मोदी सरकार का नाम बदलकर अब 'मोदी बाबा और चालीस चोर' रख देना चाहिएः कांग्रेस

मोदी सरकार का नाम बदलकर अब 'मोदी बाबा और चालीस चोर' रख देना चाहिएः कांग्रेस नई दिल्लीः फ्रांस से राफेल जहाज समझौते में अनिल अंबानी की डूबती कंपनी को हजारों करोड़ का लाभ पहुंचाने और मोदी सरकार पर भारी हेराफेरी का आरोप लगाने वाली कांग्रेस के हमले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार का नाम बदलकर अब मोदी बाबा और चालीस चोर रख देना चाहिए, एक पुरानी कहावत है चोर मचाए शोर। जब चोर की चोरी रंगे हाथों पकड़ी जाती है तो वो बहुत जोर-जोर से शोर मचाता है। गैर कानूनी कानून मंत्री, श्री रविशंकर प्रसाद और मोदी सरकार अब राफेल घोटाले का जवाब गाली-गलौच और गंदगी से दे रही है। गाली-गलौच और गंदगी उनकी मानसिकता, उनके आचरण और उनकी जीवन शैली में अब अंदर तक घर कर गई है। परंतु सवाल बड़ा सीधा है। क्या तर्क का जवाब कुतर्क से दे सकते हैं?, क्या घोटाले का जवाब गाली से दे सकते हैं?, क्या रंगे हाथों चोरी पकड़े जाने पर चोर-चोर पुकार कर अपनी चोरी से बच सकते हैं? इसलिए पहले चोरी और फिर सीना जोरी ये अब इनका चाल, चेहरा और चरित्र बन गया है।

सवाल बड़े सीधे हैं और कानून मंत्री और प्रधानमंत्री दोनों उसका जवाब दे दें, बताएं राफेल घोटाले में जो जहाज कांग्रेस सरकार में हमें 12 दिसम्बर 2012 को 526 करोड़ में मिल रहा था, आपने उस कॉन्ट्रैक्ट को कैंसिल कर वही जहाज 1670 करोड़ में क्यों खरीदा, और 41,205 करोड़ का चूना देश को क्यों लगाया? हर रोज पाकिस्तान के पीछे छुपकर, पाकिस्तान की आड़ में छुपकर अपने घोटाले छुपाने वाली मोदी सरकार ये बता दे कि जब देश की वायु सेना ने 126 जहाज मांगे थे, कांग्रेस ने 126 जहाज खरीदे थे, आपने वो 126 जहाज घटाकर 36 क्यों कर दिए? और जब 36 की भी इमरजेंसी परचेज की, तो वो जहाज 2022 में क्यों आएंगे, 8 साल इमरजेंसी खरीद के बाद और तीसरा सवाल फ्रांस के राष्ट्रपति और हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री, ओलांद जी और मोदी जी की बैठक हुई, जिसमें 10 अप्रेल 2015 को 36 जहाज खरीदने का निर्णय लिया गया था। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति, जो उस समय के फ्रांस के राष्ट्रपति थे ओलांद जी, उन्होंने कहा- कि मोदी जी ने ये शर्त रखी कि सरकारी कंपनी एचएएल को रफादफा कर ये तीस हजार करोड़ का ठेका अनिल अंबानी जी की कंपनी रिलायंस समूह को देना पड़ेगा। मोदी जी आप अंबानी के पीएम हैं या देश के पीएम हैं, इस बात का जवाब तो देना पड़ेगा। इस बात से आप बच नहीं सकते।

चौथा और आखिरी सवाल, कांग्रेस ने ठेका किसी निजी व्यक्ति को नहीं दिया था जैसा आपके कृषि मंत्री उछल-उछल कर कह रहे हैं। कांग्रेस ने ऑफसेट कॉन्ट्रेक्ट का ठेका एचएएल को दिया था। जो भारत सरकार की कंपनी है। आपने सरकारी कंपनी से ठेका छीन, सरकारी कंपनी से मुनाफा छीन, सरकारी कंपनी का फायदा छीन निजी कंपनी को फायदा क्यों पहुँचाया ? क्या ये साबित नहीं करता की आप देश के पीएम नहीं अंबानी के पीएम हैं। और पाँचवा, अगर भारत सरकार की कंपनी और भारत सरकार को जहाज बनाने की ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी मिलती तो देश को फायदा होता। आपने राष्ट्र के हित क्यों बेच डाले और ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी से इंकार क्यों कर दिया? बात बड़ी सीधी है गाली देने से, गाली-गलौच करने से, गंदी और अमर्यादित भाषा बोलने से इस बात की सच्चाई छुप नहीं पाएगी। अली बाबा और चालीस चोर की कहानी सारे देश ने सुनी है। अब देश ये पूछ रहा है कि मोदी बाबा और चालीस चोर देश को जवाब कब देंगे?

भाजपा की तरफ से कांग्रेस पर लगाए गए आरोप से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आदरणीय साथी, ये टेंडर खोला कब गया? इसी लिए तो मैं कह रहा हूँ कि एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने के लिए मजबूर हैं। 2007 अगस्त में ये टेंडर हमने जारी किया, अंतर्राष्ट्रीय निविदाएं माँगी और 12 दिसम्बर, 2012 को ये टेंडर खुला, 2008 में नहीं खुला। 12 दिसम्बर, 2012 को टेंडर खुला जिसमें एल-1 आई राफेल, दसॉल्ट की और 13 मार्च 2014 को कांग्रेस की सरकार ने ऑफसेट का ठेका सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को दिया। ये मैं नहीं कह रहा, एरिक ट्रेपियर जिनका वीडियो हमने आपको दिखाया मोदी जी की जहाज खरीद से 17 दिन पहले एचएएल की फैक्ट्री में ये बात कह रहे हैं वायुसेना प्रमुख की मौजूदगी में। ये मैं नहीं कह रहा, ये दसॉल्ट कंपनी 2013 की एनुअल रिपोर्ट में कह रही है जिसकी प्रतिलिपि हमने आपको दी है। ये मैं नहीं कह रहा, ये एचएएल के चेयरमैन कह रहे हैं जो 4 साल तक एचएएल के चेयरमैन थे, जिन्होंने एक इंटरव्यू में डिफेंस मिनिस्टर को चुनौती दी कि ये ठेका सरकारी कंपनी को मिला था। उन्होंने कहा मैं चुनौती देता हूँ, सरकारी फाइलें सार्वजनिक कर दे। तो 5 हजार झूठ बोलने से झूठ सच नहीं हो जाएगा।

कांग्रेस ने ठेका सरकारी कंपनी को दिया। मोदी जी ने ये अंबानी जी को दिया और ये भी मैं नहीं कह रहा ये फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद साहब, जो उस मीटिंग में थे वो कह रहे हैं। बता दीजिए आप अंबानी के पीएम हैं या देश के पीएम हैं। मैं सिर्फ आपको एक महत्वपूर्ण सूचना और देना चाहता हूँ क्योंकि जब 1 बार रहस्य खुल जाए, परदा उठ जाए तो आए दिन नई परतें खुलती हैं। आज इसी राफेल घोटाले की एक और परत खुलने वाली है। शाम 4 बजे हमारे आदरणीय साथी श्री कपिल सिब्बल जी, श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी जी और श्री जयवीर शेरगिल जी उस रहस्य की अगली परतें लेकर आपके बीच में आ रहे हैं। मेरी आपसे दरख्वास्त है, तब तक जरुर इंतजार कीजिएगा।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री सुरजेवाला ने कहा कि हम फौज के साथ कभी विवाद में नहीं पड़ते। फौज हमारे लिए सुप्रीम है परंतु ये लोग फौज को राजनीति के लिए इस्तेमाल न करें, भारतीय जनता पार्टी फौज को राजनीति में न घसीटे। फौज का काम है देश की रक्षा करना। जो फौज ने जहाज माँगा, जो वायुसेना ने मापदंड निर्धारित किए, अगर कोई इनमें से बात गलत है, हम चुनौती देते हैं मोदी जी वो सारी फाइलें सार्वजनिक कर दीजिए। 12 दिसम्बर, 2012 को जो कॉन्ट्रैक्ट खुला, उसमें वो सारे मापदंड, वो सारे एवियोनिक्स, वो सारे हथियार थे जो भारत की वायुसेना ने निर्धारित किए थे। आज भारत की वायुसेना को अपमानित मत कीजिए। भारत की वायुसेना की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़ा मत कीजिए। भारत की वायुसेना की ईमानदारी पर सवाल मत खड़ा करीए।

अगर वायुसेना ने कोई मापदंड निर्धारित किए तो उसके मुताबिक टेंडर हुआ। वायुसेना ने एयर स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट, इंडियन स्पेसिफिक इन्हांसमेंट लगाए, तो वो वायुसेना का काम था, कौन सा जहाज बेहतर है ये निर्धारित करना भी वायुसेना का काम था। कांग्रेस की सरकार वायुसेना के ऊपर जाकर निर्णय नहीं करती। जैसे मोदी जी ने किया, हम आपसे पूछते हैं और चुनौती देते हैं अगर हिम्मत है तो देश को बताईए, 126 जहाज का ठेका कैंसिल कर मात्र 36 जहाज क्यों खरीदे? क्या उससे पाकिस्तान और चीन से लड़ने की हमारी क्षमता कमजोर नहीं होती? क्या देश की सुरक्षा के खिलवाड़ नहीं किया आपने, क्या राष्ट्र की सुरक्षा से समझौता नहीं किया आपने? इसलिए इन बातों का जवाब दीजिए।
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