जज घूसकांड मामला: केवल मुख्य न्यायाधीश तय करेंगे कि कौन सा केस, कौन सी बेंच करेगी, सुप्रीम कोर्ट

जज घूसकांड मामला: केवल मुख्य न्यायाधीश तय करेंगे कि कौन सा केस, कौन सी बेंच करेगी, सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस चेलामेश्वर की बेंच के जजों के नाम पर घूस लेने के मामले को संविधान पीठ में भेजने और सोमवार को सुनवाई के आदेश को रद्द कर दिया है. बेंच ने कहा कि कोई भी सुप्रीम कोर्ट बेंच ये तय नहीं कर सकती है कि कौन सा केस, कौन सी बेंच करेगी. ये अधिकार सिर्फ भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास है.

संविधान पीठ ने कहा कि कोई भी जज खुद अपने पास केस नहीं लगा सकता. अगर ऐसे कोई फैसले हैं तो वो रद्द किये जाते हैं. अब जजों के नाम पर घूस लेने के मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच दो हफ्ते बाद करेगी.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के वक्त जबरदस्त हंगामा हुआ. याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने गुस्से में चीफ जस्टिस पर आरोप लगाए और बाद में वो चिल्लाकर बाहर निकल गये. चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर इस तरह के आरोप लगाए जाएंगे तो संस्थान कभी काम नहीं कर सकता है. वहीं, इस मामले में कोर्ट रूम में बार एसोसिएशन और एएसजी ने प्रशांत का विरोध किया. इन्होंने मांग की कि प्रशांत भूषण के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का मामला दर्ज हो. साथ ही इन लोगों ने मांग की कि कोर्ट में जो भी हुआ, इसे लेकर मीडिया को रिपोर्टिंग पर रोक लगाई जाए.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि मैं हमेशा फ्रीडम ऑफ स्पीच का पक्षकार रहा हूं. इसलिए मीडिया पर रोक नहीं लगा सकता. इससे पहले शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज को राहत के लिए जजों के नाम पर घूस लेने के मामले में एक अन्य याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को होने वाली पांच जजों की संविधान पीठ में टैग करने के लिए चीफ जस्टिस के पास भेजा था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब पहले ही एक याचिका दाखिल हो गई थी तो दूसरी याचिका दाखिल क्यों की गई ? हालांकि, कोर्ट ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और इन पर विचार जरूरी है. याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि भारत के चीफ जस्टिस को इस मामले में कोई न्यायिक आदेश या प्रशासनिक आदेश जारी ना करें. लेकिन बेंच ने कहा कि ये चीफ जस्टिस पर निर्भर करता है कि वो इस केस की सुनवाई में रहें या नहीं.

मेडिकल कॉलेज को राहत के लिए उच्च न्यायिक पदों पर बैठे लोगों के नाम पर घूस लेने के मामले में सीबीआई ओडिशा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स संगठन की ओर से इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस की देखरेख में विशेष जांच टीम ( एसआईटी) से जांच कराने  की मांग की गई है.

हालांकि गुरुवार को ही एक अन्य बेंच ने इसी तरह की याचिका पर मामले में पांच वरिष्ठ जजों के संविधान पीठ का गठन किया है और 13 नवंबर को इसकी सुनवाई होगी. कोर्ट ने सीबीआई को मामले से जुड़ी केस डायरी व दस्तावेज सीलबंद कवर में संविधान पीठ के सामने रखने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने केंद्र और सीबीआई को भी नोटिस भी जारी किया है.
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