शारदीय नवरात्र के शुभ मुहुर्त, व्रत और पूजा पद्धति

शारदीय नवरात्र के शुभ मुहुर्त, व्रत और पूजा पद्धति नई दिल्लीः हिंदू सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और परंपरा में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है. नौ दिन तक चलने वाले इस पूजा पर्व में दुर्गा के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धीदात्रि की पूजा की जाती है. इस दौरान व्रत, पूजा, ध्यान आराधना का अनुष्ठान तो होता ही है, दसवें दिन विजया दशमी के रूप में मनाया जाता है.

इस साल श्री संवत 2047 शक 1939,  गोलसन्धि ( कालचक्र के विभागानुसार देवताओं की दिन रात की सायंकालीन सन्धि ) पर पड़ने वाला शारदीय नवरात्र दिनांक 21 सितम्बर 2017 दिन बृहस्पतिवार से आरम्भ हो कर दिनांक 29 सितम्बर 2017 दिन शुक्रवार तक मनाया जायेगा ।

नवरात्र के इस पावन पर्व पर नौ दिनों तक शक्तिस्वरूपा जगत जननी माँ भगवती दुर्गा की पूजा - उपासना की जाती है । इन दिनों में वेद के ही समकक्ष कही जाने वाली श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं से  ( यदि पाठ करने की जानकारी व स्पष्ट उच्चारण हो सकता हो तब ही ) अथवा योग्य ब्राह्मण से अपने घर में कराना श्रेयस्कर होता है । जिसके फलस्वरूप त्रिविध तापो  ( दैहिक , दैविक और भौतिक ) की शान्ति होती है और चतुर्विधि पुरूषार्थ  ( धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष ) की प्राप्ति होती है ।

ॐ नमश्चण्डिकायै

नवरात्र व्रत की सूची -
प्रथम नवरात्र , कलश स्थापन , ध्वजारोहण  -------- 21/9/2017
द्वितीय नवरात्र ------- 22/9/2017
तृतीय नवरात्र --------- 23/9/2017
चतुर्थ नवरात्र ---------- 24/9/2017
पंचम नवरात्र ---------- 25/9/2017
षष्टम नवरात्र ----------- 26/9/2017
सप्तम नवरात्र ---------- 27/9/2017
अष्टम नवरात्र ( दुर्गा अष्टमी का व्रत ) ----------- 28/9/2017
नवमी  ------------------- 29/9/2017 को हवन , चण्डी पूजा , महाबलिदान व विसर्जन  ( कलश को उठा देना ) किया जायेगा ।

विजया दशमी ------- 30/9/2017 को मनाई जायेगी तथा इसी दिन नवरात्र व्रत का पारण  किया जायेगा.

दिनांक - 27/9/2017 दिन बुधवार की रात को निशीथ व्यापिनी अष्टमी तिथि  ( इस दिन सायंकाल 5 बज कर 22 मिनट पर सप्तमी तिथी समाप्त होगी और अष्टमी तिथी का आरम्भ होगा, जिससे रात में अष्टमी तिथी भोग करेगी ) में महानिशा की पूजा की जायेगी । महानिशा की पूजा जिस दिन अष्टमी तिथि  रात्रि में भोग कर रही होती हैं, उसी दिन की जाती है ।

नोट - आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि जिस दिन सूर्योदय के समय पाई जाती है, उसी दिन से शरद नवरात्र का आरम्भ होता है । उस दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त  ( सूर्योदय से 24 मिनट पूर्व ) से पूरे दिन कलश स्थापना की जा सकती है - निर्णय सिन्धु ।

हवन व कलश विसर्जन नवमी तिथि में किया जाता है । नवरात्र व्रत में हवन के लिए अग्निवास आदि का विचार नहीं किया जाता है । नवरात्र व्रत में कुछ स्थानों पर अपनी कुल परम्परा के अनुसार अष्टमी तिथि को ही हवन आदि करके नवरात्र व्रत को समाप्त कर देने की प्रथा पाई जाती है । अतः जिसकी जो भी कुल परम्परा चली आ रही हो उसे अपनी परम्परा का ही अनुसरण करना चाहिए ।

मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में आवाहन कर आदि कर  पूर्वाषाढा नक्षत्र के प्रथम चरण में भगवती सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना , पुस्तक पूजा की जाती है । इसी समय में व्यापारी गण अपने बही खाता की पूजा कर उसे व्यवहार में ले आते हैं ।

इस अनुसार - दिनांक 27/9/2017 दिन बुधवार को सुबह 9 बज कर 44 मिनट से मूल नक्षत्र का प्रथम चरण आरम्भ हो कर लगभग पाँच से साढे पाँच घंटे तक रहेगा । और दूसरे दिन दिनांक 28/9/2017 दिन बृहस्पतिवार को दिन मे 12 बजकर 17 मिनट से पूर्वाषाढा नक्षत्र का आरम्भ होगा, यह भी पाँच से साढ़े पाँच घंटे के लगभग भोग करेगा ।।

* पंडित राकेश उपाध्याय , साहिबाबाद, गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश 201005
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