काला धन सफेद करने वालों पर ईडी का शिकंजा
जनता जनार्दन डेस्क ,
Oct 06, 2017, 18:37 pm IST
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दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग और कालेधन को सफेद करने की गतिविधियों में शामिल लोगों पर शिकंजा कसना जारी है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मोहम्मद अयूब मीर को 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया है. मीर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है. फेमा (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट ऐक्ट) के तहत दिल्ली के दो हवाला कारोबारियों बेच राज बेंगानी और हरबंस सिंह को भी नोटिस भेजा गया है.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मोहम्मद अली मीर को नई दिल्ली से गिरफ्तार किया था. पुलिस ने मीर को हरबंस सिंह से हवाला के 7 लाख रुपए लेते हुए पकड़ा था. इस सूचना के आधार पर ईडी ने फेमा के तहत जांच शुरू कर दी थी. जांच के दौरान मीर ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ जुड़े होने की बात कबूली. वह आतंकी संगठनों के लिए हवाला के जरिए धनराशि इकठ्ठा कर रहा था. हरबंस सिंह ने भी पूछताछ में बताया कि वह बेच राज बेंगानी के निर्देश पर हवाला भुगतान करता था. बेच राज बेंगानी हवाला कारोबार में लंबे समय से है. फेरा 1973 के तहत बेच राज के खिलाफ 50 लाख का जुर्माना भी लगाया जा चुका है. अयूब मीर और हरबंस सिंह को दिल्ली के एडीशनल सेशन जज ने पोटा के सेक्शन 3(5) और 22(3) के तहत दोषी करार दिया था. वहीं, 13 बैंकों ने कुछ संदिग्ध लेन-देन की जानकारी केंद्र सरकार को दी है. फर्जी कंपनियों के जरिए कालेधन को सफेद बनाने की कोशिश होती थी, जिसके बाद 2 लाख से ज्यादा कंपनियों पर रोक लगा दी गई है. बैंकों की ओर से 5800 फर्जी कंपनियों की लेन-देन की डिटेल्स जारी की गई हैं. ये कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग और कालेधन को सफेद करने की गतिविधियों में शामिल थी. खुलासे में पता लगा है कि कई कंपनियों के 100-100 खाते थे. कुल 2,09,032 कंपनियों पर संदिग्ध गतिविधि की जानकारी के बाद रोक लगा दी गई है. इनमें से एक कंपनी के लगभग 2134 खाते थे. नोटबंदी के बाद इन फर्जी कंपनियों ने करीब 4573.87 करोड़ रुपए की लेन-देन की थी.
गौरतलब है कि मोदी सरकार शेल कंपनियों पर लगातार शिकंजा कस रही है. इससे पहले सरकार ने कहा था कि वह शेल कंपनियों से संबंध रखने वाले 4.5 लाख डायरेक्टर्स को अयोग्य करार दे सकती है. केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी ने कहा है कि कालेधन के खिलाफ सरकार की लड़ाई जारी रहेगी. कॉरपोरेट मामलों के मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि वैध कंपनियों को इस प्रक्रिया से कोई परेशानी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि जो कंपनियां नियमों के विरुद्ध काम कर रही हैं, उनकी वजह से ही अन्य कंपनियों को परेशानी पेश आ रही है. चौधरी ने एक इंटरव्यू में कहा कि सभी अयोग्य करार दिए गए डायरेक्टर्स की प्रोफाइल की जांच की जाएगी. केंद्र सरकार इससे पहले सितंबर महीने में 2.17 लाख से भी ज्यादा कंपनियों के नाम रिकॉर्ड से हटा चुकी है. यह वे कंपनियां थीं, जो पिछले काफी समय से कारोबार नहीं कर रही थीं. |
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