे के दौर से आगे बढ़ कर निर्देशकों ने हमारे समय में रची हैं. इसके लिए उन्होंने कुछ रचनात्मक छूट भी ली है.


मुख्य रूप से ये कहानियां मनुष्य के मन और मस्तिष्क में लगातार उमड़ने-घुमड़ने वाले विचारों पर केंद्रित है. कभी ये उसके स्वभाव को बताती हैं तो कभी उसके स्वार्थ को सामने लाती हैं. इनमें व्यंग्य की धार भी है. रे की खूबी है, इनके अभिनेता. पुरुष केंद्रित इन कहानियों में मनोज बाजपेयी, केके मेनन, हर्षवद्धन कपूर, अली फजल और गजराज राव अभिनय किया है. श्वेता बसु प्रसाद और राधिका मदान भी अपनी भूमिकाओं में जमी हैं.

श्रीजित मुखर्जी ने इस एंथोलॉजी की दो कहानियों की पुनर्रचना करते हुए उन्हें निर्देशित किया है. ‘फॉरगेट मी नॉट’ और ‘बहुरूपिया’. ‘फॉरगेट मी नॉट’ रईस इप्सित नायर (अली फजल) की कहानी है, जिसकी याददाश्त कंप्यूटर की तरह तेज है और वह कभी कुछ नहीं भूलता. लेकिन उसकी जिंदगी में अचानक एक लड़की आती है और बताती है कि कुछ समय पहले वे मिले थे. उन्होंने एक होटल में शानदार सप्ताह बिताया था. मगर इप्सित को कुछ याद नहीं. वह इसी याद की तलाश में अपने दिल-दिमाग को खंगालता है और उसकी जिंदगी उथल-पुथल हो जाती है. क्या है पूरा मामला?

वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल