'थैंक यू इंडिया' कार्यक्रम में दलाई लामा ने कहा, 'अलगाव व्यावहारिक नहीं, तिब्बतियों को चीनी संविधान के तहत स्वायत्तता मिले

'थैंक यू इंडिया' कार्यक्रम में दलाई लामा ने कहा, 'अलगाव व्यावहारिक नहीं, तिब्बतियों को चीनी संविधान के तहत स्वायत्तता मिले धर्मशाला: वक्त के थपेड़ों ने लगता है तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा को हकीकत का भान करा दिया है. अब उन्हें तिब्बतियों के लिए आजादी नहीं बल्कि चीनी संविधान के तहत स्वायत्तता चाहिए. तिब्‍बतियों के भारत आगमन के 60 साल पूरे होने पर हिमाचल प्रदेश के मैकलॉडगंज में शनिवार को तिब्‍बतियों का एक साल तक चलने वाला 'थैंक यू इंडिया' समारोह शुरू हो गया है।

चीन के साथ संवेदनशील रिश्‍तों को देखते हुए केंद्र सरकार के कथित निर्देश के बीच इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और बीजेपी के राष्‍ट्रीय महासचिव राम माधव समेत कई वरिष्‍ठ नेताओं ने हिस्‍सा लिया।

भारत आने के 60 साल पूरे होने के अवसर पर दलाई लामा ने कहा कि भारत और तिब्बत का संबंध गुरू और शिष्य की तरह है।

दलाई लामा के भारत आने के अवसर पर हिमाचल के मैक्लेयॉडगंज में हुए कार्यक्रम के दौरीन तिब्बती बैंड ने 'थैंक यू इंडिया' 'कोटि कोटि' और 'भारत की जय' गाने बजाए।

दलाई लामा ने कहा, 'तिब्बतियों ने समस्या का सामना किया है लेकिन हमने अपनी संस्कृति और परंपरा को बचा कर रखा है। हमने आत्मविश्वास के साथ जिया है और मानवता और भाईचारे के मूल्यों को लेकर चले हैं।'

उन्होंने कहा, 'हम भारत के लोगों के आभारी हैं कि उन्होंने हमें पिछले 60 सालों से शरण और समर्थन दिया है।'

दलाई लामा ने कहा, 'भारत और तिब्‍बत के बीच एक गहरा रिश्‍ता है। जब मैं भारत आया था तो सोचा था कि दोनों देशों के बीच गुरु और शिष्‍य का रिश्‍ता है। वही भावना आज भी बनी हुई है। तिब्‍बती लोगों ने पिछले 60 वर्षों में काफी परेशानियां झेली हैं लेकिन अपनी संस्‍कृति का संरक्षण किया है।'

'थैंक्‍यू इंडिया' समारोह में राम माधव ने कहा, 'द‍लाई लामा शरणार्थी नहीं हैं बल्कि परिवार के एक सदस्‍य हैं।' उन्‍होंने दलाई लामा को भारत में शरण देने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने कहा, 'थैंक्‍यू इंडिया कार्यक्रम भारतीय सभ्‍यता, संस्‍कृति और परंपरा को धन्‍यवाद देना है। भारत हमेशा से ही खुले दिल और खुले हाथों से स्‍वागत करता है। एक शरणार्थी का जीवन बेहद कठिन है। भारत ने हमेशा से ही शरण दी है। दलाई लामा को धन्‍यवाद।'

माधव ने कहा कि हम भाई-भाई हैं, इसलिए धन्‍यवाद न दें। हम धार्मिक और सांस्‍कृतिक रूप से एक है। उन्‍होंने कहा कि आप पिछले 60 साल से अपने देश वापस लाने के लिए इंतजार कर रहे हैं और आशा करता हूं कि जल्‍द ही आप अपने देश वापस पहुंच जाएंगे।' इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि भारत दलाई लामा के स्‍वदेश वापसी का समर्थन करता है।

शर्मा ने कहा, 'यह एक भावुक करने वाला क्षण है। शरणार्थी शब्‍द बहुत दर्दभरा है। आप भारत के मित्र और अतिथि हैं। हम तिब्‍बती संस्‍कृति के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय संस्‍कृति और शांति के मेसेज को विश्‍वभर में आगे लेकर जा रहे हैं। तिब्‍बती संस्‍कृति भी इसका एक हिस्‍सा है।' उन्‍होंने कहा, 'हम दलाई लामा के स्‍वदेश वापसी के संघर्ष को अपना समर्थन देते हैं।'

तिब्‍बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री लोबसांग सांगय ने कहा कि भारत के साथ उनका संबंध सैकड़ों साल पुराना है। भारत गुरु है और तिब्‍बत उसका शिष्‍य है। उन्‍होंने कहा क‍ि तिब्‍बतियों का संघर्ष बहुत कष्‍टपूर्ण रहा है।

बता दें, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के निर्वासन के 60 साल पूरे होने पर आयोजित यह कार्यक्रम पहले दिल्ली में होना था लेकिन बाद में उसे धर्मशाला शिफ्ट कर दिया गया है। ऐसा भारत के विदेश सचिव द्वारा कैबिनेट सचिव को लिखे एक लेटर की वजह से हुआ है। दिल्ली में कार्यक्रम की अनुमति न मिलने पर तिब्बती प्रशासन को मजबूरन यह कार्यक्रम धर्मशाला में आयोजित करना पड़ा।

बता दें कि विदेश सचिव ने कैबिनेट सचिव को 22 फरवरी को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि सरकारी कर्मचारी और वरिष्ठ नेता इस कार्यक्रम में शिरकत न करें। ऐसा इसलिए कहा गया, क्योंकि इससे चीन और भारत के रिश्ते पर असर पड़ सकता है। इस निर्देश के बाद सरकार ने साफ किया था कि पड़ोसी देश चीन को खुश करने के लिए दलाई लामा को लेकर उसके स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है। यह भी कहा कि दलाई लामा देश में कहीं भी धार्मिक आयोजन के लिए स्वतंत्र हैं।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, 'आदरणीय दलाई लामा को लेकर सरकार का पक्ष साफ और स्थायी है। वह श्रद्धेय आध्यात्मिक गुरु हैं और भारत के लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं। इस स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है। भारत में धार्मिक गतिविधियों को लेकर उन्हें पूरी स्वतंत्रता है।' तिब्बत स्वतंत्रता आंदोलन पर चीन के प्रहार के बाद दलाई लामा 1959 में भारत आ गए थे।

ये कार्यक्रम पहले दिल्ली में होना था लेकिन इसे बाद में धर्मशाला में आयोजित किया गया है।
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