जल, थल, नभ, हर ओर 'ब्रह्मोस': भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल फिर किया सफल परीक्षण
अजय पुंज ,
Mar 22, 2018, 16:33 pm IST
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नई दिल्लीः भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक बार फिर नया इतिहास रचा. राजस्थान के पोखरण में गुरूवार सुबह 8:42 बजे ताकतवर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 'ब्रह्मोस' का स्वदेशी सीकर के साथ सफल परीक्षण किया गया. यह सीकर डीआरडीओ और सेना द्वारा मिलकर विकसित किया गया है. यह दुनिया की सबसे तेज एंटी शिप मिसाइल है.
मिसाइल के इस परीक्षण के दौरान पोखरण में डीआरडीओ के अधिकारियों के साथ सेना और ब्रह्मोस के अधिकारी भी मौजूद थे. इसके साथ ही पोखरण में बन गया एक और इतिहास. भारत-रूस द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई ब्रह्मोस मिसाइल की दूरी को 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है. भारत के पिछले साल मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) का पूर्ण सदस्य बनने के बाद मिसाइल से कुछ तकनीकी सीमाएं हटाई गई जिसके बाद इसकी दूरी बढ़ायी जा सकती है. भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशिनोस्त्रोयेनिया ने संयुक्त रूप से ब्रह्मोस का निर्माण किया है. परीक्षण के दौरान सटीक हमला करने में माहिर इस मिसाइल ने तय टार्गेट पर पिन पॉइंट निशाना लगाया. इससे पहले इस मिसाइल को पहली बार पिछले वर्ष नवंबर में फायटर जेट सुखोई-30 एमकेआई से दागा गया था. भारत सरकार इस मिसाइल को सुखोई में लगाने के लिए काम शुरू कर चुकी है और अगले तीन सालों में कुल 40 सुखोई विमान ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हो जाएंगे. सुखोई में ब्रह्मोस फिट होने से क्षेत्र में भारतीय वायु सेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी. ब्रहमोस सुपरसोनिक क्रेज मिसाइल है, यह 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से 290 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है. इसका निशाना अचूक है. यह कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के कारण रड़ार की पकड़ में नही आ सकती है. इस मिसाइल को भारत और रूस के ज्वाइंट वेंचर के रूप में विकसित किया गया है. रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने मिसाइल के सफल परीक्षण पर ट्वीट करके डीआरडीओ और सेना को बधाई दी है. ब्रह्मोस की रफ़्तार 2.8 मैक (ध्वनि की रफ़्तार के बराबर) है. इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री अपने साथ ले जा सकती है. हाल में आई खबरों के मुताबिक ब्रह्मोस जैसी क्षमता वाली मिसाइल अभी तक चीन और पाकिस्तान ने विकसित नहीं की है. ब्रह्मोस भारत और रूस का संयुक्त उद्यम है जिसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा को मिलाकर रखा गया है. यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है. यह मिसाइल भारत की अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीकी में अग्रणी देश बना दिया है. ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है. गौरतलब है कि ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को किया गया था. मौजूदा समय में यह थल व नौसेना की थाती तथा भारतीय वायु सेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बन चुका है. यह मिसाइल सबसे पहले 2005 में नौसेना को मिली थी. नौसेना के सभी डेस्ट्रॉयर और फ्रीगेट युद्धपोतों में ब्रह्मोस मिसाइल लगी हुई है. टाइटेनियम एयरफ्रेम और मजूबत एल्यूमिनियम मिश्र धातु की बनावट की वजह से एसयू-30 को ब्रह्मोस मिसाइल के लिए सबसे उपयुक्त युद्धक विमान माना जाता है. इस विमान का एयरोडायनेमिक समाकृति विमान की लिफ्टिंग प्रभाव की क्षमता को बढ़ाता है और इससे ऊंचे कोण से स्वत: हमला किया जा सकता है. यह मिसाइल 500 से 14,000 मीटर की ऊंचाई से छोड़ी जा सकती है. मिसाइल छोड़े जाने के बाद यह 100 से 150 मीटर तक मुक्त रूप से नीचे आ सकती है और तब यह 14,000 मीटर में क्रूज फेज में प्रवेश कर सकती है और अंत में इसके बाद यह 15 मीटर में टर्मिनल फेज में प्रवेश कर सकती है. हवा में मार करने वाले ब्रह्मोस को इसके समुद्र व जमीन से मार करने वाले ब्रह्मोस से हल्का बनाया गया है. यह मिसाइल पहाड़ों की छाया में छिपे दुश्मनों के ठिकाने को भी निशाना बना सकती है. आम मिसाइलों के विपरीत यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीकी से ऊर्जा प्राप्त करती है. इसको मार गिराना लगभग असंभव है. ब्रह्मोस ऐसी मिसाइल है जो दागे जाने के बाद रास्ता बदल सकने में भी सक्षम है. लक्ष्य तक पहुंचने के दौरान यदि टारगेट मार्ग बदल ले तो मिसाइल भी अपना रास्ता बदल लेती है. इसलिए इसे ‘दागो और भूल जाओ’ भी कहा जाता है. यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है इसलिए रडार की पकड़ से बाहर है. मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर के करीब है। इससे पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है। चीन इस मिसाइल को अस्थिरता पैदा करने वाले हथियार के तौर पर देखता है. भारत इस मिसाइल के जरिये दक्षिणी चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता की धार को भोथरा करने में कामयाब होगा. इसलिए कि कई देश इस मिसाइल को खरीदना चाहते हैं. उल्लेखनीय है कि भारत अगले 10 साल में 2000 ब्रह्मोस मिसाइल बनाएगा. - हालांकि ब्रह्मोस के अलावा भी भारत के पास कई अन्य शक्तिशाली मिसाइलें हैं जिनकी ताकत का दुनिया लोहा मानती है. -इनमें से एक अग्नि-1 मिसाइल है जिसका सफल परीक्षण 25 जनवरी, 2002 को किया गया. अग्नि-1 में विशेष नौवहन प्रणाली लगी है जो सुनिश्चित करती है कि मिसाइल अत्यंत सटीक निशाने के साथ अपने लक्ष्य पर पहुंचे. अग्नि-2 मिसाइल का परीक्षण जब 11 अप्रैल, 1999 को हुआ तो पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ गई थी, क्योंकि इन दोनों देशों के कई बड़े शहर इसकी जद में आ गए थे. इसी तरह अग्नि-3, अग्नि-4 और अग्नि-5 का सफल परीक्षण कर भारत अपनी ताकत का लोहा मनवा चुका है. भारत के पास सतह से सतह पर मार करने वाला सामरिक प्रक्षेपास्त्र शौर्य भी है जिसकी मारक क्षमता 750 से 1900 किलोमीटर है. यह भारत का पहला हाईपर सुपरसोनिक मिसाइल भी है. ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट के संस्थापक सीईओ और एमडी रहे डॉ. ए एस पिल्लई ने कहा कि इस दिशा में काम किया जा रहा है कि भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र की तरह ब्रह्मोस-2 अपने लक्ष्य पर निशाना साधकर वापस लौट आये और इसे पुन: प्रयोग भी किया जा सके. पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. पिल्लई ने कहा, ‘सुपरसोनिक प्रक्षेपास्त्र के बाद भारत हाइपरसोनिक प्रक्षेपास्त्र विकसित कर रहा है. जो उससे भी 9 गुना ज्यादा शक्तिशाली होगा. इसे किसी भी खोजी उपकरण से पकड़ा भी नहीं जा सकेगा. वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं कि यह प्रक्षेपास्त्र एक बार लक्ष्यभेद करने के बाद पुनः उपयोग में लाया जा सके.’ -भारत के पास पृथ्वी मिसाइल भी है और यह मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा है. -स्वदेशी मिसाइलों की श्रृंखला में भारत के पास नाग मिसाइल है जिसका सफल परीक्षण 1990 में किया गया. -इसी तरह धनुष मिसाइल स्वदेशी तकनीकी से निर्मित पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र का नौसैनिक संस्करण है. यह प्रक्षेपास्त्र परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता रखता है. -भारत ने 1990 में आकाश मिसाइल का परीक्षण किया. जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल की तुलना अमेरिका के पेट्रियॉट मिसाइल से की जाती है. इस मिसाइल की खूबी यह है कि यह एक समय में आठ भिन्न लक्ष्य पर निशाना साध सकती है. - ब्रह्मोस मिसाइल दागकर भारत ने अपनी सभी मिसाइलों की मारक क्षमता को और धारदार बना दिया है. भारत के पास मिसाइलों का यह असाधारण बेड़ा भारत की महान सैन्य शक्ति को ही निरूपित करता है. |
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