लाल किला संबोधन भी लोकपाल पर
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Aug 15, 2011, 9:13 am IST
Keywords: Highlights PM's Independence Day speech Main Points Issues Manmohan Singh Based on the Lok Pal प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आजादी की 64 वीं सालगिरह लाल किला झंडारोहण संबोधन मुख्य बिंदु
नई दिल्ली: देश की आजादी की 64 वीं सालगिरह पर लाल किला पर झंडारोहण के बाद ऐतिहासिक प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का समूचा संबोधन नए वादों से ज्यादा देश की विषंगतियों को गिनाने में बीता. उनके संबोधन पर लोकपाल और कारगर लोकपाल को लेकर अन्ना हजारे का प्रस्तावित आमरण अनशन छाया रहा. हालांकि उन्होंने सीधेसीधे अन्ना का नाम नहीं लिया पर उनका अनशन उनके द्वारा उठाये गए सरे मुद्दे प्रधानमंत्री के संबोधन में छाये रहे.
65वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार देश के लिए, सरकार के लिए चिंता का गम्भीर विषय बन गया है। लेकिन किसी एक बड़े कदम से भ्रष्टाचार को नहीं रोका जा सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं, कई लोगों के नाम उसमें सामने आए हैं। हम इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते, क्योंकि मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। हम इस मुद्दे पर गहन विचार कर रहे हैं। लेकिन इस मुद्दे पर विचार करते समय हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे कि देश की प्रगति प्रभावित हो। सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कानून व्यवस्था को चुस्त करना है। सही न्याय होने से अधिकारियों में भय पैदा होगा और वे गलत काम करने से डरेंगे। सिंह ने कहा कि हम इसीलिए लोकपाल कानून बना रहे हैं। कुछ लोगों को इसमें शामिल कुछ प्रावधानों से असहमति है। वे अपनी असहमति को संसद और मीडिया को बता सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें अनशन और भूख हड़ताल नहीं करना चाहिए। सिंह ने कहा कि हम न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने के खिलाफ हैं। इससे उसकी आजादी छिन जाएगी। लेकिन न्यायापालिका की भी जवाबदेही है और उसके लिए हम एक जवाबदेही विधेयक ला रहे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार आम आदमी पर महंगाई के असर को लेकर चिंतित है और इसे कम करने के लिए हर सम्भव उपाय अपनाए जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश को दूसरी हरित क्रांति की जरूरत है। उन्होंने कहा, "हमारा देश लगातार महंगाई के चरण से गुजर रहा है। किसी भी सरकार के लिए महंगाई को कम करना एक मुख्य जिम्मेदारी होती है और हमारी सरकार इस जिम्मेदारी को समझती है।" उन्होंने कहा कि सरकार लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। इस समस्या का निदान करना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार लगातार स्थिति को नियंत्रण में करने की कोशिश कर रही है, लेकिन कई बार इसके लिए जिम्मेदार कारण देश से बाहर मौजूद होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों, अनाजों और खाद्य तेलों की कीमत काफी ऊंचे स्तर पर है। चूंकि हम इन पदार्थो का आयात बड़े पैमाने पर करते हैं, इसलिए इनकी कीमत में थोड़ी सी भी तेजी देश में महंगाई को बढ़ा देती है। उन्होंने कहा, "कई बार हम महंगाई को कम रखने में सफल हुए हैं, लेकिन यह अधिक दिनों तक बनी नहीं रह सकी।" उन्होंने कहा कि लम्बी अवधि के समाधान के लिए फिर एक बार हरित क्रांति की जरूरत है। इससे एक साथ जहां महंगाई कम होगी, वहीं खाद्य सुरक्षा भी हासिल होगी। उन्होंने बेहतर खाद्यान्न उत्पादन के लिए किसानों को बधाई दिया और कहा, "इस साल की उपलब्धि के लिए मैं किसानों को बधाई देता हूं। खाद्यान्नों का रिकार्ड उत्पादन हुआ है। गेहूं, मक्का, दलहन और तिलहन का रिकार्ड उत्पादन हुआ है।" उन्होंने कहा कि यह किसानों की मेहनत का ही नतीजा है कि आज अनाज, चीनी और कपास का निर्यात शुरू करने का प्रस्ताव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्यान्न की महंगाई से कृषि उपज बढ़ाकर ही निपटा जा सकता है। यह खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे। पहली हरित क्रांति (1970 और 1980 के दशक में) में उन्नत बीजों और बेहतर सिंचाई प्रणालियों के इस्तेमाल से देश अनाजों के मामले में आत्मनिर्भर बन गया। प्रधानमंत्री ने किसानों और खासकर छोटे किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उन्हें खाद, बीज, ऋण और सर्वोत्तम सिंचाई सुविधा मिलती रहेगी। प्रधानमंत्री ने 65वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए कहा, "मैं देश के कुछ हिस्सों में उद्योग, अधोसंरचना और शहरीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर व्याप्त तनाव से वाकिफ हूं।" सिंह ने कहा, "नि:संदेह जनहित की परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण जरूरी है। लेकिन अधिग्रहण पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होना चाहिए। जिन लोगों की आजीविका अधिग्रहण की जाने वाली जमीन पर निर्भर है, उनके हित की पूरी तरह रक्षा की जानी चाहिए।" सिंह ने कहा, "हम यह सुनिश्चित कराएंगे कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में किसी के साथ अन्याय न हो। हमारी सरकार 117 वर्ष पुराने भूमि अधिग्रहण कानून को हटाकर उसके स्थान पर एक नया कानून लाना चाहती है। यह नया कानून दूरदर्शी और संतुलित है।" ज्ञात हो कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने नए भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे को वितरित कर दिया है और सभी घटकों से उस पर टिप्पणी और सुझाव मांगे हैं। ये सुझाव और टिप्पणियां इस महीने के अंत तक मंत्रालय को भेजे जा सकते हैं। सिंह ने कहा, "हमने इस विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए पहल की है। हम जल्द ही संसद में यह विधेयक पेश करेंगे।" प्रधानमंत्री ने कहा, "हम देश में भौतिक आधारभूत संरचनाओं को लगातार मजबूत बना रहे हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारी निवेश की जरूरत है। इसी कारण पिछले सात वर्षो में हमने इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां बनाई है।" उन्होंने कहा, "वर्तमान में इस क्षेत्र में निवेश हमारी जीडीपी का एक फीसदी है। पिछले सात वर्षो में निवेश में डेढ़ गुना की वृद्धि हुई है।" आधारभूत संरचना क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किए जाने के कारण पेट्रोलियम उत्पादों और बिजली उत्पादन में काफी सुधार हुआ है। सड़कों, हवाईअड्डों और बंदरगाहों की स्थिति भी सुधरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 12वीं योजना में बिजली उत्पादन का लक्ष्य 11वीं योजना का दोगुना रखा जाएगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के कुछ जिलों में कई सारी चुनौतियां हैं, जिससे हमें निपटना है, वहां की समस्याओं को सुलझाना है। हम अपने देश के किसानों, मजदूरों और जवानों की मेहनत को जाया नहीं जाने देंगे। हमने सामाजिक मोर्चे पर काफी कुछ किया है। सामाजिक असमानता मिटाने के लिए कई काम किए गए हैं। |
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