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नए साल में इसरो की 100वीं उपग्रह उड़ान, एक साथ भेजे 31 सैटलाइट्स

नए साल में इसरो की 100वीं उपग्रह उड़ान, एक साथ भेजे 31 सैटलाइट्स नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 'इसरो' ने इतिहास रचते हुए अपनी 100वीं सैटेलाइट लॉन्च कर दी है. पीएसएलवी श्रृंखला के सैटेलाइट का नाम कार्टोसैट-2 है.

इस सैटलाइट को 'आई इन द स्काइ' के नाम से भी जाना जा रहा है, क्योंकि यह अतंरिक्ष से खास तस्वीरें लेने के लिए ही बनाया गया है. खास बात यह है कि यह सैटलाइट  पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर पैनी नजर बनाए रखेगा.

इसरो की यह लॉन्चिंग भारत के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इससे पहले अगस्त में पीएसएलवी-39 मिशन फेल हो गया था और भारतीय वैज्ञानिकों ने एक बार फिर इसकी मरम्मत करके फिर से इसे लॉन्च किया है. किसी भी फेल  मिशन और सैटलाइट को मरम्मत करके फिर से लॉन्च करना बहुत बड़ी बात होती है.  

इसरो की 100वीं सैटेलाइट कार्टोसैट-2 का मौसम उपग्रह और 30 अन्य उपग्रह शुक्रवार सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच हुआ. इसरो ने बताया कि 44.4 मीटर लंबे राकेट पीएसएसवी-40 से लांच होने वाले इन उपग्रहों में कार्टोसैट-2, भारत का एक नैनो सैटेलाइट, एक माइक्रो सैटेलाइट और 28 विदेशी उपग्रह शामिल हैं. विदेशी उपग्रहों में कनाडा, फिनलैंड, कोरिया, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के  25 नैनो और तीन माइक्रो सैटेलाइट शामिल हैं.

इन सभी 31 सैटेलाइट का वजन 1323 किलोग्राम है. सभी सैटेलाइट को लांच करने की व्यवस्था इसरो और उसकी व्यवसायिक शाखा अंतरिक्ष कारपोरेशन लिमिटेड ने संभाली है. इसरो के अधिकारियों के मुताबिक 30 सैटेलाइट को 505 किलोमीटर की सूर्य की समकालीन कक्ष (एसएसओ) में प्रक्षेपित किया जाएगा.

एक माइक्रो सैटेलाइट 359 किलोमीटर की एसएसओ में स्थापित किया जाएगा. इस पूरे लांच में दो घंटे 21 सेकेंड का वक्त लगेगा.

कार्टोसैट-2 का मुख्य मकसद उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें भेजना है. इसका इस्तेमाल नक्शे बनाने में किया जाएगा. इसमें मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे लगे हुए हैं. इससे तटवर्ती इलाकों, शहरी-ग्रामीण क्षेत्र, सड़कों और जल वितरण आदि की निगरानी की जा सकेगी.

पीएसएलवी से जुड़ी खास बातें
  •     इसरो एक साथ 31 सैटलाइट अंतरिक्ष में लॉन्‍च कर दिया है. PSLV C-40 अपने साथ सबसे भारी कार्टोसैट 2 सीरीज के उपग्रह के अलावा 30 दूसरी सैटलाइट अंतरिक्ष में ले जाएगा.
  •     इसमें एक भारतीय माइक्रो सैटलाइट और एक नैनो सैटलाइट के अलावा 28 छोटे विदेशी उपग्रह हैं.
  •     पृथ्वी अवलोकन के लिए 710 किलोग्राम का काटरेसेट-2 सीरीज मिशन का प्राथमिक उपग्रह है. इसके साथ सह यात्री उपग्रह भी है जिसमें 100 किलोग्राम का माइक्रो और 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह भी शामिल हैं.
  •     चौथे चरण के पीएसएलवी-सी-40 की ऊंचाई 44.4 मीटर और वजन 320 टन होगा. पीएसएलवी के साथ 1332 किलो वजनी 31 उपग्रह एकीकृत किए गए हैं ताकि उन्हें प्रेक्षपण के बाद पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में तैनात किया जा सके.
  •     42वें मिशन के लिए इसरो भरोसेमंद कार्योपयोगी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी40 को भेजेगा जो कार्टोसेट-2 श्रृंखला के उपग्रह और 30 सह-यात्रियों, जिनका कुल वजन करीब 613 किलोग्राम है.
  •     श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से इस 44.4 मीटर लंबे रॉकेट को प्रक्षेपित किया जाएगा.
  •     सह-यात्री उपग्रहों में भारत का एक माइक्रो और एक नैनो उपग्रह शामिल है जबकि छह अन्य देशों - कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के तीन माइक्रो और 25 नैनो उपग्रह शामिल किए जा रहे हैं.
  •     इसरो और एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच हुए व्यापारिक समझौतों के तहत इन 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाएगा. यह 100वां उपग्रह कार्टोसेट -2 श्रृंखला का तीसरा उपग्रह होगा.
  •     कुल 28 अंतर्राष्ट्रीय सह यात्री उपग्रहों में से 19 अमेरिका, पांच दक्षिण कोरिया और एक-एक कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और फिनलैंड के हैं.
  •     चार महीने पहले 31 अगस्त 2017 इसी तरह का एक प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी की निम्न कक्षा में देश के आठवें नेविगेशन उपग्रह को वितरित करने में असफल रहा था. पीएसएलवी-सी40 वर्ष 2018 की पहली अंतरिक्ष परियोजना है.
मिशन के फायदे
  •     यह कार्टोसेट-2 श्रृंखला का तीसरा उपग्रह है, जिसे कक्षा में स्थापित किया जा रहा है
  •     इसमें पैक्रोमेटिक और मल्टी स्पेक्ट्रेल कैमरे लगे हैं, जो उच्च क्षमता की तस्वीरें लेने में सक्षम है
  •      तस्वीरों का इस्तेमाल, भू मानचित्र बनाने,सड़क नेटवर्क की निगरानी, जल वितरण में होगा
  •     भूसतह में आने वाले बदलावों की भी निगरानी उपग्रह से मिले तस्वीरों से होगी

इस साल और जुड़ेंगी उपलब्धि
  •     आईआरएनएसएस-1 पहला उपग्रह होगा, जिसकी एसेंबली और परीक्षण आदि निजी उद्योग करेगा
  •     जीसैट-11 का प्रक्षेपण अप्रैल महीने में होगा, इसके जरिये छह टन भारी उपग्रह प्रक्षेपण की क्षमता मिलेगी
  •     चंद्रयान-2 मिशन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। इस साल की पहली तिमाही में प्रक्षेपण संभव  

आर्यभट्ट से अंतरिक्ष में प्रवेश
  •     19 अप्रैल 1975 में भारत ने सोवियत संघ की मदद से पहला उपग्रह आर्यभट्ट कक्षा में स्थापित किया
  •     1980 में रोहिणी पहला उपग्रह हुआ, जिसे इसरो ने देश में बने रॉकेट एसएलवी-3 से प्रक्षेपित किया
  •     ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) और भूस्थैनिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) विकसित किया
  •      सैटेलाइट नेविगेशन प्रणाली गगन और क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट प्रणाली आईआरएनएसएस भी विकसित की

आसमान से आगे
  •     2008 में चंद्रयान मिशन से चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी होने की पुष्टि की
  •     2013 में इसरो पहले ही प्रयास में मंगल तक यान भेजने में सफल हुआ

सफलता से पश्चिम को जवाब
  •     क्रायोजेनिक इंजन के आयात पर बाधा खड़ी करने पर स्वयं अपना क्रायोजेनिक इंजन बनाया
  •     2017 में एक ही रॉकेट से 104 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर दुनियाभर में लोहा मनवाया
  •     2013 में पश्चिम ने मंगल मिशन को लेकर इसरो का मजाक उड़ाया, सफलता के बाद बोलती बंद

जहां और भी है
  •     2019 में सूर्य के राज पर से पर्दा उठाने के लिए आदित्य-1 को भेजने की तैयारी
  •     2020 में शुक्र ग्रह के हालात का जायजा लेने के लिए भी एक मिशन पर काम
  •      2021-22 में मंगलयान-2 लाल ग्रह की खोजबीन को जाएगा
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