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चंद्र ग्रहण 2018: अनूठा संयोग, ब्लू, ब्लड और सुपर मून का एक साथ दीदार

चंद्र ग्रहण 2018: अनूठा संयोग, ब्लू, ब्लड और सुपर मून का एक साथ दीदार नई दिल्ली: पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में देखा गया. भारत में इसकी झलक शाम 6.21 बजे से देखा जा रहा है. इस ग्रहण को खग्रास चंद्रग्रहण कहा गया है, जिसके तहत चंद्रमा का कुछ हिस्सा छुप जाएगा. ये ग्रहण लगभग 150 साल बाद आया है.

साल के पहले चंद्रग्रहण को देखने के लिए दुनिया भर के लोगों में उत्सुकता देखने को मिली. जैसे ही चंद्रग्रहण लगा लोग अपने घरों से बाहर निकल कर साल 2018 के पहले चंद्रग्रहण को देखने लगे. इतना ही नहीं, हर कोई इस खास पल को अपने कैमरे में कैद करने को भी ललायित दिखा.

दरअसल, यह चंद्रग्रहण इसलिए भी खास था क्योंकि इस बार एक ही दिन में तीन खगोलीय घटनाएं एक साथ ही हुईं- ब्‍लडमून, सुपरमून, और ब्‍लूमून. दुनिया भर में चंद्रग्रहण देखने के लिए लोगों में जोश देखने को मिला. तो चलिए जानते हैं कि किस देश में कैसा रहा चंद्रग्रहण का नजारा.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्र ग्रहण तब होता है जब धरती और सूरज के बीच में चंद्रमा आ जाता है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है क्योंकि हम लोग धरती से यह खगोलीय घटना देख रहे होते हैं और धरती की छाया काफी बड़ी होती है लिहाजा चंद्र ग्रहण की खासियत यह होती है कि दुनिया में एक ही समय पर शुरू होता है और एक ही समय पर खत्म होता है वैसे तो चंद्र ग्रहण को लेकर तमाम अंधविश्वास अलग-अलग देशों में प्रचलित हैं लेकिन सही बात यह है कि इस आसमानी घटना का हमारे जीवन पर कोई असर नहीं पड़ता है.

सुपरमून
चांद और धरती के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है और चंद्रमा अपने पूरे शबाब पर चमकता दिखाई देता है. यह पिछले साल 3 दिसंबर को भी दिखाई दिया था. चांद की तुलना में 14 फीसद ज्यादा बड़ा और 30 फीसद तक ज्यादा चमकीला दिखेगा. इस महीने पूर्ण चंद्रमा दिखने की घटना हो रही है. इस कारण इसे ब्लू मून भी कहा जा रहा है.

ब्लू मून
NASA के मुताबिक, ब्लू मून ढाई साल में एक बार नजर आता है. स्पेस डॉट कॉम की खबर के मुताबिक चंद्रमा के नीचे का हिस्सा ऊपरी हिस्से की तुलना में ज्यादा चमकीला दिखाई देता है और नीली रोशनी फेंकता है. आज के बाद ये 2028 और 2037 में देखने को मिलेगा.

ब्‍लड मून
चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी एवं चंद्रमा ऐसी स्थिति में होते हैं कि कुछ समय के लिए पूरा चांद अंतरिक्ष में धरती की छाया से गुजरता है. लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरते वक्त सूर्य की लालिमा वायुमंडल में बिखर जाती है और चंद्रमा की सतह पर पड़ती है. इसे ब्लड मून भी कहा जाता है. ये तीनों घटनाएं एक ही दिन हो रही हैं, इसलिए इसे सुपर ब्लू ब्लड मून भी कहा जा रहा है.
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