शिक्षक दिवस विशेष: भारत में अध्यापक को मजदूर समझा जाता है- डॉ महबूब हसन

शिक्षक दिवस विशेष: भारत में अध्यापक को मजदूर समझा जाता है- डॉ महबूब हसन
चंदौली: शिक्षक दिवस पांच सितम्बर को हर वर्ष मनाया जाता है ऐसे में जनता जनार्दन वेबसाइट संवाददाता ने शिक्षक दिवस के पूर्व संध्या पर अलग अलग प्रोफ़ेसर अध्यापक रिटायर्ड अध्यापक से बात की व उनके मन की बात जानी है.

इसी क्रम में जनताजनार्दन ने दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर जो उर्दू विभाग में अपनी सेवा दे रहे है से बात की आप मूलरूप से चंदौली उत्तरप्रदेश के निवासी है.आपको शिक्षक दिवस की बधाई जनता जनार्दन की तरफ से.... 
 
महबूब हसन साहब ने शिक्षा के बदलते परिवेश और खासकर सरकार से बेहद चिंतित नज़र आ रहे है,आपका कहना है की भारत विश्व गुरु तब तक नहीं बन सकता जब तक उचित सम्मान शिक्षकगण को नहीं मिलेगा चाहे वह नर्सरी,प्राथमिक के हो ,पूर्व माध्यमिक के हो या मध्यमा या किसी कालेज विश्वविद्यालय कार्यरत हो आज हर जगह अध्यापक को मजदूर समझा जा रहा है.
 
इन्होने कहा की रिश्ते मानवता से ख़ाली है और पाठ्यक्रम अभी भी पुराने है सरकार की तरफ से शिक्षकों को वो सम्मान नहीं मिल रहा जो उचित मिलना चाहिए वेतन तो सरकार बढ़ा दी है लेकिन बुनियादी सुविधाएं से अब भी वंचित है  चाहे शिक्षक हो या अन्य इसमें भारत सरकार को बेहतर क्लास रूम  साथ चिकित्स्कीय व्यवस्था भी सम्पूर्ण भारत में मिलनी चाहिए।
 
इन्होने सभी शिक्षक व विद्यार्थियों को शिक्षक दिवस की बधाई दी है साथ ही विद्यार्थियों के लिए इन्होने कहा की वह शिक्षक गण को सम्मान दे. 
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