करवा चौथ और 'महत्व' भूलकर भी ना करें ये गलतियां
कृष्णा तिवारी ,
Oct 08, 2017, 10:36 am IST
Keywords: Karwa chauth Dhram festivals Karwa Festivals Chauth करवा चौथ महत्व त्यौहार करवा चौथ का त्यौहार
करवाचौथ हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के चौथे दिन होता है,पंरपराओं के अनुसार इस दिन शादीशुदा महिलाएं या जिनकी शादी होने वाली हैं वो अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। ये व्रत सुबह सूरज उगने से पहले से लेकर और रात्रि में चंद्रमा निकलने तक रहता है। ये एकदिवसीय त्योहार अधिकतर उत्तरी भारत के राज्यों में मनाया जाता है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, राज्यस्थान और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. बहुत समय पहले की बात हैं वीरवती नाम की एक राजकुमारी थी,जब वह बड़ी हुई तो उसकी शादी एक राजा से हुई। शादी के बाद वह करवा चौथ का व्रत करने के लिए मां के घर आई। वीरवती ने भोर होने के साथ ही करवा चौथ का व्रत शुरू कर दिया। वीरवती बहुत ही कोमल व नाजुक थी। वह व्रत की कठोरता सहन नहीं कर सकी। शाम होते होते उसे बहुत कमजोरी महसूस होने लगी और वह बेहोश सी हो गई। उसके सात भाई थे और उसका बहुत ध्यान रखते थे। केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, ऐसी महिलाएं ही ये व्रत रख सकती हैं.
- व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र न पहने. - लाल वस्त्र सबसे अच्छा है, पीला भी पहना जा सकता है. - आज के दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए. - अगर कोई महिला अस्वस्थ है तो उसके स्थान पर उसके पति यह व्रत कर सकते हैं. |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|
सप्ताह की सबसे चर्चित खबर / लेख
|