हिंद महासागर में ड्रैगन पर नजर रखेगा 'सी गार्डियन'

जनता जनार्दन डेस्क , Aug 20, 2017, 12:16 pm IST
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हिंद महासागर में ड्रैगन पर नजर रखेगा 'सी गार्डियन' नई दिल्ली: चीन से डोकलाम मुद्दे पर जारी जबर्दस्त तनातनी के बीच भारत के लिए अपनी समुद्री सीमा की सुरक्षा और अहम हो गई है। ऐसे में अमेरिका से भारत को मिलने वाले 22 सी-गार्डियन ड्रोन से हिंद महासागर में देश की सुरक्षा को नई मजबूती मिलने की उम्मीद है। भारत की समुद्री सीमा 7500 किलोमीटर लंबी है। साउथ चाइना सी में चीन के अंतरराष्ट्रीय नियमों को धता बताने और हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिशों को देखते हुए भारत को अमेरिकी ड्रोन मिलना बेहद अहम है।

40 घंटे तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम
सी-गार्डियन ड्रोन अमेरिका समेत उसकी सहयोगी सेनाओं का अहम रक्षा उपकरण है। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये ड्रोन लगातार 40 घंटे तक उड़ान भरते हुए दुश्मन की किसी भी हरकत पर नजर रखने में सक्षम है। भारतीय मूल के एक टॉप अमेरिकी अफसर विवेक लाल ने बताया कि भारत को सी-गार्डियन देने के फैसले से भारत-अमेरिका के रिश्ते तो मजबूत होंगे ही, इससे अमेरिका में 2000 नए जॉब्स भी जाएंगे। पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत को 2 बिलियन डॉलर (करीब 12818 करोड़ रुपये) में ड्रोन दिए जाने पर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सहमति जताई थी।

शक्ति संतुलन में साबित होगा मददगार
गार्डियन ड्रोन से हिंद महासागर इलाके में भारत की निगरानी क्षमता में इजाफा होगा और चीन के साथ 'पावर बैलेंस' बनाने में भी मदद मिलेगी। अमेरिका ने पहली बार किसी ऐसे देश को ये ड्रोन देने का फैसला किया है, जो कि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का सदस्य नहीं है। भारत ने हाल ही में इजरायल से 10 हेरॉन ड्रोनों की खरीद का भी समझौता किया है, जिनकी कीमत 400 मिलियन डॉलर है। इस्राइली हेरॉन को सी-गार्डियन का प्रतियोगी माना जाता है। लेकिन अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका के भारत को ड्रोन देने से इजरायल से डील पर असर नहीं पड़ेगा। इसे अमेरिका की भारत के साथ अब तक की सबसे बड़ी डील भी कहा जा रहा है।
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