बंगाल चुनाव में शिवसेना की एंट्री, क्या बीजेपी की राह में रोड़ा बनना चाहती है उद्धव
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jan 18, 2021, 18:17 pm IST
Keywords: Bangal Election Assembly Election 2021 Election2021
मुंबई: लगभग 3 दशकों तक राजनीति की थाली में एक साथ खाने के बाद अलग हुए शिवसेना और बीजेपी एक दूसरे की राह में रोड़ा अटकाने का एक मौका नहीं छोड़ रहे हैं. एक तरफ बंगाल में बीजेपी अपने आपको सत्ता में काबिज़ करना चाहती है, तो वहीं अब शिवसेना बंगाल चुनाव में एंट्री कर बीजेपी का खेल खराब करने में जुटी है. बंगाल विधानसभा चुनाव पर इस वक्त सभी का ध्यान है. बीजेपी पिछले कुछ वर्षों से बंगाल में अपनी जमीन तैयार कर रही है. बीजेपी का अगला लक्ष्य ममता बनर्जी को सत्ता से दूर कर बंगाल में कमल खिलाना है. बंगाल विधानसभा चुनाव की अगली लड़ाई तृणमूल कांग्रेस बनाम बीजेपी नज़र आ रही है. बीजेपी हिंदुत्व का मुद्दा ज़ोर शोर से उठा रही है. अपने आप को हिंदूवादी बोलने वाली शिवसेना, बीजेपी को परेशान करना चाहती है. शिवसेना ने बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
शिवसेना के सीनियर नेता संजय राउत ने कहा, "पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से चर्चा के बाद शिवसेना ने बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हम बहुत जल्द कोलकाता आ रहे हैं. जय हिन्द. जय बांग्ला का नारा भी संजय राउत ने दिया है. संजय राउत का कहना है कि बंगाल में चुनाव हम लड़ सकते हैं, ऐसा पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है. बंगाल में शिसेना की यूनिट कई सालों से काम कर रही है. उनका भी आग्रह है कि पश्चिम बंगाल जाकर रिसर्च करेंगे और उद्धव ठाकरे मार्गदर्शन करेंगे. एक शरुआत है. हम किसी को हराने या मदद करने नहीं जा रहे. हम पार्टी का विस्तार करने जा रहे हैं. शिवसेना ने अभी ये साफ नहीं किया है कि पार्टी बंगाल में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और क्या बंगाल विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे खुद चुनावी मैदान में प्रचार के लिए उतरेंगे. शिवसेना ने बीजेपी को सबक सिखाने का दाव बिहार चुनाव में भी चला था, लेकिन शिवसेना को बिहार विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी. शिवसेना ने 50 उम्मीदवारों को उतारने का फ़ैसला बिहार में किया था पर 22 उम्मीदवार ही मैदान में उतरे और उनकी जमानत भी जब्त हो गई. बीजेपी, शिवसेना को कुछ महीने पहले ही खत्म हुआ बिहार चुनाव याद दिला रही है. बीजेपी नेता राम कदम का कहना है कि बिहार चुनाव में सीट जीतना तो दूर, शिवसेना को कई सीटों पर NOTA से भी कम वोट मिले. बिहार चुनाव में शिवसेना को 0.05% वोट मिले जबकि 1.68% वोट नोटा पर दबे. शिवसेना हिंदुत्व के नाम को चुनाव देखते ही जपने लगती है. शिवसेना के पास बंगाल में ना कोई कैडर है और ना ही कोई चेहरा. शिवसेना की करीबियां ममता बनर्जी से जरूर हैं, पर बंगाल चुनाव लड़कर शिवसेना ममता बनर्जी को कितना फायदा पहुंचाएगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है. |
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