प्रणब ने आरएसएस को दिखाया सच का आइना, मोदी सरकार को दिलाई राजधर्म की याद: कांग्रेस
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jun 08, 2018, 12:42 pm IST
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नई दिल्लीः कांग्रेस ने प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय में भाषण के बाद सियासी राहत की सांस लेते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने संघ परिवार को देश के बुनियादी मूल्यों का आइना दिखाया है. पार्टी ने कहा है कि मुखर्जी ने देश की विविधता और सहिष्णुता को नकारने वाले संघ को अपने विचारों की संर्कीणता से बाहर आने की नसीहत दी है. साथ ही कांग्रेस के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजधर्म की याद दिलायी है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भाषण अपने आप में बेहद खास रहा. खास इसलिए क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इसे अपने विचार की जीत और दूसरे को दी गई नसीहत बता रही हैं. प्रणब मुखर्जी द्वारा आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता स्वीकार किए जाने का कांग्रेस नेताओं ने जमकर विरोध किया था. कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने प्रणब मुखर्जी से आरएसएस के कार्यक्रम में नहीं जाने की अपील की, लेकिन वो नहीं माने. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक तौर पर प्रणब मुखर्जी को लेकर कोई बयान नहीं जारी किया था. आरएसएस के मंच से प्रणब के भाषण के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने आरएसएस को उसके मुख्यालय में ही आईना दिखाने का काम किया है कि विविधता, सहिष्णुता और बहु-सांस्कृतिकवाद ही लोकतंत्र का भारतीय तरीका है. सुरजेवाला ने कहा कि मुखर्जी ने आरएसएस को भारत का इतिहास याद दिलाया है. उन्होंने बताया है कि भारत की सुंदरता विचारों, धर्मों, भाषाओं की विविधता के प्रति सहिष्णुता में है. क्या आरएसएस सुनने को तैयार है? वहीं, दूसरी ओर जिस तरह पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आरएसएस के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में पहुंचे और संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के जन्मस्थल पहुंचकर उनको श्रद्धांजलि दी, उससे बीजेपी और आरएसएस गदगद नजर आ रहे हैं. इस दौरान प्रणब मुखर्जी ने हेडगेवार को भारत माता का महान सपूत करार दिया, जिसको बीजेपी और आरएसएस अपनी सबसे बड़ी जीत बता रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'प्रणब जी ने अपने भाषण की शुरुआत ही भारत को पहला राष्ट्र बताते हुए की. यही तो हमारा विचार है.' जब हेडगेवार को भारत मां का सपूत बताने पर सुरजेवाला से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि मेहमान के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने जो बातें कहीं है, उन पर चर्चा होनी चाहिए अनावश्यक औपचारिकताओं पर नहीं.' |
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