नए साल में इसरो की 100वीं उपग्रह उड़ान, एक साथ भेजे 31 सैटलाइट्स
अजय पुंज ,
Jan 12, 2018, 10:28 am IST
Keywords: ISRO ISRO mission ISRO launch India's 100th satellite ISRO 100th launch PSLV-C40 PSLV Cartosat-2 Cartosat2 Series Satellite Mission भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन इसरो 100वीं सैटेलाइट पीएसएलवी कार्टोसैट-2 आई इन द स्काइ
नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 'इसरो' ने इतिहास रचते हुए अपनी 100वीं सैटेलाइट लॉन्च कर दी है. पीएसएलवी श्रृंखला के सैटेलाइट का नाम कार्टोसैट-2 है.
इस सैटलाइट को 'आई इन द स्काइ' के नाम से भी जाना जा रहा है, क्योंकि यह अतंरिक्ष से खास तस्वीरें लेने के लिए ही बनाया गया है. खास बात यह है कि यह सैटलाइट पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर पैनी नजर बनाए रखेगा. इसरो की यह लॉन्चिंग भारत के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इससे पहले अगस्त में पीएसएलवी-39 मिशन फेल हो गया था और भारतीय वैज्ञानिकों ने एक बार फिर इसकी मरम्मत करके फिर से इसे लॉन्च किया है. किसी भी फेल मिशन और सैटलाइट को मरम्मत करके फिर से लॉन्च करना बहुत बड़ी बात होती है. इसरो की 100वीं सैटेलाइट कार्टोसैट-2 का मौसम उपग्रह और 30 अन्य उपग्रह शुक्रवार सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच हुआ. इसरो ने बताया कि 44.4 मीटर लंबे राकेट पीएसएसवी-40 से लांच होने वाले इन उपग्रहों में कार्टोसैट-2, भारत का एक नैनो सैटेलाइट, एक माइक्रो सैटेलाइट और 28 विदेशी उपग्रह शामिल हैं. विदेशी उपग्रहों में कनाडा, फिनलैंड, कोरिया, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के 25 नैनो और तीन माइक्रो सैटेलाइट शामिल हैं. इन सभी 31 सैटेलाइट का वजन 1323 किलोग्राम है. सभी सैटेलाइट को लांच करने की व्यवस्था इसरो और उसकी व्यवसायिक शाखा अंतरिक्ष कारपोरेशन लिमिटेड ने संभाली है. इसरो के अधिकारियों के मुताबिक 30 सैटेलाइट को 505 किलोमीटर की सूर्य की समकालीन कक्ष (एसएसओ) में प्रक्षेपित किया जाएगा. एक माइक्रो सैटेलाइट 359 किलोमीटर की एसएसओ में स्थापित किया जाएगा. इस पूरे लांच में दो घंटे 21 सेकेंड का वक्त लगेगा. कार्टोसैट-2 का मुख्य मकसद उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें भेजना है. इसका इस्तेमाल नक्शे बनाने में किया जाएगा. इसमें मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे लगे हुए हैं. इससे तटवर्ती इलाकों, शहरी-ग्रामीण क्षेत्र, सड़कों और जल वितरण आदि की निगरानी की जा सकेगी. पीएसएलवी से जुड़ी खास बातें
इस साल और जुड़ेंगी उपलब्धि
आर्यभट्ट से अंतरिक्ष में प्रवेश
आसमान से आगे
सफलता से पश्चिम को जवाब
जहां और भी है
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