भारतीय वायुसेना 1 लाख करोड़ रुपए में खरीदने जा रही 114 लड़ाकू विमान, टेंडर प्रक्रिया शुरू, लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, डसॉल्ट और साब में होड़
जनता जनार्दन रक्षा संवाददाता ,
Apr 07, 2018, 10:40 am IST
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नई दिल्ली: चीन और पाकिस्तान से घटते-बढ़ते तनावों के बीच भारतीय वायुसेना को जल्द ही 100 से अधिक लड़ाकू विमान की ताकत मिल सकती है. केंद्र की मोदी सरकार ने वायुसेना के लिए 114 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने टेंडर प्रक्रिया शुरु कर दी है.
इनमें से 15 प्रतिशत फाइटर जेट्स (लड़ाकू विमान) विदेशी कंपनियों से सीधे खरीदे जाएंगे और बाकी 85 प्रतिशत 'मेक इन इंडिया' के तहत देश में ही तैयार किए जाएंगे. इसके लिए स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप के तहत कोई भी भारतीय कंपनी किसी विदेशी कंपनी से करार कर इस टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती है. इनमें से 25 प्रतिशत टू-इन सीटर जेट्स होगें (यानि ट्रेनिंग के लिए) और बाकी 75 प्रतिशत सिंगल-सीटर हैं. ध्यान रहे की वायुसेना स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही है. एक स्क्वाड्रन में 16 से 18 विमान होते हैं. सेना के पास 42 स्क्वाड्रन रखने की स्वीकृति है लेकिन इस समय कुल 31 स्क्वाड्रन ही सक्रिय रूप में तैनात हैं. पिछले दिनों रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने विमान की कमी पर चिंता जताई थी. बोइंग और लॉकहीड मार्टिन में रहेगी टेंडर हासिल करने की होड़ माना जा रहा है कि दुनिया की कुछ बेहतरीन एयरक्राफ्ट कंपनियां टेंडर हासिल करने के लिए आगे आ सकती हैं. इनमें सबसे आगे बोइंग और लॉकहीड मार्टिन के नाम हैं. ये दोनों कंपनियां पहले ही भारत में फाइटर जेट्स बनाने का प्रस्ताव दे चुकी हैं. हालांकि, डसॉल्ट और साब जैसी कंपनियां भी टेंडर की होड़ में शामिल रहेंगी. गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना के पास अभी जरूरत की 39 स्क्वाड्रन के मुकाबले सिर्फ 32 कॉम्बैट स्क्वाड्रन हैं. एक स्कवाड्रन में करीब 16 से 18 फाइटर जेट्स होते हैं. योजना के मुताबिक, स्क्वाड्रन्स को बढ़ाकर 42 किया जाना है. यानी अभी वायुसेना को करीब 112 फाइटर जेट्स की जरूरत है. एयरफोर्स के पूर्व चीफ अरुप राहा ने रिटायरमेंट से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया था कि अगले 10 सालों में भारत को स्क्वाड्रन पूरी करने के लिए 200 फाइटर जेट्स की और जरूरत पड़ेगी. बता दें कि 5 साल पहले ही भारत ने डसॉल्ट एविएशन के साथ 126 एयरक्राफ्ट्स की डील को खत्म कर दी थी. इसके बजाय केंद्र की मोदी सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया था. यह करीब 59,000 करोड़ का सौदा है. हालांकि इसमें देरी हो रही है. वहीं विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने इस डील में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. |
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