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मुंबई में मानसून का कहरः भारी बारिश से थमा जीवन, सड़क पर पानी ही पानी

मुंबई में मानसून का कहरः भारी बारिश से थमा जीवन, सड़क पर पानी ही पानी मुंबई: देश की वित्तीय राजधानी मुंबई एक बार बारिश से थम गई है. बुधवार रात से भारी बारिश के कारण मुंबई में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. दादर, परेल, कफ परेड, बांद्रा, बोरिवली और अंधेरी में पानी जमा हो गया. शनिवार की सुबह यहां एक बार फिर से भारी बारिश हुई.

बारिश की वजह से शहर के कई हिस्सों में पानी भर गया है और ट्रैफिक जाम लगा हुआ है. भारी बारिश से मुंबई की लाइफ लाइन लोकल ट्रेन के अलावा विमान सेवा पर भी असर पड़ा है.

पिछले 12 घंटों में शहर में 75-95 सेमी. बारिश हुई है. सुबह करीब 30 मिनट तक हुई भारी बारिश की वजह से शहर के कई इलाकों की सड़कों पर पानी भर गया है. जिसमें माहिम, मिंडमाता, परेल और मरीन ड्राइव की सड़के भी शामिल हैं.

खराब मौसम की वजह से दो फ्लाइट्स की उड़ान रद्द हो चुकी है. जबकि कई विमान तय समय से देरी से उड़ान भर रहे हैं. हालांकि अब तक कोई ट्रेन कैंसल नहीं हुई है लेकिन यात्रियों के मुताबिक ट्रेनें भी लेट चल रहीं हैं.

भारतीय मौसम विभाग ने मुंबई सहित महाराष्ट्र के उत्तरी तटीय क्षेत्र में बुधवार से 12 जून तक तेज बारिश होने का पूर्वानुमान जताया है, वहीं, दूर-दराज क्षेत्र में भारी बारिश हो सकती है. अनुमान जताया जा रहा है कि मुंबई में 20 सेंटीमीटर तक भारी बारिश हो सकती है. मुंबई और उसके उपनगरीय शहरों को भारी बारिश की संभावना को देखते हुए अलर्ट जारी किया गया है.
 
मौसम विभाग ने मुंबई समैत महाराष्ट्र के छह जिलों में भारी बारिश की चेतावनी देते हुए लोगों से अपील की है कि वो इस दौरान घर से बाहर ना निकलें. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के लगभग 75 फीसदी से ज्यादा मौसम केंद्रों ने दक्षिण कोकण और गोवा क्षेत्र में भारी बारिश का अनुमान लगाया है.

बयान में बताया गया है, "इन क्षेत्रों के दूरदराज इलाके में इस दौरान बेहद भारी बारिश की संभावना है. इन क्षेत्रों में 12 जून से बारिश में कमी आने की संभावना है." इस बयान में आठ जून से 12 जून के बीच गोवा और कोंकण के तटीय क्षेत्र में 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा बहने की चेतावनी जारी की गई है. बृहन्मुंबई नगर निगम के एक प्रवक्ता ने बताया कि हम सचेत हैं और एहतियाती कदम उठाए गए हैं.

एहतियात के तौर पर मुंबई में बचाव कार्य के लिए नौसेना के साथ एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है. लोगों से घर के बाहर की गतिविधियां सीमित रखने और मौसम पर नजर रखने को कहा गया है. उधर, मौसम विभाग का दावा है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की रफ्तार तेज होने के आसार हैं। 9 जून से मानसून पश्चिम बंगाल व ओडिशा में सक्रिय हो जाएगा.

मुंबई में अगले कुछ दिनों में भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए बीएमसी ने उससे निपटने की तैयारियां शुरू कर दी है. इस सप्ताहांत (9 से 11 जून) तक मुंबई व महाराष्ट्र के कई जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा का अनुमान जताया है. इसे देखते हुए बृहन्मुंबई नगर निगम ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. एनडीआरएफ की तीन टीमों को परेल, मानखुर्द, अंधेरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में ठहराया गया है। उनके पास वॉकी-टॉकी व बाढ़ राहत के उपकरण हैं. इसके अलावा कोलाबा, वर्ली, घाटकोपर, ट्रॉम्बे, मलाव में नौसेना के जवानों को बचाव व राहत के लिए तैनात कर दिया गया है. 247 स्कूलों में राहत शिविर बनाए गए हैं.

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि अगले 24 घंटों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मध्य अरब सागर और मुंबई सहित महाराष्ट्र में आगे बढ़ने के लिए मौजूदा स्थिति उपयुक्त है. बयान में कहा गया है, "तटीय राज्य कर्नाटक, गोवा और दक्षिण महाराष्ट्र में 10 जून तक बारिश की गतिविधि बढ़ने की संभावना है. इसके मुंबई समेत उत्तर तटीय महाराष्ट्र में बुधवार से पहुंचने की प्रबल संभावना है."

आपको बता दें कि आईएमडी के अधिकारियों के मुताबिक दक्षिण पश्चिमी मॉनसून अभी कर्नाटक तक पहुंच गया है और ये तेजी से कोंकण तट की ओर बढ़ रहा है. आईएमडी ने यह भी कहा कि अगले 24 घंटे के दौरान उत्तरी बंगाल की खाड़ी पर कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है और अगले 48 घंटे में इसके अवदाब का रूप लेने और बांग्लादेश तट की ओर बढ़ने की संभावना है. मौसम कार्यालय ने कहा कि इसके कारण उत्तर ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और मेघालय में 9-11 जून के बीच बारिश होगी और कुछ स्थानों पर ‘भारी से बहुत भारी वर्षा’ होगी.

बता दें कि दक्षिण पश्चिमी मॉनसून समुद्र से मैदान की ओर बढ़ता है और जून से सितंबर तक भारतीय उपमहाद्वीप में सक्रिय रहता है. इसकी दो शाखाएं हैं- अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा. इनसे समूचे भारत में वर्षा होती है. मौसम विभाग ने यह भी बताया कि मॉनसून मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों, गोवा, कर्नाटक, रायलसीमा क्षेत्र और तटीय आंध्र प्रदेश, दक्षिण कोंकण के कुछ हिस्सों, दक्षिण-मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ, दक्षिण छत्तीसगढ़, दक्षिण ओडिशा, तेलंगाना और मध्य-पश्चिम और उत्तरी बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ गया है.
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