Saturday, 20 April 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

भारत के शिकंजे में था मसूद अजहर, इस वजह से छोड़ना पड़ा

जनता जनार्दन संवाददाता , Feb 17, 2019, 16:45 pm IST
Keywords: Masood Ajahar   Terrorist Masood Azahar   Pakistan Terrorist   मसूद अजहर   इंडियन एयरलाइंस   आईसी-814  
फ़ॉन्ट साइज :
भारत के शिकंजे में था मसूद अजहर, इस वजह से छोड़ना पड़ा 40 CRPF के जवानों पर आत्मघाती हमले के पीछे मसूद अजहर का हाथ है. वहीं अमेरिका ने भारत का समर्थन करते हुए कहा कि वह मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में भारत की मदद करेगा. वहीं आपको बता दें, मसूद अजहर ने आज से 20 साल पहले भारत की गिरफ्त में था. जी हां 24 दिसंबर 1999 में हुए कंधार विमान अपहरण के दौरान मसूद अजहर समेत दो साथियों को मजबूरन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को उसे रिहा करना पड़ना. आइए जानते हैं क्या था पूरा मामला.

Indian एयरलाइंस के विमान आईसी-814 का अपहरण :
 वो दिन  24 दिसंबर 1999 का दिन था. जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाईट आईसी-814 ने काठमांडू, नेपाल के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी थी. विमान में कुल मिलाकर 178 यात्री और क्रू मेंबर सवार थे.  विमान के टेकऑफ के कुछ देर बाद पांच पाकिस्तानी आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था. विमान के हाईजैक होने की खबर भारत को मिल चुकी थी. 

जब विमान ने करीब शाम के साढे 5 बजे भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश लिया था, तभी बंदूकधारी आतंकियों ने विमान का अपहरण कर लिया. 

वे विमान को अमृतसर, लाहौर और दुबई होते हुए कंधार, अफगानिस्तान ले गए. आपको बता दें, आतंकी कंधार से पहले विमान दुबई ले गए थे. जहां  कुछ यात्रियों को दुबई में छोड़ दिया था.

सबसे पहले आतंकियों ने भारतीय जेलों में बंद 35 उग्रवादियों की रिहाई और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर नगद देने की मांग की थी. भारत के तत्तकालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, गृह मंत्री लाल कृष्ण आड़वाणी और विदेश मंत्री जसवंत सिंह समेत समूची सरकार आतंकियों की मांग पर विचार विमर्श कर रही थी. लेकिन आतंकी इससे कम पर मानने को तैयार नहीं थे. दिन बीतते जा रहे थे. और बातचीत जारी थी.

तालिबान और भारत सरकार के अधिकारी लगातार आतंकवादियों के साथ लगातार बातचीत कर रहे थे. अब भारत सरकार के साथ-साथ आतंकियों पर भी दबाव बन रहा था. सरकार आतंकियों की कोई मांग नहीं मानना चाहती थी. लेकिन भारतीय यात्रियों की जान खतरे में थी.


आतंकी मानने को तैयार नहीं थे. लिहाजा, सात दिन बाद यानी साल के आखरी दिन 31 दिसंबर 1999 को बातचीत का निष्कर्ष निकाली. आतंकवादियों ने भारत की गिरफ्त में 3 आतंकवादी की रिहाई की मांग की.

कंधार विमान अपहरण में फंसे अपने देशवासियों के लिए वाजपेयी सरकार को आतंकियों की मांग मानने पर मजबूर कर दिया था और ये अटल बिहारी वाजपेयी के लिए सबसे मुश्किल फैसला था. इन यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को मसूद अजहर को जम्मू की कोट भलवाल जेल से निकालकर कंधार ले जाकर छोड़ना पड़ा था. जिसके बाद आतंकियों ने सभी यात्रियों को रिहा कर दिया. 
 
शर्त मानने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के तत्तकालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद उन तीन कुख्यात आतंकियों को लेकर कंधार के लिए रवाना हो गए थे. वे कंधार हवाई अड्डे पर पहुंचे और वहां जम्मू की कोट भलवाल जेल से आतंकी मौलाना मसूद अजहर को निकालने के बाद अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद को रिहा कर दिया. 

मसूद अजहर ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को अपना ठिकाना बनाया है. वह पंजाब के बहावलपुर शहर में आतंक का स्कूल चलाता है. यहां पर एक मस्जिद है, जहां पर ये शख्स धर्म और मजहबी तालीम के नाम पर जेहादियों की भर्ती करता है. बहावलपुर पाकिस्तान का 12वां बड़ा शहर है. अगर इस शहर में कोई शख्स पहुंचता है तो एक सफेद मस्जिद किसी का भी ध्यान अपनी ओर खीचती है. इस मस्जिद का नाम जामिया सुभानअल्लाह है. यही मस्जिद जैश का मुख्यालय है.
अन्य राष्ट्रीय लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल