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पीएम मोदी ने 'आशा' और 'आंगनवाड़ी' कार्यकर्ताओं से की बात, बढ़ाया मानदेय

पीएम मोदी ने 'आशा' और 'आंगनवाड़ी' कार्यकर्ताओं से की बात, बढ़ाया मानदेय नई दिल्ली: केंद्र सरकार की तरफ से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मिलने वाले मानदेय को बढ़ाने का फैसला किया गया है. जिन्हें अभी 3000 रुपए का मानदेय मिलता था, उन्हें अब 4500 रुपए मिलेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से 'नरेंद्र मोदी ऐप' के जरिये संवाद में यह जानकारी दी.

प्रधानमंत्री ने बताया कि जिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 2250 रुपए था, उन्हें अब 3500 रुपए मिलेगा. आंगनवाड़ी सहायिकाओं को 1500 रुपए के स्थान पर 2200 रुपए मिलेंगे । यह बढ़ा हुआ मानदेय अलगे माह से लागू होगा. प्रधानमंत्री मोदी कहा, 'यह बढ़ा हुआ मानदेय अगले महीने यानी एक अक्टूबर से लागू हो जायेगा। अर्थात नवंबर से आपको नया पैसा या तनख्वाह या मानदेय मिलेगा।' उन्होंने जोर दिया कि यह बढ़ी राशि केंद्र सरकार के हिस्से की है।

मोदी ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि को दोगुणा करने के अलावा यह भी फैसला किया गया है कि उन्हें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना मुफ्त दी जाएंगी।

उन्होंने कहा कि इसका मतलब हुआ कि दो..दो लाख रुपए की इन दोनों बीमा योजना के तहत कोई प्रीमियम नहीं देना होगा और यह खर्च सरकार उठायेगी। उल्लेखनीय है कि संसद में भी विभिन्न दलों के सदस्य आशा कर्मियों एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय को बढ़ाने की समय समय पर मांग करते रहे हैं।

आशा एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 'अपने लाखों हाथ' के रूप में रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार का ध्यान पोषण और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने पर है, तथा टीकाकरण की प्रक्रिया तेज गति से चल रही है जिससे महिलाओं और बच्चों को खासी मदद मिलेगी. आपको बता दें कि करीब 14 लाख (2013 के आंकड़ों गणना के मुताबिक) आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा.

पीएम मोदी ने जो कहा

आप सभी से एक साथ सीधा संवाद करने का ये अपनी तरह का पहला प्रयास है। और मुझे बताया गया है कि देश के करीब-करीब हर ब्‍लॉक से आप लोग सीधे इस संवाद में जुड़े हैं। चाहे आशा हो, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हो या फिर एएनएम आप सभी राष्‍ट्र निर्माण के अग्रणी सिपाही र्हैं। आपके बिना देश में स्‍वस्‍थ मातृत्‍व की कल्‍पना करना भी मुश्किल है। मुझे खुशी है कि आप सभी देश की नींव को, देश के भविष्‍य को मजबूत करने में बहुत ही अहम भूमिका निभा रहे हैं। देश की हर माता, हर शिशु की सुरक्षा घेरे को मजबूत करने का जिम्‍मा आप सबने अपने कंधे पर उठाया है। सुरक्षा के इस घेरे के तीन पहलू हैं। पहला है पोषण यानी खान-पान, दूसरा है टीकाकरण और तीसरा है स्‍वच्‍छता, ऐसा नहीं है कि पहले लोग इस बारे में जानते नहीं थे या पहले योजनाएं नहीं बनीं।

इन तमाम पहलुओं को लेकर आजादी के बाद से ही अनेक कार्यक्रम चले, लेकिन बहुत अधिक सफलता नहीं मिल पाई। हमसे कम विकसित, कम संसाधनों वाले, छोटे-छोटे देश भी इन विषयों से कई गुना आगे निकल चुके हैं। बहुत कुछ बेहतर कर रहे हैं। इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए 2014 के बाद से एक नई रणनीति के साथ हमने काम करना शुरू किया।

आप सब जानते हैं भली-भांति मिशन इंद्रधनुष। इस मिशन इंद्रधनुष के तहत देश के टीकाकरण अभियान को दूर-दराज और पिछड़े इलाकों में हमारे जो नन्‍हें-मुन्‍हें बच्‍चे हैं। उन तक पहुंचने का लक्ष्‍य तय किया गया है। आप सभी ने इस मिशन को तेज गति से आगे बढ़ाया और देश में तीन करोड़ से अधिक बच्‍चों और 85 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करवाया। पूर्वी उत्‍तर प्रदेश, पूर्वी भारत के कार्यकर्ता भलीभांति जानते हैं कि इंसेफलाइटिस किस प्रकार से हमारे बच्‍चों के लिए खतरनाक रहा है। ऐसी गंभीर बी‍मारियों से लड़ने के लिए संपूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम में जापानी इंसेफलाइटिस के टीके हमें पांच नए टीके जोड़े गए हैं।

वहीं दो साल पहले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान शुरू किया गया। इसमें भी आपका योगदान बहुत-बहुत महत्‍वपूर्ण रहा है। आप सब मेरे साथी हैं। पहले के जमाने में कहते थे कि भगवान हजार बांहों वाला होता है। अब ये हजार बाहु थोड़े ही ऐसे लगाए जाते हैं। इसका मतलब था कि उनकी टीम में ऐसे पांच सौ लोग होते थे जिनके बाहु सब समस्‍याओं का समाधान करके उनका साथ देते हैं। आज देश का प्रधानमंत्री कह सकता है कि उसके सहस्‍त्र बाहु नहीं लक्ष्‍यावादी बाहु है। और ये बाहु आप सब मेरे साथी हैं।

साथियों स्‍वास्‍थय का सीधा संबंध पोषण से है और पोषण भी हम क्‍या खाएं? कैसे खाएं? सिर्फ इतने तक सीमित नहीं है। स्‍वच्‍छता हो, टीकाकरण हो, आपको शायद हैरानी होगी, कम उम्र की शादी भी इस समस्‍या का एक बहुत बड़ा कारण है। सही उम्र में शादी हो। मां बनने की भी सही उम्र होनी चाहिए अगर समय से पहले मां बनने का तो समझ लीजिए मां की तबीयत और बच्‍चे की तबीयत दोनों संकट में रहती है और जिंदगी भर वो पनपते नहीं हैं।

खाने से पहले और खाना खाने के बाद हाथ कैसे धोए जाएं? ऐसे अनेक पहलू भी पोषण के साथ जुड़े हुए हैं। इसी को ध्‍यान में रखते हुए इसी वर्ष राजस्‍थान के झुंझुनू से देश भर में राष्‍ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई है। ये बहुत बड़ा महत्‍वाकांक्षी अभियान है। चुनौती बड़ी है लेकिन ये चुनौती मैंने मेरे बल पर नहीं ली है। ये चुनौती मैंने आप पर मेरा भरोसा है, आपने करके दिखाया है और अब आप करके दिखाएगें। इस विश्‍वास के कारण इतनी बड़ी चुनौती को हमनें हाथ लगाया है। यदि हम सिर्फ पोषण के अभियान को हर माता, हर शिशु तक अगर पहुंचाने में सफल हुए तो लाखों जीवन बचेंगे। देश के विकास को नई गति मिलेगी।

कभी-कभी हम सुनते हैं कि पानी में कोई डूब जा रहा था किसी ने बचा लिया। तो उस गांव में जीवन भर उसके नाम की चर्चा होती है क्‍यों? उसने किसी की जिंदगी बचा दी। रेल की पटरी के नीचे कोई आ रहा था लेकिन किसी ने खींच कर बचा लिया तो दुनिया भर के टीवी में आता रहता है कि देखो कैसे जिंदगी बचाई। लेकिन आप तो वो लोग हैं जो हर दिन अपनी मेहनत से, अपनी त्‍याग और तपस्‍या से अनेक छोटे-छोटे मासूम बच्‍चों की जिंदगी बचाते हैं। एक डॉक्‍टर अपने पूरे जीवन में जितनी जिंदगियां बचाता है। कभी-कभी लगता है कि आप आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर आप छोटे-छोटे काम के द्वारा उससे भी ज्‍यादा जिंदगियां बचा लेते हैं।

देश में चल रहे पोषण माह को सफल बनाने में जुटे आप सभी 24 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को आपके इस योगदान के लिए, आपके इस एक निष्‍ठ कार्य के लिए दिन-रात इन लोगों की जिंदगी बचाने में लगे रहने के लिए मैं आज इस सार्वजनिक रूप से आप सबको आदरपूर्वक नमन करता हूं। और मुझे आज आपको नमन करने का सौभाग्‍य मिला है। इस अभियान के दौरान आपकी क्‍या चुनौतियां रही हैं। क्‍या सुझाव है, क्‍या अनुभव है, ये मैं जानने के लिए बहुत उत्‍सुक हूं क्‍योंकि आपके द्वारा जो बातें आएंगी। अगर पूरी योजना में कुछ कमी होगी तो यहां हम एयरकंडीशन में बैंठे हुए लोग उसका समाधान नहीं कर पाएंगे जितना कि आप अपने रोजमर्रा के व्‍या‍वहारिक जीवन से करते हैं। और आपकी बात जब देश सुनेगा तो देश की और लाखों हमारी साथी बहनें है, कार्यकर्ता हैं। वे भी इसमें से सीखेंगें। और इसलिए मैं आज आपको सुनना चाहता हूं।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहीं ये बड़ी बातें
  •     पोषण का सीधा संबंध स्वास्थ्य से होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने झुंझुनू से राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की थी. यह हमारे लिए बहुत बड़ा मिशन है. इसमें आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है.
  •     होम बेस्ड न्यूबोर्न केयर के माध्यम से आप हर वर्ष देश के लगभग सवा करोड़ बच्चों की देखभाल कर रहे हैं. आपकी मेहनत से ये कार्यक्रम सफल हो रहा है, जिसके कारण इसको और विस्तार दिया गया है. अब इसको होम बेस्ड चाइल्ड केयर का नाम दिया गया है.’’
  •     साल 2014 के बाद से 'मिशन इंद्रधनुष' के तहत पिछड़े इलाकों के नन्हे-मुन्नों तक पहुंचा गया है साथ ही 85 लाख गर्भवती महिलाओं का भी टीककरण संभव हुआ.
  •     चाहे आशा हो, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हो या फिर महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता राष्ट्र निर्माण के अग्रणी सिपाही हैं. मुझे ख़ुशी है आप सभी देश के भविष्य को मज़बूत करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है, देश की हर माता हर शिशु के सुरक्षा घेरे को मज़बूत करने का ज़िम्मा आपने अपने कंधो पर उठाया है.
  •     पूरे देश में सितंबर महीने में पोषण माह मनाया जा रहा है. इस कार्यक्रम का लक्ष्य देश के प्रत्येक घर में अधिकतम पोषण के संदेश को पहुंचाना है
  •     एक नवजात शिशु को परिवार वालों ने मृत मान लिया था. नवजात केयर प्रशिक्षण का उपयोग कर मनीता देवी ने उपचार प्रारंभ किया, एंबुलेंस के माध्यम से स्वास्थ्य केंद्र ले गईं. वाकई आपने जीवन बचाने का कार्य किया है.
  •     सुरक्षा के इस घेरे के तीन पहलू हैं : पोषण, टिकाकरण, स्वच्छता. मैं देश के उन हजारों-लाखों डॉक्टरों का भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जो बिना कोई फीस लिए, गर्भवती महिलाओं की जांच कर रहे हैं.
  •     आप सभी मेरे साथी है, पहले के ज़माने में कहते थे भगवान हज़ार बांहों वाला होता है इसका मतलब था की उसकी टीम में 500 ऐसे लोग होते थे जो हर समस्या का निवारण करने में सक्षम थे.
  •     पहले जन्म के 42 दिन तक आशा वर्कर को 6 बार बच्चे के घर जाना होता था. अब 15 महीने तक 11 बार आपको बच्चे का हालचाल जानना ज़रूरी है. मुझे विश्वास है कि आपके स्नेह और अपनेपन से एक से एक बेहतरीन नागरिक देश को मिलेंगे.
  •     आप सभी कार्यकर्ताओं को आयोडीन और आयरन युक्त डबल फोर्टिफाइड नमक के इस्तेमाल के लिए लोगों को और जागरूक करना पड़ेगा ताकि एनीमिया जैसी बीमारियों को दूर किया जा सके.
  •     गर्भवती महिलाओं की देखभाल और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए बहु-मॉडल हस्तक्षेप के माध्यम से कुपोषण से निपटने की अपने तरह की अनोखी पहल शुरू की गई है. इसके लिए टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
  •     शिशु के जीवन के पहले 1000 दिवस बेहद महत्वपूर्ण है. इस दौरान मिलने वाली खुराक और स्वास्थ्य देखभाल ही भविष्य तय करता है और देश का विकास सुनिश्चित करता है.
  •     स्वस्थ और सक्षम भारत के निर्माण में आप सभी की शक्ति पर मुझे, पूरे देश को पूरा भरोसा है. हमें मिलकर कुपोषण के खिलाफ, गंदगी के खिलाफ, मातृत्व की समस्याओं के खिलाफ सफलता हासिल होगी तभी ट्रिपल A की हमारी ये ताकत देश को A ग्रेड में रखेगी, शीर्ष पर रखेगी.  
  •     सुरक्षित मातृत्व अभियान जो सरकार ने चलाया है उसकी अधिक से अधिक जानकारी आपको लोगों तक पहुंचानी है. गांव, दूर दराज के लोगों से मुलाकात करने के बाद महसूस होता है कि देश किस प्रकार से आगे बढ़ रहा है और आशा से भरा है. वरना तो कुछ लोग निराशा फैलाने में ही लगे हैं.
  •     प्रौद्योगिकी ने आज अनेक मुश्किलों को आसान कर दिया है. प्रौद्योगिकी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है. हमारा फोन अनेक सवालों का जवाब है.  सरकार तो फोन के माध्यम से ही अनेक प्रकार की सुविधाएं सभी देशवासियों तक पहुंचा रही है.
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