कीनाराम महोत्सव का पहला दिन देश के वरिष्ठ पत्रकार जुटे बाबा के दरबार, बाबा के बारे में जनसमूह को बताया
अमिय पाण्डेय ,
Sep 08, 2018, 20:35 pm IST
Keywords: Chandauli Uttarpradesh Baba kinaram ji ramgarh mahotsav Baba kinaram mahotsav kinaram ji ramgarh बाबा कीनाराम कीनाराम जी रामगढ़ महोत्सव कीनाराम महोत्सव चंदौली रामगढ़ कीनाराम जी महोत्सव
चंदौली: पूरी दुनिया मेअघोर परम्परा के ईष्ट आराध्य प्रणेता अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी का 419 वां तीन दिवसीय जन्मोत्सव समारोह दिनांक 8 सितंबर 2018 को शुरू हुआ। लाखों श्रद्धालुओं, देश दुनिया के बुद्धिजीवियों की उपस्थिति में शुरू हुए इस समारोह में पहले दिन प्रातः कालीन आरती के पश्चात स्थानीय कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया और तदुपरांत तीन बजे से सांध्यकालीन गोष्ठी में बुद्धिजीवियों ने अपने विचार रखे।
गोष्ठी में छपरा के जयप्रकाश विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने अघोर परम्परा और उससे जुड़ी भ्रांतियों को साफ करते हुए कहा कि ये परम्परा आध्यात्म की सर्वोच्च परम्परा है जिसका उल्लेख किए बिना आध्यात्म अधूरा है।
बाबा कीनाराम जी, 'अघोर परंपरा' व सामाजिक सरोकार के तहत वैचारिक गोष्ठी में बोलते हुए आजतक के वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा ने अघोर परम्परा के मूल स्वरूप और इसमें अवस्थित सामाजिक अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अघोर और समाज एकदूसरे के पूरक हैं और अघोर परम्परा का साधक या पथिक सामाजिक उत्तरदायित्व की उपेक्षा नहीं कर सकता।
गोष्ठी में बोलते हुए देशबन्धु अखबार के सम्पादक जयशंकर गुप्ता ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज अघोर सन्तों, वृत्तियों और उससे जुड़े सामाजिक सरोकार की भावना का अनुसरण करने की ज़रूरत है।
अघोर परंपरा के सामाजिक और आध्यात्मिक स्वरूप की चर्चा करते हुए दैनिक जागरण दिल्ली एनसीआर के वरिष्ठ समाचार सम्पादक मनोज झा ने अघोर के महज चमत्कारिक पक्ष को ही याद ना रखने की सलाह नहीं दी बल्कि इसके विस्तृत सामाजिक सरोकार पर भी गौर करने का आह्वान किया।
अघोर के आध्यात्मिक, सामाजिक पक्ष को एक ही सिक्के के दो पहलू करार देते हुए आजतक के वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्रा ने बाबा कीनाराम जी, वर्तमान पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम रामजी के आदर्शों पर चलने की नसीहत देते हुए कहा कि आज दिशाहीन समाज को अघोर परम्परा और इसके मानवीय आदर्शो को अंगीकार करने की ज़रूरत है। गोष्ठी में पधारे अन्य वक्ताओं में राष्ट्रीय सहारा वाराणसी के सम्पादक विभूति नारायण चतुर्वेदी ने कहा कि बाबा कीनाराम आजीवन सृष्टि के कल्याण के लिए तप करते रहे। इस परम्परा के विस्तार की ज़रूरत है।
पूर्व न्यायाधीश और उत्तर प्रदेश के पूर्व विधि और न्याय सचिव एस के पाण्डे ने कहा कि आज समाज और देश को जातिवाद की बजाय कर्मवाद और श्रमवाद की ज़रूरत है। अन्य वक्ताओं ने भी अघोर और बाबा कीनाराम की साधना और उपदेशों के कई पहलुओं पर रोशनी डाली।
गोष्ठी का संचालन धनन्जय सिंह ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन सूर्यनाथ सिंह ने किया।
सांध्यकालीन आरती के बाद जन्मोत्सव के पहले दिन के कार्यक्रम का समापन हो गया। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई जिसका सिलसिला देर रात तक चलता रहा।
|
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|
सप्ताह की सबसे चर्चित खबर / लेख
|