Saturday, 20 April 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

महाराष्ट्र में हिंसा: पुणे में युवक की हत्या के बाद जातीय तनाव से मुंबई ठहरी, स्कूल-कॉलेज बंद

महाराष्ट्र में हिंसा: पुणे में युवक की हत्या के बाद जातीय तनाव से मुंबई ठहरी, स्कूल-कॉलेज बंद पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में अंग्रेजों की जीत का जश्न मनाने पर हिंसा भड़क उठी. हिंसा में एक की मौत हो गई है. जबकि 25 से अधिक गाड़ियां जला दी गईं और 50 से ज्यादा गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गई. भीमा कोरेगांव में दलित संगठनों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों की जीत का शौर्य दिवस मनाया था.

दरअसल ये शौर्य दिवस इसलिए मनाया गया था, क्योंकि 1 जनवरी 1818 में कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर अंग्रेजों ने जीत दर्ज की थी. इस दिवस में कुछ संख्या में दलित भी शामिल थे. इसी बात को लेकर कई गांव के लोगों और दलितों में संघर्ष हुआ, जिसमें एक की मौत हो गई.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने लोगों से अपील की है कि वह शांति बनाए रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें. सीएम फड़णवीस ने बताया है कोरेगांव हिंसा की न्यायिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी जाएगी. साथ ही युवाओं की मौत के मामले में सीआईडी जांच होगी. राज्य सरकार ने मृतकों के परिवार को 10 लाख का मुआवजा देने का एलान किया है.

भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर सोमवार को पुणे में हिंसा भड़क गई थी. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई. गुस्साई भीड़ ने कई गाड़ियों और बसों को आग के हवाले कर दिया था.  

इस घटना के बाद महाराष्ट्र के कई जिलों में तनाव फैलने की खबर है. एहतियात के तौर पर स्टेट रिज़र्व पुलिस की चार टुकडियां तैनात की गई है.

मुंबई के चेंबूर, मुलुंड, घाटकोपर, कुर्ला, गोवंडी इलाके में 400 से ज्यादा पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है. कई इलाकों में ऑफिस, स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. लोकल सेवा भी प्रभावित हुई है.

इस मामले में सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि, "भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग आए थे. हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थी. कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई. इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. मृतक के परिवार वालों को 10 लाख का मुआवजा दिया जाएगा."

एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने दक्षिणपंथी संगठनों की जिम्मेदार बताया है और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. पवार ने कहा कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थी. हर साल यह दिन बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है. लेकिन इस बार कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने यहां की फिजा को बिगाड़ दिया

कुछ बाहरी लोगों ने वधु गांव के लोगों भड़काया और यहां हिंसा फैल गई. आज तक भीमा-कोरेगांव के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ. प्रशासन ने भी पर्याप्त तैयारियां नहीं की थी. उन्हें यह मालूम था कि 200वीं सालगिरह होने पर यहां हजारों लोग आयेंगे, लेकिन कोई तैयारी नहीं की गई. पवार ने शांति और सद्भाव रखने की अपील लोगों से की है.

रविवार को दलित और लेफ्ट संगठन के लोगों ने शनिवार वाड़ा में लोगों को संबोधित किया था. शनिवार वाड़ा पेशवाई गद्दी थी. यहां उन्होंने जातिवाद के मुद्दे पर लोगों को संबोधित किया. इसके बाद से ही स्थिति बिगड़ गई थी. पुलिस ने रविवार को ही मामला संभालने की कोशिश करते हुए इलाके में धारा 144 लगा दी थी. सोमवार को भीमा कोरेगांव शौर्य स्थल की तरफ जाते वक्त भगवा झंडे लिए लोगों के दल ने गाड़ियों पर हमला बोल दिया. पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर पुणे-अहमदनगर हाइवे में पेरने फाटा के पास विवाद हुआ.

पुलिस ने बताया कि मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. ग्रामीणों द्वारा जलाई गई गाड़ियों में बस और पुलिस वैन सहित कई चारपहिया वाहन शामिल हैं. कोरेगांव के पास स्थित सनसवड़ी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. सीआरपीएफ की दो टुकड़ियों को शिकरापुर स्टेशन में सोमवार सुबह तैनात किया गया है, ताकि आगे की घटनाओं को रोका जा सके.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भीमा-कोरेगांव में हिंसा साजिश के तहत फैलाई गई. मुंबई कांग्रेस के डॉ. राजू वाघमारे ने कहा कि पहले से दलितों पर हमले करने की प्लानिंग थी. आरएसएस के कुछ लोग यहां हिंसा भड़काने के लिए लंबे समय से तैयार कर रहे थे.

भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी. यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. अंग्रेजों की तरफ से 500 लड़ाके थे, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे, मात्र 500 महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था. अंग्रेजों की इस जीत को जो उन्हें संभवतः तोपों के इस्तेमाल से मिली थी, कालांतर में जातीय रूप दे दिया गया और दलित इसे पेशवाओं पर अपनी जीत मानने लगे, जिसका जलसा भी मनने लगा.
अन्य प्रांत लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल