करदाताओं के पैसे पर मौज असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को 'सरकारी बंगला' कानून खत्म किया
जनता जनार्दन संवाददाता ,
May 07, 2018, 13:27 pm IST
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब सरकारी बंगला का कानून बदल जाएगा और उन्हें ऐसे बंगले अब नहीं मिलेंगे. करदाताओं के पैसे पर मौज को सबसे बड़ी अदालत ने गैरकानूनी करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक स्वयंसेवी संस्था लोक प्रहरी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को यह फैसला सुनाया.
पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक कानून बनाया था, जिसके मुताबिक उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को रहने के लिए सरकारी बंगला दिए जाए का प्रावधान किया गया था. इसी कानून को एक जनहित याचिका के जरिए चुनौती दी गई थी, जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अखिलेश सरकार के कानून को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब अखिलेश यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह को प्रदेश में मिला सरकारी बंगला खाली करना होगा. उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने वाले कानूनी संशोधन को सोमवार (7 मई) को रद्द कर दिया. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून में संशोधन संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है क्योंकि यह संविधान के तहत प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. पीठ ने कहा कि यह संशोधन ‘मनमाना, भेदभाव करने वाला’ और समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है. न्यायालय ने कहा कि एक बार कोई व्यक्ति सार्वजनिक पद छोड़ देता है तो उसमें और आम नागरिक में कोई अंतर नहीं रह जाता. शीर्ष अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कानून में किये गए संशोधन को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठन की याचिका पर अपना फैसला 19 अप्रैल के सुरक्षित रख लिया था. न्यायालय ने पहले कहा था कि एनजीओ लोक प्रहरी ने जिस प्रावधान को चुनौती दी है, अगर उसे अवैध करार दिया जाता है तो अन्य राज्यों में मौजूद समान कानून भी चुनौती की जद में आ जाएंगे. एनजीओ ने पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ते और अन्य प्रावधान) कानून, 1981 में किये गये संशोधन को चुनौती दी थी. याचिका में न्यास, पत्रकारों, राजनीतिक दलों, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, न्यायिक अधिकारियों तथा सरकारी अफसरों को आवास आवंटित करने वाले कानून को भी चुनौती दी गयी है किन-किन पूर्व मुख्यमंत्रियों को खाली करने होंगे सरकारी बंगला... 1. अखिलेश यादव: अखिलेश यादव वर्तमान में समाजवादी पार्टी के मुखिया हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ से पहले अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. यही वजह है कि इनका नाम भी उन लोगों में शामिल है, जिनके नाम पर सरकारी बगंला आवंटित है. अखिलेश यादव साल 2012 से लेकर 2017 तक यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 2. मुलायम सिंह यादव: पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह सपा के संस्थापक हैं और यूपी के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. मुलायम सिंह के नाम भी सरकारी बंगला आवंटित है. साल 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई. वह एक बार नहीं, बल्कि तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. मुलायम सिंह यादव क्रमशः 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 3. राजनाथ सिंह: राजनाथ सिंह बीजेपी के कद्दावर नेता हैं और अभी मोदी सरकार में गृह मंत्री हैं. राजनाथ सिंह के नाम पर भी यूपी में सरकारी बंगला आवंटित है, क्योंकि 28 अक्टूबर 2000 से 8 मार्च 2002 तक वह भी यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. राजनाथ सिंह 19वें मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं. 4. कल्याण सिंह: वर्तमान में कल्याण सिंह राजस्थान के गवर्नर हैं. कल्याण सिंह दो बार यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. एक बार वह 24 जून 1991 से 6 दिसम्बर 1992 तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं और एक बार वह 21 सितम्बर 1997-12 नवम्बर 1999 तक. 5. मायावती: मायावती वर्तमान में बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया हैं और यूपी की सत्ता हासिल करने के लिए काफी सक्रिय नजर आ रही हैं. मायावती कुल 4 बार यूपी की सीएम रह चुकी हैं. उनका आखिरी कार्यकाल 13 मई 2007 से 15 मार्च 2012 रहा है. इनके नाम पर भी पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते सरकारी बंगला आवंटित है. 6. नारायणदत्त तिवारी: नारायणदत्त तिवारी भारतीय राजनीति में एक काफी जाना-पहचाना नाम है. नारायणदत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड के भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ये तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इन्हें भी अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकारी बंगला खाली करना होगा. |
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