श्रीलंका में बौद्ध-मुस्लिम समुदाय के बीच सांप्रदायिक हिंसा, आपातकाल घोषित

श्रीलंका में बौद्ध-मुस्लिम समुदाय के बीच सांप्रदायिक हिंसा, आपातकाल घोषित कोलंबो: श्रीलंका ने बौद्ध और मुस्लिम समुदाय के बीच सांप्रदायिक हिंसा के बाद 10 दिनों के लिए आपातकाल घोषित कर दिया है. श्रीलंका के कैंडी जिले में इस हिंसा की शुरुआत हुई, जिससे निपटने के लिए सरकार ने इमर्जेंसी का ऐलान किया है.

सरकारी प्रवक्ता ने इस बात की जानकारी दी. बौद्ध और मुस्लिम संप्रदाय के लोगों के बीच कैंडी में हुई झड़प के एक दिन के बाद यह फैसला लिया गया. वहीं, न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, कैबिनेट मंत्री एस बी दिसानायके ने कहा है कि श्रीलंका ने कैंडी जिले में सांप्रदायिक हिंसा के बाद आपातकाल की घोषणा कर दी है.

पिछले साल भर से दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ रहा था. कुछ बौद्ध समूहों का आरोप था कि मुस्लिम लोगों को इस्लाम धर्म में कंवर्ट करने के लिए दबाव डाल रहे हैं और बौद्ध पुरातत्व स्थलों पर तोड़फोड़ कर रहे हैं.

सरकार के प्रवक्ता दयाश्री जयासेकेरा ने रॉयटर्स से कहा- एक विशेष कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया कि  देश के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे न फैलें, इसलिए अगले 10 दिनों तक आपातकाल की घोषणा कर दी गई है. उन्होंने सोशल मीडिया की पोस्ट्स का हवाला देते हुए कहा- जो लोग  फेसबुक के जरिए हिंसा भड़का रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे.

हिंसा की वजह...

- इस दंगे से पहले 26-27 फरवरी, 2017 को श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के अंपारा कस्बे में हिंसा हुई थी. इसके बाद से ही हिंसा की आग सुलग रही थी, जिसने बड़ी हिंसा का रूप ले लिया.

- फिलहाल यह हिंसा मुख्य रूप से कैंडी में ही हुई है, लेकिन सरकार ने इस आशंका से पूरे देश में आपातकाल लगा दिया है ताकि यह अन्य हिस्सों में न फैले.

- सरकार ने इमर्जेंसी पूरे देश में लगाई है, लेकिन कर्फ्यू सिर्फ हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित जिले कैंडी में ही लगाई गई है.

- म्यांमार की तरह ही श्रीलंका में भी लंबे समय से मुस्लिमों और बौद्धों के बीच अकसर तनाव की स्थिति पैदा होती रही है. यहां के सिंहली बौद्ध अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को खतरे के तौर पर देखते हैं.

- लिट्टे के उभार के बाद भले ही श्रीलंका ने उससे निपटने में कामयाबी पाई हो. लेकिन, श्रीलंका में सिंहली बौद्धों का एक बड़ा वर्ग है, जो गैर-सिंहली मूल के लोगों और मुस्लिमों को अपने लिए खतरे के तौर पर देखता है.

- 2014 में भी श्रीलंका में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे. एक अनुमान के मुताबिक उस हिंसा में 8,000 मुस्लिम और 2,000 सिंहलियों को विस्थापित होना पड़ा था.

- श्रीलंका में कट्टर बौद्ध संगठन बोदु बाला सेना को भी ऐसी हिंसा के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इस संगठन के जनरल सेक्रटरी गालागोदा ऐथे गनानसारा अकसर कहते रहे हैं कि मुस्लिमों की बढ़ती आबादी देश के मूल सिंहली बौद्धों के लिए खतरा है.

- मुस्लिम समुदाय के लोगों की कारोबार में मजबूत स्थिति को भी बौद्धों का एक कट्टर तबका खतरे के तौर पर देखता रहा है.

- श्रीलंका में बौद्धों की आबादी 75 फीसदी के करीब है, लेकिन यहां तमिल समुदाय के लोगों और मुस्लिमों को कट्टर बौद्ध संगठन खतरे के तौर पर देखते रहे हैं.

- 2014 में दिए एक इंटरव्यू में गालागोदा ऐथे गनानसारा ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय का अतिवाद खतरा है और इन्हें मध्य पूर्व के देशों से मदद मिलती है.
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