ट्रंप ने उत्तर कोरिया शिखर बैठक से की तौबा, दी धमकी- सेना तैयार, प्योंगयांग अब भी वार्ता को तैयार
जनता जनार्दन डेस्क ,
May 25, 2018, 11:45 am IST
Keywords: North Korea summit Donald Trump Kim Jong Un Pyongyang US military US North Korea summit NK summit called off Trump warning अमेरिकी-उत्तर कोरियाई शिखर बैठक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप किम जोंग उन
वाशिंगटनः दुनिया में शांति लाने की दिशा में इक्कीसवीं सदी की सर्वाधिक चर्चित 'अमेरिकी-उत्तर कोरियाई शिखर बैठक' फिलहाल खटाई में पड़ गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ होने वाली बहुप्रतिक्षित बैठक रद्द कर दी है. उन्होंने कहा है कि इस समय इस बैठक का होना उचित नहीं है.
ट्रंप ने कहा कि ये फ़ैसला उन्होंने उत्तर कोरिया के हालिया 'बेहद नाराज़गी भरे और भड़काऊ' बयान के बाद लिया है. उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा वो उनसे 'किसी दिन' मिलने के लिए बेहद उत्सुक थे. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, 'मैं वहां आपसे मिलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था. लेकिन आपके हाल के बयान में ज़ाहिर हुई गंभीर नाराज़गी और शत्रुता को देखते हुए मुझे लगता है कि इस वक़्त ऐसी योजनाबद्ध मुलाकात उचित नहीं.' 'आप अपनी परमाणु क्षमता की बात करते हैं, लेकिन हमारी क्षमता इतनी ज़्यादा और शक्तिशाली है कि मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें कभी इस्तेमाल करने का अवसर न आए.' इससे पहले गुरुवार को उत्तर कोरियाई अधिकारी चो सोन हुई ने अमरीकी उप राष्ट्रपति माइक पेंस के बयान को बकवास कहते हुए ख़ारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तर कोरिया 'लीबिया की तरह ख़त्म' हो जाएगा. लीबियाई नेता मुअम्मर गद्दाफ़ी साल 2011 में परमाणु हथियारों को ख़त्म करने के बाद विद्रोहियों द्वारा मार दिए गए थे. उत्तर कोरियाई अधिकारी चो पिछले दशक में अमरीका के साथ कई कूटनीतिक वार्ताओं में शामिल रहे हैं, इसलिए उनकी बातों का अपना महत्त्व है. याद रहे कि इससे पहले गुरुवार को ही उत्तर कोरिया ने अपने एक मात्र परमाणु परीक्षण स्थल में मौजूद सुरंगों को ध्वस्त कर दिया था. कहा जा रहा था कि उत्तर कोरिया ने यह क़दम कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव कम करने के लिए उठाया है. उत्तर कोरियाई परमाणु परीक्षण स्थल के पास मौजूद कई विदेशी पत्रकारों का कहना था कि उन्होंने एक बड़ा विस्फोट देखा है. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उत्तर कोरिया दोनों नेताओं की मुलाकात की तैयारियों में पर्याप्त उत्साह नहीं दिखा रहा था. इससे इस पर भी संदेह पैदा हो रहा था कि अगर मुलाकात होती है तो उसका परिणाम सकारात्मक होगा या नहीं. उत्तर और दक्षिण कोरिया के रिश्तों में आए सुधार से पहले उत्तर कोरिया और अमरीका के बीच जिस तरह की भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल हो रहा था, उससे कोरियाई प्रायद्वीप में संघर्ष की आशंका पैदा हो रही थी. लेकिन उत्तर और दक्षिण कोरिया के रिश्तों में आई नरमाहट ने ट्रंप और किम जोंग उन के बीच मुलाकात का रास्ता साफ़ किया था. योनहैप न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक दक्षिण कोरियाई सरकार के प्रवक्ता किम इयू कियोम ने कहा है कि, "हम इस बात का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप का इरादा क्या है और इस क़दम का सही अर्थ क्या है." एनडीटीवी की खबर के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति माइक पेंस चेतावनी के जवाब में उत्तर कोरिया की उपविदेश मंत्री चोई सोन हुई ने कहा, ‘यह फैसला अमेरिका को करना है कि वह हमसे बैठक के कमरे में मिलना चाहता है या परमाणु मुकाबले में.’ उन्होंने आगे कहा कि अगर अमेरिका उत्तर कोरिया की सद्भावना को नहीं मानता है और अवैध गतिविधियों में शामिल होता है तो किम जोंग-उन प्रस्तावित बैठक में शामिल होने के फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं. इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अगर उत्तर कोरिया ‘कुछ शर्तों’ को नहीं पूरा करता है तो प्रस्तावित बैठक टालने या रद्द करने के विकल्प खुले हैं. बता दें कि उत्तर कोरिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि अमेरिकी अधिकारी हमारे नेतृत्व के खिलाफ चेतावनी देना जारी रखते हैं तो किम-ट्रंप शिखर वार्ता के बारे में हमें दूसरे विकल्प सोचने होंगे। उत्तर कोरिया ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति को अज्ञानी और बेवकूफ बताते हुए सवाल किया कि वे बैठक कक्ष में मुलाकात करना चाहेंगे या परमाणु युद्ध में निर्णायक मुकाबला करना चाहेंगे। उत्तर कोरिया के विदेश मामलों के उपमंत्री चो सुन-हुई ने देश की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए के माध्यम से जारी अपने बयान में अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस को फॉक्स न्यूज पर उनके इंटरव्यू के लिए खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि पेंस की बेवकूफी वाली बातें सुनकर मैं हैरान हूं। अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने फॉक्स न्यूज के इंटरव्यू में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग को चेताते हुए कहा था कि ट्रंप को आजमाना और उनके साथ खिलवाड़ करना भारी भूल होगी। उपविदेश मंत्री चोई सोन हुई ने उत्तर कोरिया की तुलना लीबिया से करने पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी. अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस को ‘राजनीतिक पुतला’ बताते हुए उन्होंने कहा, ‘वे परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया की लीबिया से तुलना करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके पास महज कुछ उपकरण थे. हम उनसे बेहतर अनुमान लगा सकते हैं.’ चोई सोन हुई ने आगे कहा कि उपराष्ट्रपति होने के नाते उन्हें वैश्विक मामलों की थोड़ी जानकारी भी होनी चाहिए. सोमवार को फॉक्स न्यूज के साथ बातचीत में माइक पेंस ने कहा था, ‘राष्ट्रपति स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर किम जोंग-उन कोई समझौता नहीं करते हैं तो इस विवाद का अंत भी लीबिया मॉडल की तरह होगा.’ यह पूछे जाने पर कि क्या यह उत्तर कोरिया को धमकी है, माइक पेंस ने कहा था, ‘यह काफी हद तक सच्चाई है.’ 2003 में लीबिया के शासक मुअम्मर गद्दाफी ने प्रतिबंध हटाने के बदले अपना परमाणु हथियार कार्यक्रम बंद कर दिया था. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वार्ता रद्द होने से वो गंभीर रूप से चिंतित हैं. "मैं दोनों पक्षों से आग्रह करता हूं कि वो संवाद जारी रखें ताकि कोरियाई प्रायद्वीप को शांतिपूर्ण तरीके से परमाणु मुक्त करने के लिए रास्ते की तलाश की जा सके." तो क्या अब उत्तर कोरिया फिर से लंबी दूरी के बलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण शुरू करेगा? क्या एक-दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी की फिर से शुरुआत होगी? या फिर कूटनीतिक संबंधों को मामूली रूप से ही बनाए रखने की कहीं कोई संभावना बची है? उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया वार्ता के लिए अमरीका के सामने 'गिड़गिड़ाएगा' नहीं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कूटनीति नाकाम होती है तो परमाणु क्षमता दिखाई जाएगी. अमेरिका ही वह देश है, जिसने किम जोंग-उन की हत्या कराने की साजिश रची थी. दरअसल, उत्तर कोरिया की सरकारी एजेंसी ने कुछ समय पहले इलजाम लगाया था कि सीआईए ने दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर किम जोंग उन को मारने की कोशिश की थी. हालांकि, ये कोशिश नाकाम हो गई, लेकिन कातिल किम जोंग उन के बेहद करीब तक जा पहुंचे थे. |
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