कर्नाटक विधानसभा नतीजाः मोदी की भाजपा के लिए भारी जीत और राहुल गांधी की कांग्रेस के लिए शर्मनाक हार

कर्नाटक विधानसभा नतीजाः मोदी की भाजपा के लिए भारी जीत और राहुल गांधी की कांग्रेस के लिए शर्मनाक हार नई दिल्लीः कर्नाटक चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में भारतीय जनता पार्टी को मिलती दिख रही जीत से एक बार फिर से यह साफ हो गया है कि चार साल बाद भी मोदी लहर कम नहीं हुई है. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर अपने को साबित करने में असफल रहे हैं. जाहिर है अगर उन्हें कुछ करना है तो अब उन्हें अपने चाटुकारों को किनारे लगाना होगा.

नरेंद्र मोदी की लहर बीजेपी को 2014 में केन्द्र की सत्ता सौंपने के बाद भी कायम है. देश के 29 राज्यों में से 21 राज्यों पर बीजेपी सत्ता पर काबिज होने जा रही है यानी 21वां राज्य कर्नाटक भी अब बीजेपी के पास जा रहा है. एक बार फिर मोदी लहर ने कमाल दिखाया है और नतीजा कांग्रेस को अपना सबसे मजबूत किला (कर्नाटक) ढ़हते हुए देखना पड़ रहा है.

कांग्रेस को यह शिकस्त कर्नाटक के उन सभी छह राजनीतिक जोन में मिली है, जिनमें से कम से कम तीन जोन को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है. मंगलवार दोपहर तक वोटों की गिनती और रुझानों से साफ है कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है. बीजेपी लगभग 121 सीटों पर जीत की दिशा में आगे है और वहीं कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा लगभग आधी सीटों पर हार का सामना करना पड़ रहा है.

बीजेपी को कर्नाटक के सभी जोन यानी ओल्ड मैसूर, कोस्टल-कर्नाटक, बेंगलुरु-कर्नाटक, मुंबई-कर्नाटक, सेंट्रल कर्नाटक और हैदराबाद-कर्नाटक में शानदार जीत मिली, तो दूसरी ओर कांग्रेस इन जोन में खराब प्रदर्शन के साथ-साथ कोस्टल कर्नाटक, सेंट्रल-कर्नाटक, हैदराबाद-कर्नाटक और ओल्ड मैसूर के अपने गढ़ को गंवाना पड़ा.

कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी. कांग्रेस पार्टी की कमान राहुल गांधी को मिलने के बाद हुए ये चुनाव बेहद अहम था. कांग्रेस की कवायद थी कि पार्टी के नए अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में होने वाला पहला चुनाव किसी भी कीमत पर जीता जाए. यही वजह रही कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फरवरी 2018 में ही कर्नाटक चुनाव प्रचार का बिगुल फूंक दिया था. फरवरी से लेकर मई तक राहुल गांधी ने राज्य की 222 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया.

तीन दर्जन से अधिक रैलियां और सैकड़ों कॉर्नर मीटिंग के जरिए राहुल गांधी ने बीजेपी के लिए कर्नाटक को सबसे मुश्किल चुनाव में तब्दील कर दिया. राहुल गांधी के इस आक्रामक तेवर के उलट बीजेपी ने पोलिंग से महज 12 दिन पहले एक मई को प्रधानमंत्री का कर्नाटक दौरा रखा. एक मई से 12 मई तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य का तूफानी दौरा किया और करीब दो दर्जन रैलियों को संबोधित किया. हालांकि इस दौरान कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री से कन्नड़ भाषा में पांच सावल पूछते हुए उनकी रैलियों के असर को खत्म करने की कोशिश की.

सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री से ये पांच सवाल क्षेत्रीयता की राजनीति पर पूछे, लेकिन कर्नाटक की जनता ने इन्हें गंभीरता से नहीं लिया. नतीजा अब देश के सामने है, कर्नाटक की जनता पर भी प्रधानमंत्री मोदी का जादू चल गया और उसने सत्तारूढ़ कांग्रेस को बेदखल करते हुए कमान बीजेपी के हाथ में सौंप दी है.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव कांग्रेस हार गई है. कांग्रेस ने भी इस हार को मान लिया है. लेकिन राहुल की अगुवाई में कांग्रेस का जीतना बहुत जरूरी था क्योंकि इसके नतीजों का असर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित लोकसभा के चुनाव में भी पड़ना तय है. इस चुनाव के बाद बीजेपी निश्चित तौर पर दक्षिण में और मजबूती हासिल करेगी.

अभी तक के विश्लेषण के मुताबिक कांग्रेस का कोई भी दांव कर्नाटक में कारगर साबित नहीं हुआ. वहीं जेडीएस किंग और किंगमेकर की भूमिका का दावा कर रही अब किस ओर जायेगी ये देखने वाली बात होगी. गौरतलब है कि कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से 222 सीट के लिए मतदान 12 मई को हुआ था. इसमें 2 सीटों का चुनाव रद्द करना पड़ा था. कर्नाटक में बहुमत के लिए 112 सीटें चाहिये. सीएम सिद्धारमैया ने यहां पर साल 2013 में हुये चुनाव में बीजेपी सरकार को हरा दिया था.

कर्नाटक में कांग्रेस की हार की वजहें
  •     कर्नाटक की सत्ता पर कांग्रेस पांच साल सत्ता में रही है. इस बीच कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के कॉडर को मजबूत करने के लिए कोई काम नहीं किया. वहीं बीजेपी ने अपने कॉडर को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है.
  •     कांग्रेस के पास राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर कोई ऐसी आर्थिक नीति नहीं है जिससे लगे कि वह बीजेपी से अलग है. उसके पास कोई साफ नीति नहीं है. एक और जहां आधार को लेकर लोग परेशान हैं वहीं कांग्रेस अभी तक यह फैसला नहीं कर पाई कि उसका विरोध करना है या नहीं. वहीं पीएम मोदी हर रैली में आधार के दम पर भ्रष्टाचार मिटाने की बात करते हैं.
  •     चुनाव से पहले सीएम सिद्धारमैया ने लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने की सिफारिश कर दी थी. लिंगायत परंपरागत तौर बीजेपी का वोटबैंक माना जाता है. लेकिन सिद्धारमैया के इस दांव ने बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया था लेकिन बीजेपी ने इसको हिंदू को बांटने का मुद्दे में बदल दिया और उसके प्रचारतंत्र ने सिद्धारमैया के इस दांव को बेअसर कर दिया.
  •     कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ऐसा लग रहा है राहुल गांधी प्रभाव नहीं डाल पाये हैं. वह इस चुनाव में पीएम मोदी पर सीधा हमला बोलते नजर आये लेकिन पीएम मोदी ने रणनीति के तहत उनके किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया.
  •     कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. ऐसा लग रहा है कि ग्रामीण इलाके मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग ने कांग्रेस को वोट नहीं दिया है.  
  •     कांग्रेस राज्य में सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं कर पाई. शुरू में माना जा रहा था कि मोदी सरकार भी यहां पर सत्ता विरोधी लहर का सामना करेगी लेकिन बीजेपी ने इसका असर नहीं पड़ने नहीं दिया.
  •     इस चुनाव में जेडीएस मजबूत होकर उभरी है. ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के हिस्से में पड़ने वाले वोट जेडीएस के पाले में गये हैं.
  •     बीजेपी में बीएस येदियुरप्पा की वापसी का फायदा बीजेपी को मिला है. साल 2013 में येदियुरप्पा ने अलग पार्टी बनाकर बीजेपी का काफी नुकसान किया था. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं.
  •     बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को सीएम पद का प्रत्याशी बना दिया जबकि वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही जेल जा चुके हैं. लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस इसको मुद्दा नहीं बना पाई. सिद्धारमैया सरकार ने तीन साल तक येदियुरप्पा के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. दूसरी ओर बीजेपी ने सिद्धारमैया की महंगी घड़ी को मुद्दा बना दिया.
  •     गर्वनेंस के मुद्दे पर भी सिद्धारमैया सरकार का प्रदर्शन काफी खराब रहा है. कर्नाटक के कई बड़े शहरों में हालत खराब है.
  •     बीजेपी की चुनावी मशीन ने एक बार फिर से सफल अभियान चलाया और पार्टी की जीत दिला दी. अमित शाह की टीम के कांग्रेस की ओर से उठाये गये हर मुद्दे पर पर्दा डाल दिया. वहीं हर चुनाव की तरह इसमें भी बीजेपी का बूथ मैनेजमेंट कारगर साबित हुआ और कांग्रेस इस मामले में काफी पीछे है.
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