विधानसभा चुनाव 2018 नतीजा: त्रिपुरा में भाजपा, मेघालय में कांग्रेस की बढ़त और नगालैंड में एनपीएफ व भाजपा गठबंधन में कांटे की टक्कर

विधानसभा चुनाव 2018 नतीजा: त्रिपुरा में भाजपा, मेघालय में कांग्रेस की बढ़त और नगालैंड में एनपीएफ व भाजपा गठबंधन में कांटे की टक्कर अगरतलाः पूर्वोत्तर के तीन राज्य त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में विधानसभा की चुनावी तस्वीर साफ होती दिख रही है. त्रिपुरा में भाजपा और लेफ्ट सरकार के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है. चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार शुरुआती रुझानों में राज्य में भाजपा को बहुमत मिलता हुआ दिख रहा है.  मेघालय में कांग्रेस आगे है और वहीं नगालैंड में नगा पीपुल्स फ्रंट बहुमत की ओर बढ़ रहे हैं. असल तस्वीर दोपहर के बाद साफ हो जाएगी.

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतगणना का दौर जारी है. यहां 18 फरवरी को चुनाव हुए थे. राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से 59 पर मतगणना हो रही है.

चारीलाम सीट से मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के उम्मीदवार रामेंद्र नारायण देबर्मा के निधन की वजह से इस सीट पर 12 मार्च को मतदान होगा. त्रिपुरा के शुरुआती रुझानों में बीजेपी 25 साल से काबिज लेफ्ट सरकार को कड़ी टक्‍कर दे रही है.

त्रिपुरा में भाजपा 29 सीटों पर और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) 17 सीटों पर आगे चल रही है। इसके अलावा इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा 8 सीटों पर आगे चल रही है.

त्रिपुरा में मौजूदा मुख्यमंत्री माणिक सरकार अपनी विधानसभा सीट धानपुर में 1682 वोटों से आगे चल रहे हैं.
अगरतला में भाजपा नेताओं ने शुरुआती रुझान में पार्टी के आगे चलने की खबर मिलने के बाद से ही सेलिब्रेशन करना शुरू कर दिया है.

मेघालय में भारतीय जनता पार्टी 5 सीट पर, कांग्रेस 21 सीटों पर, नेशनल पीपुल्स पार्टी 14 सीटों पर आगे चल रही है. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी 5 सीटों पर और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट 4 सीटों पर, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी 2 सीट पर आगे चल रही है. इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार 6 सीट पर आगे चल रहे हैं.

नगालैंड में भाजपा 5 सीटों पर, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 15 सीटों पर, जनता दल यूनाइटेड 1 सीट पर, नेशनल पीपुल्स पार्टी 2 सीट पर, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी 10 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. इसके अलावा 1 निर्दलीय उम्मीदवार भी बढ़त बनाए हुए है.

त्रिपुरा में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण है सत्‍ता विरोधी लहर है. यहां पिछले 25 साल से लेफ्ट पार्टी की सरकार है और पिछले 20 साल से माणिक सरकार त्रिपुरा के मुख्‍यमंत्री हैं.

2014 में एनडीए की केन्‍द्र में सरकार आने के बाद बीजेपी ने पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों पर खासा ध्‍यान दिया है, जिसमें से त्रिपुरा भी एक है. यहां चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने माणिक सरकार बनाम मोदी सरकार का कार्ड खेला था.

पीएम मोदी ने त्रिपुरा में चार चुनावी रैलियां की. इतना ही नहीं यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह समेत कई बड़े नेताओं ने रैलियां की है.
 
चुनाव से पहले कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ा. इसमें कई विधायक बीजेपी में शामिल हुए और चुनाव में कांग्रेस के पास कोई चेहरा बचा नहीं. इसका फायदा भी बीजेपी को मिला. पिछले चुनाव में यहां कांग्रेस के पास 35 फीसदी वोट हासिल किए थे.
 
बीजेपी ने सबसे ज्‍यादा ट्राइबल वोटरों पर ध्‍यान दिया है. क्‍योंकि 30 फीसदी सिर्फ ट्राइबल है और ट्राइबल की 20 सीटें लेफ्ट का गढ़ हैं. आपको बता दें लेफ्ट के पास पिछले चुनाव में 51 फीसदी वोट पर कब्‍जा था.

लेफ्ट एक काडर बेस पार्टी है और बीजेपी के काडर ने त्रिपुरा में उसे कड़ी चुनौती दी है. 2013 के विधानसभा में बीजेपी को त्रिपुरा में सिर्फ दो फीसदी वोट मिले थे. इसके बाद बीजेपी ने जमीनी स्‍तर पर काम किया और निकाय चुनाव में 221 सीटों पर जीत हासिल की थी.

भाजपा नेता राम माधव का कहना है, जो रिजल्ट अभी सामने आ रहे हैं उनमें ज्यादातर पोस्टल बैलेट से हैं, ईवीएम मशीन को अभी खोला जाना बाकी है.

 उत्तर पूर्व में बीजेपी के मुख्य रणनीतिकार हेमंत विस्वा सरमा का कहना है कि पार्टी ने त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में जीत की उम्मीद रखी है. उन्होंने कहा कि अगर हम त्रिपुरा में जीते और नागालैंड को वापस पाया, और मेघालय में सरकार बना ली तब उत्तर पूर्व में हमारा विस्तार पूरा हो जाएगा, मिजोरम को छोड़कर.

पूर्व कांग्रेस नेता और 2015 में बीजेपी में जाने वाले सरमा को बीजेपी को इतनी बड़ी सफलता मिलने का श्रेय दिया जा रहा है, यह असम में 2016 में मिली जीत के बाद से शुरू हुआ था. बीजेपी को उम्मीद है कि वह त्रिपुरा में 20 सालों से सत्ता में काबिज मानिक सरकार की लेफ्ट सरकार को इस बार परास्त कर देगी और कांग्रेस से मेघालय को छीन लेगी.

सरमा के अनुसार उत्तर पूर्व के राज्यों को जीतने का मतलब है कि इनको राजनीति की मुख्य धारा में जोड़ा जाए. उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी में इसीलिए आया हूं. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इन राज्यों पर बहुत ध्यान दिया है.
 
मैंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में ऐसा पहली बार देखा है कि किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल ने उत्तर पूर्व पर इतना ध्यान दिया है. यह लोगों के दिलों को जीतने के जैसा है. लोग यहां पर इससे काफी खुश हैं.

सीपीआई की वृंदा करात का कहना है कि हमें पूरा विश्वास है. सभी राउंड की वोटों की गिनती को आने दीजिए, हम लीड कर रहे हैं.
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