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भूमि प्रणाम 2020: एनजीओ 'अल्पना' ने राजधानी में आयोजित की ओडिसी नृत्य में डूबी शाम

जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 26, 2021, 11:55 am IST
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भूमि प्रणाम 2020: एनजीओ 'अल्पना' ने राजधानी में आयोजित की ओडिसी नृत्य में डूबी शाम नई दिल्लीः देश की जानीमानी स्वयंसेवी संस्था 'अल्पना', जिसका पूरा नाम 'एसोसिएशन फॉर लर्निंग परफॉर्मिंग आर्ट्स एंड नॉर्मेटिव एक्शन' है, ने राजधानी के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर स्थित सीडी देशमुख ऑडिटोरियम में कोविड 19 महामारी के प्रोटोकॉल से जुड़े सभी सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए ओडिसी नृत्य को समर्पित अपने प्रतिष्ठित कार्यक्रम 'भूमि प्रणाम 2020' का आयोजन किया.

अल्पना (A.L.P.A.N.A.) वर्ष 2003 से सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत एक स्वयंसेवी संगठन है, जिसका उद्देश्य प्रदर्शन कला को बढ़ावा देने के साथ ही समान मानव विकास के लिए काम करना है. इस संस्था का उद्देश्य समावेशी विकास और समग्र सांस्कृतिक विरासत पर जोर देना है.

नई दिल्ली में 21 मार्च, 2021 को आयोजित इस कार्यक्रम में गुरु श्रीमती अल्पना नायक ने अपने बहुत ही प्रतिभाशाली वरिष्ठ शिष्यों के साथ शुद्ध ओडिसी शैली में नई नृत्य रचनाएँ प्रस्तुत कीं. अतिथियों द्वारा समारोहपूर्वक दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद यह नृत्य कार्यक्रम शुरू हुआ. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव श्री राजेश वर्मा, आईएएस ने शिरकत की.  विशिष्ट अतिथि थे इफ़को के प्रबंध निदेशक डॉ. यू.एस. अवस्थी.

परंपरागत रूप से ओडिसी नृत्य-गायन एक मंगलाचरण से शुरू होता है, जहां नर्तक खुद को सर्वशक्तिमान के समक्ष अपना समर्पण करते हैं और धरती पर अपने लिए पैर रखने के लिए मां से क्षमा मांगते हैं, किसी भी कमियों के दर्शकों से माफी मांगते हैं और आज्ञा का पालन करते हैं और अपने गुरु से आशीर्वाद लेते हैं.

'भूमि प्रणाम 2020' की इस शाम में शामिल नर्तकों ने मंगलाचरण के तहत संस्कृत श्लोक पर आधारित देवी सरस्वती की प्रार्थना 'या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रव्रिता...' के साथ शुरू किया. जिसके बाद एक ओड़िया गीत 'आयिले मां सरस्वती…' की प्रस्तुति हुई. प्राप्ति गुप्ता, पिहू श्रीवास्तव, दिशा कन्नन, यस्तिका धवन और नेरिसा राउत ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया, जिसकी कोरियोग्राफी गुरु श्रीमती अल्पना नायक ने की थी और संगीत रचना श्री प्रशांत बेहरा और श्री प्रफुल्ल मंगराज द्वारा की गई थी।

इसके बाद दिशा कन्नन, यस्तिका धवन, श्रेया और नेरिसा राउत ने साभिनय पल्लवी - राग कलाबती पर आधारित एक पल्लवी प्रस्तुत की, जिसके बाद 18 वीं सदी के ओडिया भक्त कवि श्री बनमाली दास द्वारा लिखित ओड़िया गीत 'संगिनी रे चाहं बेनु बेणु पाणी की ...' पर आधारित अभिनय किया. इस गीत में श्री राधा और अन्य गोपियां भगवान श्री कृष्ण की खगोलीय सुंदरता और उनकी कृपा और शैली का वर्णन कर रही थीं. इस की कोरियोग्राफी 1975 में महान ओड़िसी गुरु श्री देबा प्रसाद दास द्वारा की गई थी, जब एक नवोदित ओडिसी नृत्यांगना के रूप में गुरु श्रीमती अल्पना नायक इसकी एकल ओड़िसी प्रस्तुति बालासोर में की थी.

अगली प्रस्तुति थी प्रजापति गुप्ता और पिहू श्रीवास्तव की बज्रकांति पल्लवी थी. 'पल्लवी' शब्द संस्कृत शब्द पल्लव से लिया गया है, जिसका अर्थ है एक पत्ती की कली, या एक पेड़ का अंकुर जो बहुत कोमल होता है. पल्लवी में एक छोटा बीज धीरे-धीरे एक बड़े पेड़ के रूप में बढ़ता है, एक धुन एक विशेष राग में गाया जाता है और यह विभिन्न किस्मों में धीरे-धीरे विकसित होता है. इसकी प्रस्तुति में नृत्य के साथ-साथ संगीत और लय को भी उतना ही महत्व दिया जाता है. इस की लय अत्यंत सुंदर और गेय हैं. बज्रकांति पल्लवी की कोरियोग्राफी स्वर्गीय गुरु श्री हरे कृष्ण बेहरा और गुरु श्रीमती अल्पना नायक द्वारा की गई थी और संगीत रचना गुरु श्री रामहारी दास ने की थी.

अगला प्रदर्शन गुरु श्रीमती अल्पना नायक का था. उन्होंने सोलहवीं शताब्दी के महान ओड़िया कवि, कवि सम्राट उपेन्द्र भांजा के महाकाव्य से दो अलग-अलग नायिकाओं - विरोहत्कंठिता नायिका और खंडिता नायिका का चित्रण करते हुए एक ओड़िया अभिनय प्रस्तुत किया.

नायिका अपने प्रेमी के आने का इंतजार करती रही लेकिन वह नहीं आया. अपने प्रेमी की अनुपस्थिति से परेशान, 'विरोहत्कंठिता नायिका' अपने दोस्त से पूछती है कि “मुझे किस बात की सजा दी जा रही है? ऐसा क्यों है कि मेरा प्रेमी एक और करामाती महिला के लिए गिर गया है? ऐसा क्यों है कि वह मुझे भूल गया है? हे सखि! खूबसूरती से सजा हुआ यह बोवर उसके बिना कोई अर्थ नहीं रखता है. दीपक की रोशनी जो मैंने उसके लिए रोशन की थी, मेरी आँखों को चोट पहुँचाती है, इससे मुझे पीड़ा होती है. हे मेरी मित्र, मेरी सखि, तुम मुझे बताओ, मुझे क्या करना चाहिए? मुझे कहाँ जाना चाहिए?"

सुबह में सूरज की पहली किरणों के साथ अपने प्रेमी को देखकर उसकी खुशियाँ कोई सीमा नहीं रह जाती, लेकिन फिर जब उसकी नजर उसके शरीर पर किसी अन्य महिला द्वारा छोड़े गए नाखून के निशान पर पड़ी, तो वह गुस्से से जलकर राख हो गई. 'खंडिता नायिका' में उस महिला को दर्शाया गया है, जो अपने प्रेमी के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती है. वह मन बना लेती है कि बेवफाई की इस शर्मनाक हरकत के लिए वह उसे कभी माफ नहीं करेगी. वह कहती है: "तुम गद्दार उस औरत के पास वापस चले जाओ, जिसने कल रात तुम्हें प्रसन्न किया था. तुम्हारे शरीर पर उसके द्वारा छोड़े गए निशानों को देखने के लिए मैं यहां नहीं रुकी हूं. मैं ये देखना नहीं चाहती. जाओ यहाँ से चले जाओ…" इस प्रस्तुति की कोरियोग्राफी गुरु श्रीमती अल्पना नायक द्वारा की गई थी और संगीत रचना श्री प्रशांत बेहरा और श्री प्रफुल्ल मंगराज द्वारा की गई थी.

इस शाम की अंतिम प्रस्तुति 'नव दुर्गा' थी. यह देवी दुर्गा को समर्पित एक प्रार्थना है जिसे प्राप्ति गुप्ता, पिहू श्रीवास्तव, दिशा कन्नन, यस्तिका धवन, श्रेया और नेरिसा राउत ने प्रस्तुत किया. इस प्रस्तुति में देवी की नौ अभिव्यक्तियों जैसे बाना दुर्गा, महा दुर्गा, गिरि दुर्गा, जया दुर्गा, शूली दुर्गा, महिषा मर्दिनी, शक्ति दुर्गा और घोरो दुर्गा की प्रशंसा की गई है. इस नृत्य के कोरियोग्राफर स्वर्गीय गुरु श्री गंगाधर प्रधान थे. साथ में संगीतज्ञ थे श्री प्रसाद बेहरा, गायक, मर्दला पर श्री प्रफुल्ल मंगराज, बांसुरी पर श्री धीरज पांडे और वायलिन पर श्री गोपीनाथ स्वैन.

कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि श्री राजेश वर्मा, विशिष्ट अतिथि डॉ. यू.एस. अवस्थी ने गुरु अल्पना नायक को इस शाम को अपने प्रदर्शन से इतना सुंदर बनाने के लिए  बधाई दी. डॉ अवस्थी ने संगीतकारों की भूमिका को भी सराहा, तो श्री वर्मा ने आने वाले समय में ओडिसी नर्तक के रूप में स्थापित होने वाले इन प्रतिभाशाली नर्तकों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं.
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