कोरोना संक्रमण का एक और साइड इफेक्ट, 45 दिनों में कोरोना के पांच मरीजों में साइटोमेगालो वायरस
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jun 29, 2021, 16:49 pm IST
Keywords: साइटोमेगालो वायरस सर गंगाराम अस्पताल कोविड-19 इम्युनोकोपैन्क्रियाटिकोबिलरी साइंसेज Covid 19 Corona Virus Updates Covid Guideline
नई दिल्ली: दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में कोविड-19 मरीजों में साइटोमेगालो वायरस (सीएमवी) की वजह से मल के रास्ते में ब्लीडिंग के पांच मामले सामने आए हैं. कोविड-19 इम्युनोकोम्पेटेंट रोगियों में साइटोमेगालो वायरस के कारण होने वाली रेक्टल ब्लीडिंग के पांच मामलों की भारत में ये पहली रिपोर्ट है. पांच में से एक मरीज की मौत हो गई है. सर गंगाराम अस्पताल के डॉ अनिल अरोड़ा, चेयरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पैन्क्रियाटिकोबिलरी साइंसेज के मुताबिक पिछले 45 दिनों में कोरोना के पांच मरीजों में ये देखा गया है. ये सभी मरीज कोविड-19 के उपचार के 20 से 30 दिनों के बाद पेट में दर्द और मल में खून बहने की परेशानियों के साथ सर गंगा राम अस्पताल पहुंचे जो कि कोविड का संकेत नहीं है. उनमें से किसी के पास इस वायरल संक्रमण के लिए जिम्मेदार अन्य प्रतिरक्षात्मक स्थितियां नहीं थीं जैसे कि ट्रांसप्लांट, कैंसर, एड्स आदि के मरीजों में इम्यूनिटी कम होने से होती है. गंगाराम अस्पताल के मुताबिक 30-70 साल आयु वर्ग के पांच मरीजों के केस दिल्ली एनसीआर से थे. पांच मरीजों में से चार मल में खून बहने की परेशानियों और एक रोगी आंतों में रुकावट के कारण सर गंगा राम अस्पताल पहुंचा था. उनमें से दो को बहुत खून बह रहा था, एक मरीज को दाहिने तरफ कोलन की इमरजेंसी सर्जरी की तुरंत जरूरत थी. उनमें से एक मरीज ने कोविड से संबंधित अन्य समस्या के कारण दम तोड़ दिया. जबकि एक को सर्जरी की जरूरत पड़ी. वहीं, बाकी तीन मरीजों को एन्टी वायरल दवा से इलाज चल रहा है. डॉक्टरों के मुताबिक कोविड संक्रमण और इसके इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं खासकर स्टेरॉयड मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी को दबा देती हैं और उन्हें असामान्य संक्रमणों के लिए अतिसंवेदनशील बनाती है. ऐसा ही एक संक्रमण साइटोमेगालो वायरस है. साइटोमेगालो वायरस 80 से 90 फीसदी भारतीय आबादी में बिना कोई नुकसान पहुंचाए मौजूद रहते हैं, क्योंकि हमारी प्रतिरक्षा इतनी मजबूत है कि इसे चिकित्सकीय रूप से महत्वहीन बना सकती हैं. सीएमवी आमतौर पर उन मरीजों में देखा जाता है, जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है. सभी मरीज ‘लो लिम्फोसाइट काउंट’ (सामान्य रूप से 20 से 40 फीसदी के मुकाबले 6-10 फीसदी) की रिपोर्ट के साथ सर गंगा राम अस्पताल पहुंचे, जो कि सीएमवी संक्रमण के मौजूद होने का संकेत है. इससे पहले कोरोना की वजह से ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस और व्हाइट फंगस कैंडिडा के केस आ चुके हैं.
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