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कोरोना वैक्सीन को लेकर फैलाये गये भ्रामक तथ्यों का सच
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Feb 21, 2021, 10:59 am IST
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![]() वैक्सीन को लेकर कैसी-कैसी बातें? यूट्यूब पर बिस्वरूप रॉय चौधरी नाम के एक शख्स ने वैक्सीन के खिलाफ कई वीडियोज बनाए हैं. एक में वह कहता है, 'अगर आपको कोई वैक्सीन लेने के लिए प्रभावित करे तो वह आपकी जिंदगी और संपत्ति खत्म कराने वाले ग्रुप का हिस्सा है.' वैक्सीन में जहरीले पदार्थ होने के दावे भी खूब वायरल हैं. मुंबई में रहने वाली 47 साल की निशा कहती हैं कि उनकी फैमिली में कोई वैक्सीन नहीं लेगा क्योंकि 'यह काफी खतरनाक है.' दावा: वैक्सीन में पारा, एल्युमिनियम जैसी खतरनाक धातुएं हैं सच: इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IIS) में मॉलिक्यूलर बायोफिजिक्स के प्रोफेसर राघवन वरदराजन के अनुसार, कुछ वैक्सीन में एल्युमिनियम सॉल्ट का यूज एडजुवेंट (इम्युन रेस्पांस बढ़ाने के लिए मिलाए जाने वाले एडिटिव्स) के तौर पर होता है, लेकिन मेटल का नहीं. पुरानी वैकसीन में थिमरोसॉल एक यौगिक हुआ करता था जिसमें पारा होता था. दोनों का इस्तेमाल कई टीकों में किया जा चुका है लेकिन नुकसान के सबूत नहीं हैं. कोविड के टीकों में थिमरोसॉल नहीं है. दावा: वैक्सीन में सुअर और बंदरों के टिश्यूज हैं. सच: प्रोफेसर राघवन के अनुसार, यह बिल्कुल मनगढ़ंत बात है.टीकों में किसी सुअर या बंदर या फिर इंसान के फीटल टिश्यूज नहीं होते. दावा: वैक्सीन से बच्चों की सेहत खराब होती है. सच: वैक्सीन बच्चों के लिए जीवन-रक्षक होती हैं. खतरे के मुकाबले फायदे का प्रतिशत काफी ज्यादा है. कई स्टडीज में पाया गया है कि MMR वैक्सीन और ऑटिज्म में कोई कनेक्शन नहीं है. दावा: फ्लू की तरह वैक्सीन आने तक कोरोना खत्म हो जाएगा. सच: इन्फ्लुएंजा में म्यूटेशन SARS-CoV-2 के मुकाबले काफी ज्यादा होता है. अभी तक वायरस के सरफेज प्रोटीज का एक खास म्यूटेशन ही हुआ है, लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है कि इससे वैक्सीन का असर कम होगा. दावा: वैक्सीन सुरक्षित नहीं क्योंकि जल्दबाजी में बनीं. सच: प्रोफेसर राघवन के अनुसार, ट्रायल्स जल्दी हुए लेकिन सेफ्टी से समझौता के सबूत नहीं हैं. कुछ ऐसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जो शायद फेज 3 ट्रायल्स में पकड़ में न आएं. यह तभी पता चल पाएगा जब वैक्सीन का लाइसेंस हो जाए और उसे बड़े पैमाने पर लगाया जाए. लेकिन इसे टीकाकरण की राह में रुकावट की तरह नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि समाज को खतरे से कहीं ज्यादा फायदे हैं. दावा: mRNA वैक्सीन कर सकती है DNA से छेड़छाड़ सच: यह पहली बार है जब mRNA टीकों का इंसानों पर टेस्ट किया जा रहा हो. क्लिनिकल ट्रायल्स में कोई खतरे वाली बात सामने नहीं आई है. शरीर में डाले जाने वाले mRNA के जरिए वही प्रोटीन्स बनते हैं जो किसी वायरल इन्फेक्शन में बनते हैं. इंजेक्शन के मुकाबले टीकाकरण ज्यादा सुरक्षित है. |
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