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शबे बारात 2021 विशेष: शब ए बारात को गुनाहों से मिलती है माफी, रवायत है कि इस रात अल्लाह के दरबार मे...
डॉ.सरवर आलम ,
Mar 28, 2021, 13:25 pm IST
Keywords: Festivals शब ए बारात मुस्लिम बंधु Muslims
![]() इस्लामी कैलेंडर के आठवीं महीने को शाबान कहा जाता है। माहे शाबान के पंद्रहवीं की रात को शब- ए- बारात कहा जाता है। मजहबे इस्लाम मे शाबान एक मुक़द्दश महीना माना जाता है। इस महीना को हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का महीना करार दिया गया है। इस रात अल्लाह पाक अपने शान व शौकत के मुताबिक आसमान से दुनिया में रहमतों की बारिश फरमाता है। और एलान करता है कि हजरत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की उम्मतों ( अनुयायियों ) के लिए एक ऐसी रात ( रात शब- ए- रात ) बनाई है जो चार सौ साल की नेकियों के बराबर है। शब- ए- बारात की इबादत हजार महीनों के इबादत के बराबर है। क्यों कि इस रात को अल्लाह पाक की दरबार मे इंसान की तौबा कबूल होती है. मजहबे इस्लाम के पैगम्बर हजरत मोहम्मद ( सल्ल.) ने फरमाया है कि शब ए बारात की रात को जागा करो और दिन में रोजा रखो। आज की रात को मगफिरत यानि कि गुनाहों से माफी की रात भी कहते हैं। "शब" एक फ़ारसी शब्द है जिसका अर्थ रात होता है और "बारात" अरबी शब्द है जिसका अर्थ निजात यानि छुटकारा है। आज की रात लोग कब्रिस्तान जाते हैं और अपने पूर्वजों के लिए दुआ करते हैं। फातिहा पढ़ते हैं। इस प्रकार पूरी रात जाग कर इबादत करते हैं। हजरत- ए- आयशा से रवायत ( वर्णन ) है कि खुदा के रसूल मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अल्लाह इस रात अपनी रहमत के सारे दरवाजे खोल देता है। और सूरज के डूबने से लेकर सूरज के निकलने तक अपने बन्दों पर खास रहमत की नज़र करता है। और पूछता है कि, है कोई ऐसा जो अपने गुनाहों से माफी मांगे और मैं उसे बख़्श दूं , है कोई रोजी का तलबगार जिसे रोजी दूं , है कोई मुसीबत का मारा, जिसे मैं निजात दूं। खास बात ये है कि इस रात को अल्लाह के जानिब से बन्दों के लिए रोजी-रोटी, हयात-व मौत व दीगर काम की फेहरिस्त (सूची) तैयार की जाती है। यह सिलसिला पूरी रात से लेकर सुबह फज़र तक जारी रहता है। |
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