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नम आंखों से दी गई शम्मी कपूर को अंतिम विदाई

नम आंखों से दी गई शम्मी कपूर को अंतिम विदाई

मुम्बई: बॉलीवुड के सदाबहार और हरदिल अजीज अभिनेता शम्मी कपूर को अंतिम विदाई देने के लिए मानो पूरा बॉलीवुड ही उमड़ पड़ा। बॉलीवुड ने नम आंखों से अपने इस चहेते अभिनेता को अंतिम विदाई दी। उनके अंतिम संस्कार के दौरान परिजनों के अलावा कई नामचीन हस्तियां मौजूद थीं।

शम्मी कपूर को सात अगस्त को मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पातल में गुर्दा खराब होने की वजह से भर्ती कराया गया था, जहां रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। वह 79 वर्ष के थे।

शम्मी कपूर के पार्थिव शरीर को सोमवार सुबह लगभग 10.30 बजे अंतिम संस्कार के लिए वाणगंगा मैदान लाया गया, जहां उनके पुत्र आदित्य राज कपूर ने उन्हें मुखाग्नि दी।

इस दौरान दिवंगत अभिनेता के भाई शशि कपूर बीमार होने के बावजूद व्हील चेयर पर अंतिम संस्कार के दौरान उपस्थित थे।

शम्मी कपूर के भतीजे रणधीर कपूर और ऋषि कपूर के अलावा उनके पोते रणबीर कपूर ने भी उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया।

परिवार के सदस्यों के अलावा बॉलीवुड के कई कलाकार भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए, जिनमें मुख्यतौर पर महानायक अमिताभ बच्चन, आमिर खान, आशुतोष गोवारिकर, प्रकाश झा, संजय लीला भंसाली, केतन देसाई, सतीश कौशिक, सुभाष घई, जग मुंद्रा, राकेश ओमप्रकाश मेहरा, यश चोपड़ा, निखिल आडवाणी और सुधीर मिश्रा शामिल थे।

इनके अलावा डैनी डेंगजोंगपा, रंजीत, फरदीन खान, विनोद खन्ना, संजय कपूर, टॉम अल्टर, शत्रुघन सिन्हा, अनिल कपूर, टीनू आनंद और कबीर बेदी शामिल थे।

अंतिम संस्कार में शामिल होने प्रियंका चोपड़ा और माधुरी दीक्षित भी पहुंची।

गौरतलब है कि इस मौके पर सरकार की ओर से सुरक्षा के पार्याप्त बंदोबस्त किए गए थे और बड़े पैमाने पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई थी।

शम्मी कपूर फिल्मीं दुनिया के अलग ही हस्ती थे उनके लिए यही कहा जाएगा, कि तुमसा नहीं देखा। उन्होंने फिल्म 'जंगली' के एक गाने में 'याहू..' कहने के अपने खास अंदाज से लोगों के दिलों में अपनी विशेष जगह बना ली। 'याहू! इंक' के सह-संस्थापक जेरी यांग को यह नाम रखने की प्रेरणा भी शायद इसी से मिली।

बॉलीवुड के बहुचर्चित कपूर खानदान के सदस्य शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर पहले ही हिन्दी सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ चुके थे। बड़े भाई राज कपूर ने भी अपनी एक खास पहचान बना ली थी।

इन सबके बीच स्थान बनाना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन हिन्दी सिनेमा जगत में शम्मी कपूर ने न केवल अपनी जगह बनाई, बल्कि अपनी विशिष्ट पहचान भी विकसित की।

घरवालों ने उन्हें शमशेर राज कपूर नाम दिया था। उनकी पहली फिल्म 'जीवन ज्योति' (1953) थी। तब फिल्म जगत में राज कपूर, देव आनंद और दिलीप कुमार की तिकड़ी का बोलबाला था। उन्होंने जल्द ही समझ लिया था कि फिल्म जगत में अपनी जगह बनानी है तो इनसे अलग शैली भी विकसित करनी पड़ेगी।

रूपहले पर्दे पर उनकी छवि नृत्य की एक खास शैली वाले बेफिक्र और रूमानी प्रेमी की रही। 1961 में 'जंगली' से पहले वह 'तुमसा नहीं देखा' और 'दिल देके देखो' जैसी सदाबहार फिल्में दे चुके थे।

उनकी कामयाबी की सूची में 'कश्मीर की कली', 'प्रोफेसर', 'एन इविनिंग इन पेरिस', 'तीसरी मंजिल', ब्रह्मचारी, 'राजकुमार' जैसी फिल्मों के नाम भी जुड़ते गए।
गाने और नृत्य शैली उनकी फिल्मों का खास आकर्षण थे।

उनकी ज्यादातर फिल्मों में मोहम्मद रफी ने उनके लिए गीत गाए। फिल्म 'तीसरी कसम' में आशा पारेख के साथ 'आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा', 'ब्रह्मचारी' में मुमताज के साथ 'आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे' और 'एन इविनिंग इन पेरिस' में शर्मिला टैगोर के साथ 'आसमान से आया फरिश्ता' में उनके ठुमकों को हमेशा याद किया जाएगा।

नृत्य की अपनी खास शैली उनकी विशेषता थी और कई बार नृत्य निर्देशक इसका फैसला उन पर ही छोड़ देते थे कि वे कैसे नृत्य करना चाहेंगे।

वर्ष 1955 में फिल्म 'रंगीन रातें' के सेट पर उनकी मुलाकात गीता बाली से हुई और चार महीने बाद ही दोनों विवाह बंधन में बंध गए। उनका एक बेटा आदित्य राज कपूर और बेटी कंचन हैं। जिंदगी के सफर में गीता बाली अधिक दिनों तक शम्मी कपूर का साथ नहीं दे पाईं।

1965 में ही चेचक से उनकी मौत हो गई और शम्मी कपूर को दो छोटे बच्चों के साथ छोड़कर वह दुनिया को अलविदा कह गईं। इसके बाद 1969 में उन्होंने गुजरात में भावनगर के पूर्व राजघराने की सदस्य नीला देवी गोहिल से दूसरा विवाह किया।

शम्मी कपूर ने प्रभावशाली फिल्मी पृष्ठभूमि होने के बावजूद संघर्ष किया। वह 1950 और 60 के दशक में दर्शकों पर छाए रहे। दर्शक उनके मस्त अंदाज और नृत्य की अदा के दीवाने थे।

शम्मी कपूर का फिल्मी करियर:
1950 का दशक

1953: "ठोकर"

1953: "रेल का डिब्बा"

1953: "लैला मजनू"

1953: "खोज"

1953:"जीवन ज्योति"

1953: "गुल सनोबर"

1954: "शमा परवाना"

1954 :"महबूबा"

1954: "एहसान"

1954: "चोर बाजार"

1955: "तांगेवाली"

1955: "नकाब"

1956: "रंगीन रातें"

1956: "मेम साहिब"

1956: "हम सब चोर हैं"

1957: "तुमसा नहीं देखा"

1957: "महारानी"

1957: "काफी हाउस"

1958: "क्रिमिनल"

1959: "उजाला"

1959: "रात की हथेली"

1960 का दशक

1960: "कालेज गर्ल"

1961: "जंगली"

1961: "बॉय फ्रेंड"

1962: "वल्लाह क्या बात है"

1962: "प्रोफेसर"

1962: "दिल तेरा दिवाना"

1962: "चाइना टाउन"

1963: "शहीद भगत सिंह"

1963: "प्यार किया तो डरना क्या"

1963: "जब से तुम्हे देखा है"

1963: "ब्लफ मास्टर"

1964: "कश्मीर की कली"

1964: "राजकुमार"

1965: "जानवर"

1966: "तीसरी मंजिल"

1966: "प्रीत न जाने रीत"

1966: "बदतमीज"

1967: "लाट साहब"

1967: "एन इवनिंग इन पेरिस"

1968: "ब्रह्मचारी"

1969: "तुमसे अच्छा कौन है"

1969: "सच्चाई"

1969: "प्रिंस"

1970 का दशक

1970: "पगला कहीं का"

1971: "जवां मोहब्बत"

1971: "अंदाज"

1971: "जाने-अंजाने"

1971: "प्रीतम"

1974: "छोटे सरकार"

1975: "जमीर"

1977: "मामा भांजा"

1977: "परवरिश"

1978: "शालीमार"

1979: "मीरा"

1979: "अहसास"

1980 का दशक

1981: "अरमान"

1981: "आहिस्ता आहिस्ता"

1981: "हरजाई"

1981: "प्रोफेसर प्यारेलाल"

1982: "विधाता"

1982: "प्रेमरोग"

1982: "देशप्रेमी"

1982: "ये वादा रहा"

1983: "बेताब"

1983: "एक जान हैं हम"

1983: "हीरो"

1984: "वांटेड: डे ऑर लाइव"

1984: "आन और शान"

1985: "बादल"

1985: "सोहनी महिवाल"

1985: "एक से भले दो"

1985: "बलिदान"

1986: "कर्मदाता"

1986: "काला धंधा गोरे लोग"

1987: "हिम्मत और मेहनत"

1987: "हुकूमत"

1987: "इजाजत"

1989: "बटवारा"

1989: "दाता"

1989: "बड़े घर की बेटी"

1989: "मोहब्बत का पैगाम"

1990 का दशक

1991: "लक्ष्मणरेखा"

1991: "अजूबा"

1991: "मस्त कलंदर"

1992: "हीर रांझा"

1992: "हमशक्ल"

1992: "चमत्कार"

1992: "तहलका"

1992: "खुलेआम"

1993: "आ जा मेरी जान"

1993: "गर्दिश"

1993: "दोस्ती की सौगंध"

1993: "तुम करो वादा"

1994: "प्रेमरोग"

1994: "प्यार का रोग"

1994: "विवेकानंद"

1995: "राकस्टार"

1996: "प्रेमग्रंथ"

1996: "नमक"

1997: "और प्यार हो गया"

1997: "शेयर बाजार"

1998: "ढूंढ़ते रह जाओगे"

1998: "करीब"

1999: "जानम समझा करो"

2000 का दशक

2001: "सेंसर"

2002: "ये है जलवा"

2006: "सैण्डविच"

2011: "राकस्टार"

निर्देशक के रूप में:

1974: "मनोरंजन"

1976: "बण्डलबाज"

निर्माता के रूप में

2004: "भोला इन बालीवुड"

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