संसद में आज राजनीति नहीं: कल तक विरोधी, पर आज पीएम मोदी और मनमोहन सिंह ने मिलाया हाथ
अजय पुंज ,
Dec 13, 2017, 13:02 pm IST
Keywords: PM Narendra Modi Manmohan Singh Sansad Bhavan attack Parliament attack anniversary प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन परिसर संसद पर आतंकी हमला 16वीं बरसी शहादत को सम्मान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह
नई दिल्ली: भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक संसद भवन आज अपने राजनीतिबाजों का मानवीय रूप गौरव से निहार रहा था. गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार में एक दिन पहले तक एक दूसरे पर जुबानी तीर छोड़ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के चुने गए अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को संसद भवन परिसर में 'एकजुट' थे.
दिल्ली की ठंड भी इस गैरसियासती देशभक्त गरमाहट को ठंडी न कर सकी. केवल मोदी और राहुल ही नहीं बल्कि सरकार और विपक्ष, दोनों में ही आज एकता नजर आई. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रतीक संसद पर आतंकी हमले की 16वीं बरसी पर जब शहादत को सम्मान देने के लिए सारे नेता जुटे तो डिमॉक्रेसी और भी मजबूत नजर आई. आज से ठीक 16 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को आतंकियों ने देश की संसद को निशाना बनाया था. इस हमले की 16वीं बरसी पर मोदी और राहुल के साथ ही पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत सत्ता व विपक्ष के कई बड़े नेता भारतीय जवानों की शहादत को सम्मान देने के लिए एक साथ खड़े नजर आए. गुजरात चुनावों के दौरान फिलहाल देश के दो सबसे बड़े दल, बीजेपी और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर हमलावर हैं. कई बार भाषायी मर्यादाएं भी टूट रही हैं. इन सब तल्खियों की बीच लोकतंत्र के मंदिर पर दिखी एकजुटता खुद में बहुत खास है. इस एकजुटता ने एक बार फिर दिखाया कि देश संसद पर हुए हमले को नहीं भूला है और कठिनाई के ऐसे पलों में तब भी एक था, आज भी एक है और कल भी एक रहेगा. 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमलों में दिल्ली पुलिस के 5 जवान, सीआरपीएफ की एक महिला अधिकारी, संसद के 2 सुरक्षाकर्मी और एक माली शहीद हुआ था. लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने संसद में विस्फोट कर सांसदों को बंधक बनाने की साजिश रची थी. देश के बहादुर जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकियों के नापाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया. जिस दौरान संसद पर हमला हुआ उस समय शीतकालीन सत्र चल रहा था. देश के जनप्रतिनिधि संसद में ही मौजूद थे. बाद में इस हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई गई थी. अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया था. तब से आज तक हर साल तेरह दिसंबर को प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेताओं सहित दिल्ली में मौजूद देश के लगभग सभी जनप्रतिनिधि शहीदों के सम्मान में संसद भवन परिसर में जुटते हैं और राष्ट्र की तरफ से कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं. |
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