मजेदार! प्रधानमंत्री मोदी अब कह रहे जीएसटी में एक ही रेट से टैक्स नहीं, दूध और मर्सिडीज़ पर समान कर कैसे?

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 01, 2018, 16:58 pm IST
Keywords: GST   GST anniversary   GST implementation   Modi on GST   PM Narendra Modi   GST benefits   India tax policy   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी   जीएसटी   समान दर   समान टैक्स   जीएसटी का एक साल  
फ़ॉन्ट साइज :
मजेदार! प्रधानमंत्री मोदी अब कह रहे जीएसटी में एक ही रेट से टैक्स नहीं, दूध और मर्सिडीज़ पर समान कर कैसे? नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी के तहत सभी वस्तुओं पर एक ही रेट से टैक्स लगाने को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि मर्सिडीज़ कार और दूध पर एक ही दर से टैक्स नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत सभी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत की एक समान रेट से टैक्स लगाने की कांग्रेस पार्टी की मांग को अगर मान लिया जाता है तो इससे अनाज और कई ज़रूरी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ जाएगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के एक साल के भीतर ही अप्रत्यक्ष करदाताओं का आधार 70 प्रतिशत तक बढ़ गया. इसके लागू होने से चेकपोस्ट समाप्त हो गए. इसमें 17 अलग-अलग करों और 23 तरह के उपकरों (सेस) को समाहित किया गया है.

पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी समय के साथ बेहतर होने वाला सिस्टम है. इसमें राज्य सरकारों, व्यापार जगत के लोगों और संबंधित पक्षों से मिली जानकारी और अनुभवों के आधार पर इसमें लगातार सुधार किया गया है.

जीएसटी में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवाकर, राज्यों में लगने वाले वैट और अन्य करों को समाहित किया गया है. इसका मकसद इंस्पेक्टर राज को समाप्त करते हुए अप्रत्यक्ष करों को ‘‘आसान’’ बनाना है.

प्रधानमंत्री ने ‘स्वराज्य’ मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘यह काफी आसान होता कि जीएसटी में केवल एक ही दर रहती, लेकिन इसका यह भी मतलब होगा कि खाने-पीने की वस्तुओं पर टैक्स की दर शून्य नहीं होगी. क्या हम दूध और मर्सिडीज पर एक ही दर से टैक्स लगा सकते हैं?’’

पीएम मोदी ने कहा, ‘‘इसलिये कांग्रेस के हमारे मित्र जब यह कहते हैं कि हमारे पास जीएसटी की केवल एक दर होनी चाहिए तो उनके कहने का मतलब है कि वह खाने-पीने की चीज़ों और दूसरी उपभोक्ता वस्तुओं पर 18 फीसदी की दर से कर लगाना चाहते हैं जबकि वर्तमान में इन उत्पादों पर शून्य अथवा 5 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा रहा है.’’

स्वराज मैगज़ीन की वेबसाइट पर जारी साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से जहां 66 लाख अप्रत्यक्ष टैक्स पेयर्स ही रजिस्टर्ड थे वहीं 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद इन करदाताओं की संख्या में 48 लाख नये उद्यमियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है.

याद रहे कि देश में वस्तु एवं सेवा कर लागू होने की पहली वर्षगांठ पर आज सरकार 'जीएसटी दिवस' मना रही है। जीएसटी की सालगिराह के मौके पर दिल्ली में कार्यक्रम आयोजन किया गया। इसकी शुरुआत वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी के एक साल के सफर पर तैयार की गई फिल्म 'वन ईयर ऑफ जीएसटी' से की। इस फिल्म में दिखाया गया कि कैसे एक जुलाई की मध्यरात्रि को संसद के सेंट्रल हॉल से देश के इस सबसे अहम टैक्स सुधार कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसमें दर्शाया गया कि किस तरह बीते एक साल के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर पूरे देश में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए काम किया।

इस अवसर पर अरुण जेटली ने जीएसटी लागू होने के एक साल के अंदर क्या बदलाव आए, उसका जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'एक साल पहले तक देश में बहुत जटिल टैक्स व्यवस्था मौजूद थी। कई स्तर पर कई दर पर कारोबारी और उपभोक्ताओं को टैक्स देना पड़ता था। देश के अलग-अलग हिस्सों में विभन्न कीमतों पर सामान बिकता था। लेकिन मोदी सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर देश में सरल टैक्स व्यवस्था को चुना। मोदी सरकार ने जीएसटी को लागू करने के लिए राज्यों को मनाया। उन्होंने कहा, 'पिछले साल नोटबंदी, कालेधन को लेकर उठाए गए कदमों की वजह से जीएसटी का असर अर्थव्यवस्था पर ज्यादा नहीं दिखा, लेकिन इस साल के पहले क्वॉर्टर में इसका असर दिखना शुरू हुआ।' बता दें कि जीएसटी की वर्षगांठ के मौके पर जेटली ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये लोगों को संबोधित किया था।

वहीं, जीएसटी से लाभ का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था को लंबे समय के लिए फायदा होगा। मैं सभी राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं को सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूं। पीयूष गोयल ने कहा कि बीते एक साल से जीएसटी देश में कोऑपरेटिव फेडरलिज्म का सबसे बड़ा उदाहरण है। जीएसटी ने पूरे देश में जीएसटी को उसी तरह से पिरोने का काम किया है जैसे पूर्व में छोटे-छोटे योदगान के साथ रामसेतु बनाने का काम किया गया था। उन्होंने कहा कि देश की युवा पीढ़ी ने काफी सकारात्मक तरीक से जीएसटी को अपनाया। बता दें कि अरुण जेटली का तबियत खराब होने की वजह से पीयूष गोयल वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कामकाज देख रहे हैं।

इस अवसर पर वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा, ' यह देखना दिलचस्प था कि राज्यों ने पार्टी लाइन से हटकर जीएसटी काउंसिल की 27 बैठकों में कैसे अपने हितों की रक्षा की। 31 राज्यों ने डेढ़ महीने के रिकॉर्ड टाइम में जीएसटी बिल पास किया।' उन्होंने बताया कि जून का जीएसटी कलेक्शन 95,610 करोड़ रुपये रहा है।

हालांकि एक ओर जहां जीएसटी के एक साल पूरा होने पर जश्न मनाया जा रहा है। तो वहीं, दूसरे ओर कांग्रेस जीएसटी लागू करने को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम  ने कहा, 'सरकार ने बुरी चीजों को बड़े पैमाने पर (नोटबंदी) और बड़ी चीजों को बुरे तरीके से (जीएसटी) अंजाम दिया। जीएसटी का डिजाइन, स्ट्रक्चर, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रेट और इसे लागू करने का तरीका ऐसा था कि बिजनेस करने वाले, ट्रेडर्स और आम लोगों के लिए जीएसटी एक बुरा शब्द बन गया।'

जीएसटी में करीब एक दर्जन करों को समाहित किया गया है। केंद्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) और कई स्थानीय शुल्कों को जीएसटी में समाहित किया गया, जिसके बाद देश में 'एक देश, एक कर' की यह नई प्रणाली लागू हुई।

इस बीच माना जा रहा है कि सीमेंट, डिजिटल कैमरा और पेंट्स पर जीएसटी की वर्तमान दर 28 फीसद को कम किया जा सकता है। सरकार अधिकांश वस्तुओं को 18 और 12 फीसद के स्लैब में रखना चाहती है। इसीलिए इस दिशा में कदम उठाया जा सकता है। वहीं, सिनेमा टिकट पर भी जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाया जा सकता है। हालांकि इस बारे में आधिकारिक तौर पर अभी कुछ भी नहीं कहा गया है।

गौरतलब है कि पिछले साल एक जुलाई को बिना किसी ठोस तैयारी के बड़े जोर-शोर से 'एक देश, एक कर' की व्यवस्था देश में लागू हुई। संसद के सेंट्रल हॉल में 30 जून और एक जुलाई 2017 की मध्यरात्रि को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में जीएसटी को देश में लागू किया गया। हालांकि इसे बिना तैयारी के लागू करने से हुई दिक्कतों से देश अभी तक दो-चार हो रहा है.

राज्यों की नाराजगी को दरकिनार कर दिया गया और विपक्षी दलों के विरोध की अनदेखी कर  इसे लागू किया गया। उस समय मजबूरी और सरकारी दबाव में 66.17 लाख व्यापारियों ने जीएसटी में माइग्रेशन किया था। सीबीआइसी के मुताबिक एक जून 2018 को जीएसटी में पंजीकृत कारोबारियों की संख्या 1.12 करोड़ हो गयी है। इस तरह एक साल के भीतर ही लगभग 54 लाख नए पंजीकरण जीएसटी में हुए हैं। इसमें टैक्स कितना बढ़ा और सरकारी लूट का क्या हाल रहा, अभी स्पष्ट नहीं है.
अन्य कर लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल