लाल किला पर स्वतत्रंता दिवस समारोह 2018: ये दस्ते हुए शामिल, दिल्ली बनी छावनी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Aug 15, 2018, 12:46 pm IST
Keywords: Independence Day India Independence Day at Red Fort SWAT teams Snipers Kite-catchers Delhi Independence Day 2018 PM Modi Independence Day speech Lal Qilaआजादी का जश्न लालकिला मुख्य कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 72वां स्वतंत्रता दिवस ध्वजारोहण 15 अगस्त 2018
नई दिल्लीः देश आजादी का जश्न मना रहा है और दिल्ली सुरक्षा के चलते छावनी में तब्दील हो गई है. लालकिला पर मुख्य कार्यक्रम हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से राष्ट्रीय झंडा फहरा चुके हैं. ध्वजारोहण के बाद नरेन्द्र मोदी लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित भी किया.
इस दौरान लाल किला के लाहौरी गेट पर प्रधानमंत्री की अगवानी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे तथा रक्षा सचिव संजय मित्रा ने की. रक्षा सचिव ने जनरल ऑफिसर कमाडिंग, दिल्ली एरिया लेफ्टिनेंट आसीत मिस्त्री का परिचय प्रधानमंत्री से कराया, इसके बाद जनरल ऑफिसर कमाडिंग दिल्ली एरिया प्रधानमंत्री को सलामी बेस तक लेकर गए, जहां संयुक्त अंतर सेवा तथा पुलिस गार्ड द्वारा प्रधानमंत्री को सलामी दी गई. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया. प्रधानमंत्री के लिए गार्ड ऑफ ऑनर दस्ते में एक अधिकारी तथा सेना, जल सेना, वायु सेना तथा दिल्ली पुलिस के 24 कर्मी शामिल थे. गार्ड ऑफ ऑनर प्राचीर के नीचे राष्ट्रीय ध्वज के सीध में दिया गया. इस वर्ष समन्वय का कार्य नौसेना ने किया इसलिए गार्ड ऑफ ऑनर की कमान नौसेना के कमांडर पी.आर. जगन मोहन ने संभाली थी. प्रधानमंत्री की गार्ड ऑफ ऑनर दस्ते में सेना की कमान मेजर सूरज पाल जबकि नौसेना की कमान लेफ्टिनेंट कमांडर एम.वाई.वी. तेजस तथा वायु सेना दस्ते का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर प्रवीण नारायण और दिल्ली पुलिस दस्ते का नेतृत्व एसीपी जगदेव सिंह यादव ने किया. प्रधानमंत्री के गार्ड के लिए सेना का दस्ता प्रथम गोरखा राइफल्स की पाचवीं बटालियन से लिया गया. इस बटालियन का गठन 1942 में धर्मशाला में लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एल.एफ ‘ओ’ फेरल द्वारा किया गया था. बाद में दिसंबर, 1946 में इसे निष्क्रिय कर दिया गया. फिर 1 जनवरी, 1965 को इस बटालियन का दोबारा गठन सोलन, हिमाचल प्रदेश में लेफ्टिनेंट कर्नल गोविंद शर्मा द्वारा किया गया और इस बटालियन को पहला कार्यभार नेफा (अब अरुणाचल प्रदेश) में सौंपा गया. बटालियन ने 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में ‘ऑपरेशन कैक्टस लिली’ में अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय उस समय दिया, जब कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल सी. वेणुगोपाल ने संतोषपुर, उथाली, दरसाना, कुसतिया तथा हार्डिंग ब्रिज पर अपनी इकाई के साथ ताबड़तोड़ पांच हमले किए. इस अभियान के दौरान यूनिट को तीन महावीर चक्र और दो वीर चक्र प्राप्त हुए. इस यूनिट को युद्ध सम्मान दरसाना तथा थिएटर सम्मान ईस्ट पाकिस्तान दिया गया. बटालियन ने 1989 में श्रीलंका में ‘ऑपरेशन पवन’ में भाग लिया और अब बटालियन की सैनिकों की वीरता के लिए दो वीर चक्र और छह सेना पदक मिले. बटालियन ने 1997-99 तक जम्मू-कश्मीर के पंजगाम में ‘ऑपरेशन रक्षक’ के दौरान 36 खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया और बड़ी मात्रा में हथियार और गोलाबारूद बरामद किया. यूनिट की उपलब्धियों के लिए इसे एक शौर्य चक्र तथा आठ सेना पदकों सहित 17 वीरता पुरस्कार मिले. इस यूनिट को सेना प्रमुख का यूनिट प्रशस्ति पुरस्कार प्राप्त हुआ. इस बटालियन को सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन में काम करने का अवसर मिला. मार्च, 2008 से मई, 2009 तक सूडान में इस यूनिट ने अनेक मानवीय कार्यों में हिस्सा लिया और इसे फोर्स कमांडर के यूनिट प्रशस्ति से सम्मानित किया गया. असम में ऑपरेशन राइनो के दौरान बटालियन ने 15 कट्टर उग्रवादियों को मार गिराया और उनके पास से बड़ी मात्रा हथियार और गोलाबारूद बरामद किया. यूनिट को उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (पूर्वी कमान) का प्रशस्ति प्राप्त हुआ. इस यूनिट ने ब्रिटेन में 2007 में आयोजित आर्मी कैम्ब्रियन पेट्रोल चैम्पियनशिप में भारतीय सेना का नेतृत्व किया और इसे स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ. बटालियन अभी राष्ट्रपति के रस्मी सेना गार्ड का कर्तव्य निभा रही है. प्रधानमंत्री गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करने के बाद लाल किले की प्राचीर की ओर गए, जहां रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा तथा वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोवा ने प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया. तिरंगा फहराने के साथ-साथ 2281 फील्ड बैट्री के बहादुर तोपचियों द्वारा 21 तोपों की सलामी दी गई. इस रस्मी बैट्री का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल सी. संदीप और रेजिमेंट हवलदार मेजर कोलाते राजेश श्रीपति गन पॉजिशन ऑफिसर का काम किया. प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के समय राष्ट्रीय ध्वज गार्ड में 1 ऑफिसर तथा सेना, नौसेना, वायु सेना तथा दिल्ली पुलिस के 32 कर्मी शामिल थे. अंतर सेवा गार्ड और पुलिस गार्ड का नेतृत्व नौसेना के कमांडर वैभव एन. जनबंधु ने किया. राष्ट्रीय ध्वज गार्ड के लिए नौसेना दस्ते की कमान लेफ्टिनेंट सीडीआर प्रशांत परबाकर, सेना के दस्ते की कमान मेजर अश्विनी साह, वायु सेना दस्ते की कमान स्क्वाड्रन लीडर विवेक मोहन तथा दिल्ली पुलिस दस्ते की कमान एडिशनल डीसीपी राजेन्द्र प्रसाद मीणा ने संभाली. नैवल बैंड ने राष्ट्र गान बजाया, जब कि प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के दौरान नेशनल गार्ड ने ‘राष्ट्रीय सैल्यूट’ दिया. वर्दी में उपस्थित सभी सेनाओं के जवान खड़े रहे और सैल्यूट दिया. बैंड की कमान मास्टर चीफ पेट्टी ऑफिसर म्यूजिशियन मणिराम के पास थी. नौसेना के दो अधिकारी लेफ्टिनेंट जी ए रेड्डी एवं लेफ्टिनेंट ए जी निखिल एडीसी ड्यूटी के लिए सैल्यूटिंग डायस के दोनों तरफ खड़े रहे. लेफ्टिनेंट सार्थक निश्चल ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने में प्रधानमंत्री की सहायता की. राष्ट्रीय ध्वज गार्ड के लिए सेना की टुकड़ी राजपूताना राइफल्स की 11वीं बटालियन से ली गई थी. इस बटालियन की संस्थापना लेफ्टिनेंट कर्नल रिसाल सिंह (बाद में मेजर जनरल के रूप में सेवानिवृत्त) द्वारा 1 अक्टूबर, 1964 में राजपूत एवं जाट के एक निर्धारित वर्ग संघटन के साथ दिल्ली कैंट में की गई थी. ‘वीर भोग्या वसुंधरा’ के ध्येय जिसका अर्थ होता है, ‘बहादुर ही पृथ्वी के उत्तराधिकारी बनेंगे’, के साथ इस बटालियन ने भारतीय सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशनों नामत: 1971 का भारत-पाक युद्ध, ‘ऑपरेशन ऑर्किड’, ‘ऑपरेशन पवन (श्रीलंका)’, ‘ऑपरेशन रक्षक-1 (पंजाब)', ‘ऑपरेशन रक्षक (जम्मू-कश्मीर)’, ‘ऑपरेशन मेघदूत’, ‘ऑपरेशन विजय’, ‘ऑपरेशन पराक्रम’, ‘ऑपरेशन फाल्कन’, ‘ऑपरेशन राइनो’, ‘यूएनएमआईएस (सुडान)’ में भाग लिया है। अशोक चक्र, एक कीर्ति चक्र, छह शौर्य चक्र, एक शौर्य चक्र बार, चार वीर चक्र, 28 सेना पदक, एक विशिष्ट सेवा पदक और सैन्य कमांडरों द्वारा कई प्रशस्ति पत्रों के साथ एक बेहद अलंकृत बटालियन है. इस बटालियन को 1994 में ‘ऑपरेशन रक्षक (जम्मू-कश्मीर)’ एवं 1999 में एक बार फिर ‘ऑपरेशन मेघदूत’ एवं ‘ऑपरेशन विजय’ में इसके शानदार प्रदर्शन के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ यूनिट साइटेशन से पुरस्कृत किया गया. वे 1994 में जम्मू-कश्मीर राज्यपाल के साइटेशन, 2011 में सुडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन में फोर्स कमांडर के साइटेशन तथा 1994 एवं 2018 में नॉदर्न आर्मी कमांडर साइटेशन के गौरवशाली प्राप्तकर्ता भी रहे हैं। जम्मू–कश्मीर में टरटोक सब सेक्टर का नाम बटालियन के कैप्टन हनीफुद्दीन के बहादुरीपूर्ण कार्य के बाद बदलकर सब सेक्ट हनीफ कर दिया गया जिन्होंने ‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान लद्दाख क्षेत्र की बर्फीली ऊंचाई पर अपनी जान की कुर्बानी दी और मरणोपरांत उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। यूनिट का युद्धघोष ‘राजा रामचन्द्र की जय’ है। प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद स्कूली छात्र और एनसीसी कैडेट ने राष्ट्र गान गाया. सेना, नौसेना और वायु सेना विंग से निर्मित दिल्ली निदेशालय के 16 स्कूलों से लिए गए राष्ट्रीय कैडेट कोर के सात सौ कैडेट ने इस वर्ष ध्वज फहराने के समारोह में भाग लिया. इन कैडेट ने स्कूल के बच्चों के साथ देशभक्ति गीतों को गाने और राष्ट्र गान में हिस्सा लिया. दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के 36 स्कूलों की 3,500 लड़कियों ने राष्ट्र गान गाया और 72 स्कूलों के 5,000 लड़कों ने इस कार्यक्रम का अवलोकन किया. इस अवसर पर, इन स्कूली बच्चों ने 'भारत' को प्रदर्शित किया. इस बीच राष्ट्रीय राजधानी में 72वें स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन स्थल लाल किले और राजधानी के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर सुरक्षा के इंतजामों के बीच दिल्ली को अभेद्य किले में तब्दील कर दिया गया. राष्ट्रीय राजधानी की सुरक्षा में लगभग 70 हजार पुलिसकर्मी तैनात हैं। करीब 10 हजार पुलिसकर्मी लाल किले पर सुरक्षा के लिए तैनात किए गए हैं, जहां प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान वरिष्ठ मंत्रियों, शीर्ष नौकरशाहों, विदेशी हस्तियों और आम लोगों की मौजूदगी होगी। दिल्ली पुलिस के कर्मियों से विशेष रूप से आसमान पर नजर रखने को कहा गया है जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि लालकिले के आसपास के क्षेत्रों में कोई पतंग दिखाई न दे। पिछले साल प्रधानमंत्री जब स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे तो एक काली पतंग मंच के सामने आ गिरी थी। इस पतंग से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था और प्रधानमंत्री ने इससे प्रभावित हुए बिना अपना संबोधन जारी रखा था। लाल किले के आसपास पतंग पकड़ने वालों की तैनाती की गई है और पूर्वाह्न 11 बजे तक क्षेत्र में पतंगबाजी पर रोक लगा दी गई है। लाल किले की तरफ जाने वाली सड़कों पर 500 से अधिक और लाल किले के अंदर 200 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं। फुटेज पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है। इस बार दिल्ली पुलिस की स्वाट इकाई की 36 महिला कर्मी भी अपने पुरुष सहकर्मियों के साथ आयोजन स्थल की सुरक्षा में तैनात होंगी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि लाल किले पर सुरक्षा घेराबंदी की आतंरिक परिधि में एनएसजी के अचूक निशानेबाजों और कमांडो की टीम तैनात की गई है। ड्रोन या प्रक्षेपण वस्तुओं के जरिए हवाई घुसपैठ के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए विमानभेदी तोप तैनात की गई हैं। दिल्ली पुलिस शहर में पहले ही पैरा ग्लाइडिंग, ड्रोन या हॉट एयर बलून उड़ाने जैसी गतिविधियों को प्रतिबंधित कर चुकी है। लाल किले के पास की इमारतों पर पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के जवान तैनात होंगे। प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास से लाल किले तक उनके काफिले वाले मार्ग पर सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों के जरिए नजर रखी जाएगी। दिल्ली पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के गुप्तचर पार्किंग क्षेत्रों पर भी नजर रखेंगे। खोजी कुत्ते भी व्यापक सुरक्षा इंतजामों का हिस्सा थे। दिल्ली मेट्रो रेल निगम के बयान के अनुसार ट्रेन सेवाएं हर रोज की तरह जारी रहेंगी। सुरक्षा कारणों से लालकिले, जामा मस्जिद, दिल्ली गेट और आईटीओ जैसे मेट्रो स्टेशनों पर समारोह के दौरान सीमित प्रवेश और सीमित निकास होगा। बयान में कहा गया कि सुरक्षा कारणों से बुधवार दोपहर दो बजे तक मेट्रो स्टेशनों पर पार्किंग सेवा उपलब्ध नहीं होगी। |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|
सप्ताह की सबसे चर्चित खबर / लेख
|