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वाराणसी पुल हादसाः दुर्भाग्य मोदी जी, योगी जी! मलबे में सिर्फ लाशें नहीं आपको लेकर उम्मीदें भी दफन हुईं

वाराणसी पुल हादसाः दुर्भाग्य मोदी जी, योगी जी! मलबे में सिर्फ लाशें नहीं आपको लेकर उम्मीदें भी दफन हुईं वाराणसीः भोले बाबा की नगरी काशी में और उसके आसपास इनदिनों विकास और तरक्की के नाम पर जो हो रहा है, कैंट का ओवरब्रिज हादसा उसका एक छोटा सा नमूना भर है. शर्मनाक तो यह कि इस संसदीय क्षेत्र की नुमाइंदगी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं, और कहते हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस इलाके पर खास नजर है. एक और तथ्य, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय बगल की संसदीय सीट चंदौली की नुमाइंदगी करते हैं, और देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह का यह पैतृक जनपद है. यानी हर कोण से वीवीआईपी क्षेत्र.

जब वीआईपी क्षेत्र में विकास योजनाओं में घोटाले की यह गति है, तो पूरे देश में भ्रष्टाचार और जनता की कराह को समझना कोई मुश्किल काम नहीं. पर अफसोस की वाराणसी में तैयार हो रहे इस मौत के पुल के नीचे जो जिंदगियां दफन हुईं, उनके परिवारवालों के अलावा किसी और के लिए यह घटना आनी और जानी ही होगी. पर उनका क्या, जो सिर्फ गालबजाऊ सुशासन में रोज कराह-कराह कर, परेशान, बेहाल, भय या हादसों का शिकार हो जी रहे हैं.

कल जब शाम के धुंधलके के साथ वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन स्थित निर्माणाधीन पुल गिर जाने की खबर आई, तो लगा नहीं कि यह इतना बड़ा हादसा है. पर उस पुल के नीचे कई चार पहिया वाहन व एक डीपो बस व वहां से गुजर रहे राहगीर दब गए. प्रशासन को आशंका थी कि लगभग पचास से अधिक लोग पुल के नीचे दब गए हैं.  सरकार और प्रशासन अपनी गति से चले भी. लोग बचाए भी गए. उनकी मदद भी हो रही, जांच के आदेश भी दे दिए गए, पर जो लोग इस हादसे का शिकार हो अपनी जान गंवा बैठे या अपना अंग भंग कर बैठे उन लोगों को राहत कैसे मिलेगी?

लोगों की दुखद गाथा मुआवजे से दूर न होगी हुजूर

बिहार के छपरा के रहने वाले राम बहादुर सिंह का परिवार इस हादसे के शिकार हुए लोगों में से एक है. राम बहादुर सिंह बनारस में सिंडिकेट बैंक में काम करते थे. बनारस में ही अपने परिवार के साथ रहते थे, बड़ी बेटी पल्लवी रुस में मेडिकल की तैयारी कर रही है वहीं 16 साल के बेटे वैभव ने इसी साल दसवीं की परीक्षा दी थी.

इंजीनियर बनने का ख़्वाब देख रहा वैभव कोटा में रहकर तैयारी कर रहा था, उसकी पढ़ाई में मदद करने और खाने-पीने का ध्यान रखने के लिए उसकी मां भी उसके साथ कोटा में ही रह रही थीं. कुछ दिन पहले ही वैभव अपनी मां के साथ बनारस अपने घर आया था और जिस वक़्त ये दर्दनाक हादसा हुआ, उस वक्त वैभव के पिता रामबहादुर सिंह वैभव और अपनी पत्नी को रेलवे स्टेशन छोड़ने जा रहे थे. लेकिन स्टेशन से चंद कदम पहले ही पिता-पुत्र इस भयावह हादसे का शिकार हो गए, हादसे में वैभव की मां भी बुरी तरह से घायल हुई हैं जिनका इलाज चल रहा है.

घटना की खबर लगते ही उनके साले राजेश रंजन सिंह अपने दोस्त नागेन्द्र पांडेय के साथ छपरा से बनारस पहुंचे, एबीपी न्यूज़ का दावा है कि उसके संवाददाता से बातचीत में मृतकों के परिजनों ने इस घटना के पीछे प्रशासन की लापरवाही को कारण बताया और मांग की कि चूंकि अब परिवार में भरण-पोषण का संकट आ चुका है इसलिए परिवार में किसी न किसी को सरकारी नौकरी दी जाए और परिवार को उचित मुआवज़ा दिया जाए.

फ्लाइओवर हादसे ने वाराणसी के पास ही गाजीपुर के एक परिवार की तो पूरी दुनिया ही उजड़ गई. गाजीपुर के सहेड़ी गांव के खुशहाल राम बेटे संजय के इलाज के लिए बोलेरो गाड़ी से वाराणसी आए थे. खुशहाल राम के साथ उनके दूसरे बेटे शिवबचन राम भी थे. साथ में ड्राइवर वीरेंद्र भी था. संजय का इलाज वाराणसी के कैंसर अस्पताल में चल रहा था. संजय की कीमोथेरेपी चल रही थी. कीमोथेरेपी के बाद ये लोग गांव लौट रहे थे. लेकिन उनकी गाड़ी पर फ्लाइओवर का बीम गिरा और इस हादसे में खुशहाल राम और उनके बेटों संजय और शिवबचन की मौत हो गई.

जिस बोलेरो से ये लोग वाराणसी गए थे और हादसे का शिकार हो गए वो बोलेरो संजय चलाते थे और उससे अपना जीवन यापन करते थे. इस परिवार के गांव पर इस समय कोहराम मचा हुआ है और महिलाओं का रो रोकर बुरा हाल है. संजय और शिवबचन की पत्नी और 10 वर्षीय बच्चे का रो रोकर बुरा हाल है. साथ ही पूरा परिवार सदमे से नही उबर पा रहा है. संजय की पत्नी और उनका बेटा और साथ ही पूरा परिवार घटना के लिये सरकार को दोषी मान रहा है. परिवार को लोगों का कहना है कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिये.

वाराणसी के हादसे में बस्ती जिले के रहने वाले अश्विनी ने अपने पिता को खो दिया है. उनके दो रिश्तेदार हादसे में जख्मी हैं. अश्वनी के पिता वाराणसी में कार खरीदने आए थे, वो शोरूम से कार लेकर निकले ही थे कि हादसे की चपेट में आ गए. अश्वनी के पिता कार में आगे बैठे थे उनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनके दामाद का पैर टूट गया. अश्वनी का पूरा परिवार इस हादसे से हिल गया है.

वहीं वाराणसी के जिस ट्रॉमा सेंटर में ब्रजेश भर्ती है उसी में वो फर्स्ट एड की ट्रेनिंग कर रहे थे, ब्रिजेश एनडीआरएफ के जवान हैं जो इसी ट्रॉमा सेंटर से अपने दो जवान साथियों के साथ उस बस से जा रहे थे जो इस हादसे की चपेट में आ गयी. इनके दो साथी मऊ जिले के रहने वाले राममिलन सिंह और अलीगढ़ के रहने वाले भवानी सिंह की मौत हो गयी, इस ऑपरेशन में राहत बचाव और खोज के काम में एनडीआरएफ की सात टीमें और 325 लोग लगे थे. लेकिन उनकी बदकिस्मती ही कहेंगे की अपने ही दो साथियों को खो दिया और एक का इलाज उसी अस्पताल में करा रहें हैं, जहां वो ट्रेनिंग ले रहे थे.

ऐसी कहानियां अनगिन हैं. एक भी जान की अपनी कीमत है, पर जब लक्ष्य पैसा और सत्ता ही हो तो वह संवेदना कहां से आए जो लोगों के दुख को बांट सके.

घटनास्थल की हकीकत

खबर यह है कि राहत कार्य लगभग एक घंटे बाद तब शुरू हो सका जब पुल गिरने की सूचना पाकर मौके जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी पहुंचे. फिर पुलिस बल, पीएसी, एनडीआरएफ की टीम के साथ सेना के जवानों को राहत बचाव के कार्य में लगाया गया. हादसे के बाद अफरातफरी का आलम यह था कि जितने मुंह उतनी बातें. मलबे में दबे वाहनों और बुरी तरह से कुचल कर लाशों में बदल चुके शरीरों को काफ़ी मशक्कत करने के बाद निकाला गया.

वाहनों पर गिरे हुए पुल को हटाने के लिए कई क्रेनें जुटीं पर देर रात तक भी पूरी तरह से मलबा हटाया नहीं जा सका. शुरुआती घायल अपने दम पर भी अस्पताल जा पहुंचे. एक महिला और उसके बच्चे के साथ ही तीन अन्य लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया.

हादसे के तुरंत बाद वाराणसी पहुंचे उपमुख्यमंत्री के प्राथमिक बयानों से भी यह लगा कि सरकार भी यह मान रही है कि इस हादसे के मूल में भ्रष्टाचार है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच होगी, और दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा. उनके ऊपर कठोर कार्यवाही की जाएगी.

इस बीच, सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वाराणसी में हुए हादसे में लोगों को बचाने के लिये अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से बचाव दल के साथ पूरा सहयोग करने की अपील की. उन्होंने यह भी कहा कि वह सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह केवल मुआवजा देकर अपनी जिम्मेदारी से भागने के बजाय पूरी ईमानदारी से जांच करवायेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हुए इस बड़ी घटना पर दुख जताया एवं हादसे में मरने वालों के लिए पांच लाख रुपए मुआवज़ा देने का एलान किया. पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वाराणसी मे घटना स्थल पर पहुंच कर जायजा लेने की बात कही, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी पहुंचे, और उन्होंने मुआवजा घोषणाओं के साथ ही हादसे की जांच के आदेश भी दिए.

हादसे के बाद देर रात सीएम योगी लखनऊ से बनारस पहुंचे और यहां अस्पताल में घायल लोगों से मुलाकात की, उनका हाल जाना. योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान करने के साथ-साथ जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने को कहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र ने हुई इस घटना पर दुख जताते हुए ट्वीट कर बताया कि उन्होनें स्थानीय अधिकारियों से बात कर पीड़ितों को हर मुमकिन मदद मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी हादसे पर दुख जाहिर किया है. पर अब भी मृतकों-घायलों का कोई पुरसाहाल नहीं है. आज सुबह से सब अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में जुट गए हैं.

प्रधान सचिन (सूचना) अवनीश अवस्थी ने मरने वालों की संख्या की पुष्टि की है. उनके अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिरने से 18 लोगों की मौत हो गई है. घटनास्थल से मिल रही तस्वीरों से हादसे की भयावहता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक़ पुल का गार्डर उस समय गिरा जिस समय पुल के नीचे ट्रैफिक जाम था. गिरते ही इस गार्डर की चपेट में कई कारें और दुपहिया वाहन आ गए. यह दुर्घटना जीटी रोड पर कमलापति त्रिपाठी इंटरकॉलेज के सामने घटी है. घटनास्‍थल पर कई गाड़ियां, जिनमें बस, कई कारें और लगभग आधा दर्जन से ज्‍यादा मोटरसाइकिलें भारी भरकम गार्डर के नीचे दबी हुई हैं.

पुल के नीचे से गुज़र रही कई गाड़ियां फ़्लाईओवर के पिलर के नीचे दब गईं. पिलर के नीचे से 18 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं. इस हादसे में मरनेवालों का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है. 7 घायलों में 2 की हालत गंभीर बनी हुई है. तीन लोगों को मलबे के नीचे से ज़िंदा निकाला गया.

वाराणसी से सांसद पीएम मोदी और सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर दुख जताते हुए दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की बात कही है. वहीं फ़्लाईओवर बना रही एजेंसी सेतु निगम के 4 अफ़सरों को सस्पेंड कर दिया गया है. सीएम ने हादसे की जांच के लिए एक कमेटी बना दी है. जो 48 घंटे में अपना रिपोर्ट सौंपेगी.  

इसमें चीफ प्रोजेक्टर मैनेजर एचसी तिवारी, प्रोजेक्‍ट मैनेजर के.आर सूदन, असिस्‍टेंट इंजीनियर राजेश सिंह और इंजीनियर लालचंद को सस्‍पेंड किया गया है. इस हादसे में सस्‍पेंड किए गए प्रोजेक्ट मैनेजर के. आर. सूदन ने कहा कि, 'इसमें कुछ गलती नहीं हुई है. काम खत्‍म करने का प्रेशर था. हम बहुत परेशान हैं अभी.'

हादसे पर दुःख व्यक्त करते हुए राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, 'वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर के गिरने से 18 लोगों की हुई मृत्यु से आहत हूं. बहुत सारे लोग घायल हुए हैं और कई अभी भी मलबे के तले दबे हैं, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं. स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अनुरोध है कि दुर्घटना से प्रभावित परिवारों की हर संभव मदद करें.'
   
इस बीच, सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वाराणसी में हुए हादसे में लोगों को बचाने के लिये अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से बचाव दल के साथ पूरा सहयोग करने की अपील की. उन्होंने यह भी कहा कि वह सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह केवल मुआवजा देकर अपनी जिम्मेदारी से भागने के बजाय पूरी ईमानदारी से जांच करवायेगी.

प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा राहत बल को मौके पर भेजा गया है और पुलिस तथा पीएसी बल भी पहुंच रहा है. उन्होंने बताया कि मलबे से निकाले जाने वाले घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिये इंतजाम किया जा रहा है.

शर्मनाक यह है
 
* पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बड़ा हादसा
* आखिर काशी कैसे बनेगा क्योटो
* चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर सहित तीन और अधिकारी हुए निलंबित, पर दोषी क्या केवल यही?
* एक तरफ छाया रहा मौत का मातम, तो दुसरी तरफ राजनेता सेंकते रहे अपनी राजनीतिक रोटियां
* राजनेताओं ने लगाया एक दूसरे की पार्टी पर आरोप
* इलाके में जातीय भ्रष्टाचार चरम पर है
* लोगों में जीवन-यापन को लेकर मारामारी, अफसर और दलाल मजे लूट रहे, जनता तबाह है
* चंदौली क्षेत्र में बिजली और पानी का संकट, सड़कें बदहाल
* पूरे उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था गड्ढे में, न्याय के आसार खत्म

पुल के बारे में जानकारीः
  •     1 अक्टूबर 2015 में हुआ था चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के विस्तारीकरण का शिलान्यास.
  •     1710 मीटर होना है फ्लाईओवर निर्माण.
  •     30 महीने में पूरा होना था काम.
  •     77.41 करोड़ है प्रोजेक्ट की लागत.
  •     63 पिलर बनने हैं फ्लाईओवर विस्तारीकरण के तहत.
  •     45 पिलर अभी तक हो चुके हैं तैयार.
  •     30 जून तक पूरा करना था प्रोजेक्ट.
  •     समयावधि बढ़ने के बाद सेतु निर्माण निगम की गाजीपुर इकाई का रही थी काम.
  •     बीम चढ़ाने के एलाइनमेन्ट के दौरान हुआ हादसा
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