सूरत में कई कार्यक्रमों में शामिल हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद

सूरत में कई कार्यक्रमों में शामिल हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद सूरतः देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद कल सूरत में थे. वहां वह कई कार्यक्रमों में शामिल हुए. शैक्षणिक, पुरस्कार समारोह और सम्मान. वहां राष्ट्रपति द्वारा दिए गए संबोधन यों है;
 
वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्व विद्यालय, सूरत के दीक्षान्त् समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का अभिभाषण

सूरत, 29 मई, 2018

1.    वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के 49वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आपके बीच आकर मुझे प्रसन्नता हुई है।
2.    इस विश्वविद्यालय के साथ उन्नीसवीं सदी के महान रचनाकार नर्मदाशंकर लालशंकर दवे अर्थात् कवि नर्मद का नाम जुड़ा हुआ है। उनकी गिनती गुजराती भाषा के पुरोधाओं में की जाती है। वे कवि, लेखक, चिंतक, भविष्योदृष्टाज और कोशकार थे। इन सबसे बढ़कर वे एक समाज-सुधारक थे।  महिला-कल्याओण, विधवा-विवाह और राष्ट्र -उत्थािन के लिए उन्हों ने जीवन-भर संघर्ष किया। ‘गरवी गुजरात’ गीत लिखकर उन्हों ने गुजरात को एक विशेष पहचान दी और एक प्रदेश के रूप में उसकी रूप-रेखा सामने रखी। वे मूलत: कवि थे लेकिन गद्य में लिखी उनकी आत्म कथा ‘मेरी हक़ीक़त’ गुजराती भाषा की पहली आत्मेकथा मानी जाती है। कवि नर्मद की आत्मीतयता गुजराती से थी लेकिन उनकी सोच राष्ट्री्य थी। उनकी स्मृति को नमन करते हुए आज मुझे प्रसन्नरता हो रही है।
3.    मुझे प्रसन्नता इसलिए भी है कि मैं आज गुजरात की उस धरती पर आया हूं जिसने देश को महर्षि दयानन्दि सरस्वआती, महात्माह गांधी, सरदार पटेल जैसी महान विभूतियां दी हैं। इसी प्रदेश ने देश को मोरारजी भाई देसाई और नरेन्द्र भाई मोदी जैसे कर्मठ प्रधानमंत्री दिए हैं। इन सभी ने कठिन समय में देश का मार्ग-दर्शन किया है। सही मायने में गुजरात के बिना भारत की विकास-गाथा अधूरी है।
4.    दक्षिण गुजरात का यह क्षेत्र, गुजरात का आर्थिक इंजन  है और सूरत शहर का इसमें महत्वापूर्ण योगदान है। टेक्सटाइल्स और हीरा उद्योग इस नगर की विशेष पहचान है। मुझे बताया गया है कि दुनिया भर के 90 प्रतिशत से अधिक हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग सूरत में होती है। यह एक ऐतिहासिक नगर भी है। कहा जाता है कि इस का नाम पहले ‘सूर्यपुर’ था और एक व्याजपारिक नगर के तौर पर इसका उल्लेसख चीनी यात्री ‘ह्वेन सांग’ ने भी किया है। पिछले कुछ दशकों में इसकी तीव्र प्रगति आश्चर्य-चकित करने वाली रही है। आज यह एक अंतर-राष्ट्रीय नगर बन गया है।
देवियो और सज्जनो,
5.    वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, गुजरात के औद्योगिक नगर सूरत में स्थित है। यहां पर काम करने के लिए दूर-दूर के प्रदेशों से लोग आते हैं। यहां उन्हें  रोज़गार मिलता है और वे भारत का भविष्यू संवारने के लिए काम करते हैं। इसीलिए इस नगर को ‘मिनी इंडिया’ भी कहा जाता है। ऐसे नगर में स्थित होने से इस संस्थान की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। देश के युवाओं को राष्ट्र-निर्माण के लिए तैयार करने में उच्च शिक्षा और नवाचार-चिंतन का विशेष स्था्न है। शिक्षा का उद्देश्य जीवन-निर्माण के अलावा विद्यार्थी के अंदर विचार और कर्म की स्वतंत्रता का पोषण करना है। और दूसरों के कल्याण एवं उनकी भावनाओं  को सम्मान देने का भी है। हमें ऐसे ही विद्यार्थी तैयार करने चाहिए। इन्हीं से देश आगे बढ़ेगा। मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय के कार्य-क्षेत्र में आदिवासी बेटे-बेटियों की जनसंख्या काफी बड़ी है। विश्वविद्यालय इन वर्गों के उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
6.    विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य ‘सत्यम्, ज्ञानम्, अनंतम्’ बहुत सामयिक है। संभवत: इसके पीछे गांधी जी की ‘सत्य‍’ के प्रति, वीर नर्मद की ‘ज्ञान’ के प्रति और महर्षि दयानन्दी की ‘अनन्ता’ के प्रति निष्ठा की प्रेरणा रही होगी। मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से इस विश्व विद्यालय को ‘ए’ ग्रेड प्राप्त  हुआ है।  इससे संस्था् की शैक्षिक उपलब्धियों का प्रमाण मिलता है। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल-कूद भी आवश्यक हैं। मैंने गौर किया है कि विश्वविद्यालय के कई विद्यार्थियों ने अंतर-राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में उच्च् स्थान प्राप्त किए हैं।
7.    मुझे यह जानकर विशेष खुशी हुई है कि इस विश्व्विद्यालय के एक लाख इकतालीस हजार विद्यार्थियों में से बेटियों की संख्या लगभग 82 हजार है जो विद्यार्थियों की कुल संख्या के आधे से काफी अधिक है। आज पदक और पुरस्काथर प्राप्तय करने वालों में भी बेटियों की संख्या2 बहुत अच्छीर है। आज दिए गए 82 पदकों में से बेटियों ने 62 पदक जीते हैं और 71 पुरस्कारों में से 54 पुरस्कार प्राप्ते हुए हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय और इन विद्यार्थियों के माता-पिता बधाई के पात्र हैं।  बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं। यह देश के लिए शुभ लक्षण है।  
8.    जिन विद्यार्थियों को पदक और पुरस्का र प्राप्तल हुए हैं, वे सभी बधाई के पात्र हैं। जो उपलब्धिियां उन्हों ने प्राप्त् की हैं, उनमें शिक्षकों की मेहनत के साथ-साथ उनके माता-पिता और समाज का भी योगदान है। मैं उन सभी विद्यार्थियों को भी शुभ-कामनाएं देता हूं जिन्होंने आज स्नातक, स्नातकोत्तर और पी-एच.डी. की उपाधियां प्राप्ति की हैं और विश्वाविद्यालयी शिक्षा के रूप में अपने जीवन का एक पड़ाव पार किया है। इसके आगे वे जीवन के एक नए क्षेत्र में प्रवेश करने जा रहे हैं। नई-नई चुनौतियां और नए-नए अवसर उनके सामने आने वाले हैं। अवसरों का सदुपयोग करते हुए समाज और देश के विकास का लक्ष्य रखकर उन्हें आगे बढ़ना होगा।

देवियो और सज्जनो,
9.    राज्यपाल श्री ओम प्रकाश कोहली जी स्वयं एक शिक्षाविद् हैं और 35 वर्ष से अधिक समय तक दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े रहे हैं। उनके अनुभवों का लाभ प्रदेश को प्राप्त हो रहा है। मुख्य मंत्री के तौर पर देश और प्रदेश की प्रगति में श्री विजयभाई रूपानी महत्त्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं।
10.    इस विश्वविद्यालय के विकास में नागरिकों और उद्यमियों ने भरपूर योगदान किया है। सूरत के साथ वीर नर्मद विश्वविद्यालय का संयोग यह आशा जगाता है कि अपनी चमक से सूरत इस संस्था्न को प्रेरित करेगा और यह संस्था न सूरत शहर को प्रेरित करेगा। इसी मंगल कामना के साथ मैं वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, अन्य कार्मिकों और विद्यार्थियों को बधाई देता हूं और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभ-कामना करता हूं।
धन्य्वाद,
जय हिन्द‍।  

भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का ‘डोनेट लाइफ’ संस्था के कार्यक्रम में संबोधन

सूरत, 29 मई, 2018

1.    आज का यह कार्यक्रम कई प्रकार से अनूठा है और इस कार्यक्रम में आने से पहले मैं विचार कर रहा था कि सामान्य तौर पर, कोई ख़ास उपलब्धि प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने की परम्परा है। लेकिन आज हम यहां लीक से हटकर सोचने वाले लोगों के परिजनों को सम्मानित कर रहे हैं। समाज को मानवता का, दूसरों के कल्याण का संदेश देने वाले उन लोगों का मैं अभिनन्दन करता हूं, जिन्होंने अपनी सबसे प्रिय वस्तु का दान अर्थात् अंग-दान करने का संकल्प लिया और उसे पूरा किया।
2.    मृत्यु के पश्चात् अपने शरीर के ऐसे अंगों का दान, जो किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किए जा सकें, ही अंगदान कहलाता है। अंग-दान वास्तव में किसी भी दूसरे दान से बढ़कर है। इसकी जरूरत उन लोगों को होती है जिनका कोई अंग, किसी दुर्घटना या गंभीर रोग के कारण खराब हो गया हो और किसी भी प्रकार की चिकित्सा से ठीक न हो सकता हो। ऐसे लोग या तो आगे गुणवत्तावूर्ण जीवन नहीं जी पाते या फिर वे जीवन की आशा ही छोड़ देते हैं। अंगदान से केवल एक व्यक्ति को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को नया जीवन मिलता है। जीवित रहते या मृत्यु के बाद यह नश्वर शरीर या इसका कोई अंग किसी को नई ज़िंदगी दे, यह संकल्प लेने वाला व्यक्ति जीवन-दाता का दर्जा पा जाता है।     
3.    हम सब जानते हैं कि ‘Brain Stem Dead’ घोषित किए जाने के पश्चात् मस्तिष्क भी काम करना बन्द कर देता है परन्तु अन्य अंग कुछ समय तक काम करते रहते हैं। यदि किसी व्यक्ति ने पहले से अंगदान-देहदान का संकल्प किया हुआ हो या उसके निकट-संबंधी ऐसा निर्णय करें तो शरीर के कई अंगों जैसे किडनी, लीवर, हृदय, फेफड़े, आंत, आंखों, हड्डी और त्वचा आदि की harvesting समय से की जा सकती है। और, उनका प्रत्यारोपण किसी जरूरतमंद व्यक्ति के शरीर में किया जा सकता है।
4.    दुनिया भर में चिकित्सा-विज्ञान ने बहुत प्रगति की है। अंग-दान और अंग-प्राप्ति की उन्नत विधियां विकसित कर ली गई हैं। लेकिन अंगों का प्रत्यारोपण, एक निश्चित समय-सीमा में किया जाना होता है। इसमें समय का और पहले से तैयारी का विशेष महत्व है। Organ harvesting से लेकर transplanting तक की प्रक्रियाओं में कुशल समन्वय और perfect time management की जरूरत होती है। Transport, Communication और Information Technology की इसमें विशेष भूमिका रहती है।
5.    भारत के लिए अंगदान और देहदान करना कोई नई बात नहीं है। महर्षि दधीचि द्वारा लोक कल्याण के लिए अस्थि-दान किए जाने का उदाहरण मिलता है। लेकिन, कुछ सामाजिक मान्यताओं और मिथकों के कारण देश में अंगदान के प्रति जागरूकता की कमी दिखाई देती है। 125 करोड़ से अधिक की आबादी वाले इस देश में लाखों लोग अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार केवल किडनी प्रत्यारोपण के लिए ही 20 लाख से अधिक लोग प्रतीक्षा सूची में हैं। इसी प्रकार से लीवर के लिए एक लाख से अधिक लोग प्रतीक्षा सूची में हैं।
6.    लेकिन, स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है। जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है, अधिक से अधिक लोग अंगदान के लिए आगे आ रहे हैं। मुझे बताया गया है कि जीवित लोगों में अंगदान, विशेष रूप से किडनी-दान के मामले में भारत बहुत ऊपर है। नेत्रदान के बारे में भी बहुत तेजी से सुधार हो रहा है।

देवियो और सज्जनो,
7.    अंगदान के लिए जन सामान्य  को प्रेरित करने और जागरूक बनाने का काम मानवता की सेवा का काम है। सामाजिक संस्थाओं, कॉलेजों, चिकित्सा संस्थानों का प्रयास यह होना चाहिए कि वे लोगों को अंगदान और देहदान की प्रक्रिया के बारे में, उनकी भाषा में, सरल से सरल शब्दों में जानकारी दें और उन्हें अंगदान के लिए प्रेरित करें।
8.    इस प्रकार के सम्मान कार्यक्रमों से भी इस कल्याणकारी कार्य में लगे व्यक्तियों और संस्थाओं को काम करने का हौसला मिलता है। कुछ महीने पहले, नवम्बर, 2017 में हम लोगों ने राष्ट्रपति भवन में दधीचि देहदान समिति को आमंत्रित किया था। कार्यक्रम में अंगदान करने वालों को और देहदान संपन्न कर चुके लोगों के परिजनों को सम्मांनित करते हुए इस प्रेरणादायी प्रकल्प से जुड़कर मुझे हार्दिक प्रसन्न‍ता हुई।
9.    देहदान और अंगदान की प्रेरणा के लिए लोगों को कई प्रकार से प्रेरित किया जा सकता है। मुझे बताया गया है कि इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने एक अच्छी पहल की है। उन्होंने यह निर्णय लिया है कि देह-दान का संकल्प लेने वाला व्यक्ति यदि जीवन में कभी किसी बीमारी का शिकार होता है तो उसके इलाज की अच्छी से अच्छी व्यवस्था  सरकारी खर्चे पर की जाएगी। इसी प्रकार से लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में देहदान करने वालों के परिजनों को इलाज में 25 फीसद की छूट देने का फैसला किया गया है। तमिलनाडु ने भी अंगदान के मामले में अनुकरणीय पहलें की हैं। देश में दूसरी जगहों पर भी ऐसे उदाहरण मौजूद हैं।
10.    गुजरात का उदाहरण आपके सामने है। मुझे बताया गया है कि ‘डोनेट लाइफ’  संस्था ने केवल 2017 में ही 127 लोगों को नया जीवन प्रदान किया है। अभी तक यह संस्था कुल मिलाकर 582 लोगों की जिन्‍दगी में परिवर्तन ला चुकी है। इस संस्था के सहयोग से अंगदान के मामले में अनेक उल्ले्खनीय कार्य संपन्न हुए हैं। मुझे विश्वास है कि आज का यह कार्यक्रम, अंगदान के लिए लोगों को और भी प्रेरित करेगा। इस कार्य में ‘डोनेट लाइफ’ को सूरत के विभिन्न संस्थानों और समुदायों का सहयोग प्राप्त हुआ है। मैं इन सभी का अभिनंदन करता हूं और उन्हें, उनके अच्छे कार्य की बधाई देता हूं। अंगदान करने वाले तथा अंगदान-देहदान का संकल्प  लेने वाले लोगों और उनके परिजनों का भी मैं पुन: अभिनंदन करता हूं। आइए, हम सब अपने स्वजनों के साथ अंगदान के बारे में बात करें और मिलकर लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करें।  
धन्यवाद
जय हिन्द‍।

भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का संतोकबा ह्यूमैनिटेरीयन अवार्ड समारोह में सम्बोधन

सूरत, 29 मई, 2018

1.    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और राष्ट्र के वर्तमान स्वरूप के निर्माता सरदार पटेल के प्रदेश, गुजरात में आकर मुझे सदैव बहुत प्रसन्नता का अनुभव होता है।
2.    गुजरात ने देश को श्री मोरारजी देसाई के रूप में एक विलक्षण व्यक्तित्व प्रदान किया है। उन्होंने बॉम्बे स्टेट और बाद में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र सरकार में महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री, और अंततः भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने आदर्शवाद और असाधारण प्रशासनिक क्षमता की अविस्मरणीय छाप छोड़ी है। मुझे भारत रत्न से अलंकृत गुजरात के उस सपूत के साथ काम करने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। उनके साथ मुझे कई बार गुजरात आने का और यहाँ के जन-जीवन को नजदीक से देखने का अवसर मिला था।
3.    देश के नेतृत्व को योगदान देने की गुजरात का प्रभावशाली परंपरा आज भी जारी है। श्री नरेंद्र मोदी जी के रूप में, गुजरात ने हमारे देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री दिया है जिनकी आधुनिक सोच, असाधारण कर्तव्य-निष्ठा और योगदान को विश्व-व्यापी सम्मान प्राप्त हो रहा है।
4.    सूरत शहर से मेरी पुरानी स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं। मुझे याद आता है कि मैं 1971-72 में पहली बार सूरत आया था। सत्तर के दशक में मैं अकसर सूरत आया करता था और कई बार दस-पंद्रह दिनों के लिए यहाँ रुकना होता था। उस समय की पुराने सूरत-शहर की सड़कें और गलियाँ मुझे याद हैं। मुझे श्री हितेन्द्र देसाई जी, जिन्हे लोग अपनेपन से हितू भाई कहा करते थे, का स्मरण हो रहा है। वे इसी सूरत शहर के सपूत थे, और कई वर्षों तक गुजरात के यशस्वी मुख्यमंत्री भी रहे थे। कई बार मैं उनके ही निवास-स्थान पर रुका था।
5.    गुजरात के लोग इतिहास के हर दौर में कितना सचेत रहे हैं इसका एक विशेष उदाहरण मैं आप सब के साथ साझा करना चाहूँगा। 1857 की आजादी की लड़ाई के तुरंत बाद एक ऐसा दौर आया जब भारत के अधिकांश क्षेत्रों में लोग अंग्रेजी हुकूमत को लाभकारी समझने लगे थे। उस युग में इसी सूरत जिले की धरती पर जन्म लेने वाले कवि नर्मद ने ब्रिटिश हुकूमत की नीतियों की असलियत सबके सामने रखी। उन्होने देश के लोगों को अंग्रेजों से संघर्ष करने की प्रेरणा दी। महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में लिखा भी है कि कवि नर्मद का उनकी पीढ़ी के विद्यार्थियों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। यहाँ आने से पहले आज मुझे ‘वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय’ के दीक्षांत समारोह में भी सूरत जिले की उस विभूति को याद करने का अवसर प्राप्त हुआ।     
6.    पिछले वर्ष गांधी जयंती के दिन मुझे पोरबंदर में ‘कीर्ति मंदिर’ जाकर ग्रामीण गुजरात को ‘खुले में शौच से मुक्त’ घोषित करने का सुअवसर मिला था। शहरी स्वच्छता के क्षेत्र में सूरत शहर ने पूरे देश के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। 1994 की महामारी के बाद सूरत के प्रशासन और निवासियों ने अपने संयुक्त प्रयासों के द्वारा इस शहर को देश के स्वच्छतम शहरों में स्थान दिलाया। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि वर्ष 2017 के स्वच्छ सर्वेक्षण में सूरत शहर को गुजरात में प्रथम स्थान और देश में चौथा स्थान प्राप्त हुआ। मैं यह आशा करता हूँ कि आप सभी अपने शहर को देश में प्रथम स्थान दिलाने के लिए प्रयास करते रहेंगे। स्वच्छता की संस्कृति को मजबूत बनाने के लिए सूरत के सभी नागरिकों को मैं बधाई देता हूँ।
7.    यह कहा जा सकता है कि सूरत शहर अवसरों का शहर है और यहाँ एक ‘मिनी-इंडिया’ देखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश आदि अनेक राज्यों से लोग रोजगार की तलाश में यहाँ आते हैं। उनमे से बहुत से लोग अपना व्यवसाय भी करते हैं। यहाँ के लोग अपने सौहार्द से उन्हे अपने साथ मिला लेते हैं। कहा जाता है कि सूरत के लोग जीने की कला जानते हैं। यहाँ के लोगों का खान-पान मशहूर है जिसे ‘सूरत नू जमण’ की कहावत चरितार्थ करती है। समय से रात का भोजन करके ताप्ती नदी के आस-पास जाकर टहलना यहाँ के अधिकांश निवासियों की जीवनचर्या का हिस्सा है। विपरीत परिस्थितियों में भी सूरत के लोग अपना उत्साह और उल्लास बनाए रखते हैं। इन्हीं कारणों से एक प्रमुख आर्थिक केंद्र होते हुए भी सूरत शहर में एक खास तरह का निश्चिंत माहौल देखने को मिलता है।   
8.    सूरत के साथ-साथ, पूरे गुजरात को समग्र विकास के रास्ते पर निरंतर आगे ले जाने के लिए मैं राज्यपाल श्री ओम प्रकाश कोहली जी के अनुभवी मार्ग-दर्शन और मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी जी के कुशल नेतृत्व के लिए उनकी सराहना करता हूँ।
9.    सूरत के उद्यमी लोगों ने प्राचीन काल से ही विश्व-स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उसी कड़ी में आज सूरत के गोविंद ढोलकिया जी ने व्यापार-जगत में अपना स्थान बनाया है। सूरत और गुजरात के लोग अपनी उद्यम-शीलता, सहकारिता और मानव-कल्याण के कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। मुझे खुशी होती है कि गुजरात की इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए ढोलकिया जी जैसे अनेक सफल उद्यमी नैतिकता और समाज-कल्याण के कार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं। अपने कर्मचारियों में स्वच्छता, समाज-सेवा और पवित्र जीवन-चर्या को प्रोत्साहन देकर गोविंद ढोलकिया जी तथा उनकी कंपनी SRK एक्स्पोर्ट्स ने सराहनीय कार्य किया है। यह अन्य संस्थानों के लिए अनुकरणीय है।  
10.    डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन और डॉक्टर वर्घीस कुरियन तथा अन्य ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित करके, जिन्होंने समाज के हित में प्रभावशाली योगदान दिया है, SRK नॉलेज फ़ाउंडेशन ने समाज के हित में किए जाने वाले कार्यों के महत्व को रेखांकित किया है। ‘संतोकबा ह्यूमैनिटेरीयन अवार्ड’ उद्यमियों द्वारा समाज-कल्याण को प्रोत्साहित करने का अच्छा उदाहरण है। इस वर्ष के सम्मान के लिए चुने गए श्री कैलाश सत्यार्थी जी और श्री किरण कुमार जी, भी समाज कल्याण की प्रभावशाली परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।
11.    ISRO के भूतपूर्व निदेशक श्री किरण कुमार जी अन्तरिक्ष विज्ञान के उपयोग द्वारा सामान्य लोगों के जीवन-स्तर को सुधारने में सदैव प्रयास-रत रहे हैं। मुझे बताया गया है कि अपने लंबे कार्यकाल के दौरान वे ‘चंद्रयान’ और ‘मंगलयान’ समेत अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं से जुड़े रहे हैं। उनके प्रयासों का लाभ किसानों, मछुआरों, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों, व्यापारियों और दूरसंचार का उपयोग करने वाले सभी लोगों को मिलता है।
12.    बच्चों के मानवाधिकारों के लिए अपने असाधारण योगदान के कारण नोबेल पुरस्कार से सम्मानित, श्री कैलाश सत्यार्थी जी लगभग 40 वर्षों से निरंतर कार्यरत रहे हैं। मुझे बताया गया है कि आपके प्रयासों से 85,000 से अधिक बच्चों को शोषण से मुक्त किया जा सका है। यही नहीं, उन बच्चों को शिक्षा के अवसर मिले हैं तथा वे अपने जीवन को नए सिरे से शुरू कर पाए हैं। पिछले वर्ष राष्ट्रपति भवन में आयोजित उनकी संस्था के एक समारोह, ‘सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत’ में मुझे कुछ ऐसे बच्चों से मिलकर उनके जीवन के बारे में जानने का अवसर मिला था।     
13.    मैं SRK नॉलेज फ़ाउंडेशन को, श्री ए. एस. किरण कुमार जी व श्री कैलाश सत्यार्थी जी को ‘संतोकबा ह्यूमैनिटेरीयन अवार्ड’ से सम्मानित करने के लिए  बधाई देता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि SRK नॉलेज फ़ाउंडेशन तथा सूरत के सभी उद्यमी अपने समाज-कल्याण के प्रयासों में निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे और पूरे समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत करेंगे।

धन्यवाद
जय हिन्द!
अन्य प्रांत लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल