'हर हाथ, एक किताब', राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की अभिनव योजना: बल्देव भाई शर्मा

'हर हाथ, एक किताब', राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की अभिनव योजना: बल्देव भाई शर्मा नई दिल्लीः "राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने के मौके पर हमारा लक्ष्य है कि देश के हर बच्चे तक, प्रत्येक पाठक तक उसकी पसंद की, उसकी आवश्यकता के अनुरूप और उसकी अपनी बोली-भाषा में पुस्तक उपलब्ध हो। इस अवसर पर न्यास ने कई ऐसे अभिनव योजनाएं प्रारंभ की हैं, जिससे पूरे देश में पुस्तकों की उपलब्धता को विस्तार मिलेगा।"

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की स्थापना के 60 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में पूरे साल भर तक चलने वाले कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए आयोजित पत्रकार वार्ता में यह बात कही न्यास के अध्यक्ष बल्देव भाई शर्मा ने. श्री शर्मा भारतीय संस्कृति के सशक्त हस्ताक्षर होने के साथ ही ख्यात पत्रकार भी रहे हैं. इस अवसर पर न्यास की निदेशक डॉ. रीता चौधरी ने भी पत्रकारों से बात की।  

उल्लेखनीय है कि आगामी 01 अगस्त 2017 को राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, जिसे अंगरेजी में नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के नाम से जानते हैं, अपनी स्थापना का 60वां वर्ष पू्रा कर रहा है। इस अवसर पर सालभर आयोजित होने वाले अनूठे आयोजनों का शुभारंभ दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे। न्यास की तरफ से इस मौके पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन भी किया जा रहा है।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि आंचलिक क्षेत्रों में आयोजित होने वाली हमारी सचल पुस्तक प्रदर्शनियों से ले कर विश्व पुस्तक मेले के अनुभव इस बात को अस्वीकार करते हैं कि लोगों में पढ़ने की आदत कम हो रही है। उन्होंने बताया कि आवश्यकता इस बात की है कि लोगों तक पुस्तकों की पहुंच को बढा़या जाए और न्यास ने इस दिशा में कई नई योजनाएं प्रारंभ की हैं।

पठन संस्कृति प्रोन्नयन के लिए नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी तथा स्थापना दिवस व्याख्यान का कार्यक्रम विवरणः

दो दिवसीय गोष्ठी का विषय है - भारतीय साहित्य में राष्ट्रीयता का बोध। इसका शुभारम्भ  01 अगस्त 2017 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे और अध्यक्षता प्रख्यात लेखिका और गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा करेंगी। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रख्यात लेखक व चिंतक डॉ. कृष्ण  गोपाल जी और विशिष्ठ  अतिथि डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, कुलपति , केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला होंगे। न्यास के अध्यक्ष श्री बल्देव भाई शर्मा बीज वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे।

दो दिवसीय  गोष्ठी  छह सत्रों में विस्तारित है। 01 अगस्त को उद्घाटन के तत्काल बाद पहले सत्र का विषय  है -साहित्य में स्वदेश-भाव। इस सत्र का अध्यक्षता प्रख्यात नृत्यांगना सुश्री सोनल  मानसिंह करेंगी। इस सत्र में वक्ता हैं:प्रेम शंकर त्रिपाठी (कोलकाता),अग्नि शेखर (जम्मू-कश्मीर) और डॉ. अवनिजेश अवस्थी, दिल्ली ।

दूसरा सत्र दिन 2.30 बजे प्रारंभ होगा जिसका विषय होगा -  बाल मनः लेखन की चुनौतियां । इस सत्र का अध्यक्षता इंदौर से आने वाले ‘देवपुत्र’ पत्रिका के संपादक श्री कृष्ण कुमार अष्ठाना होंगे। इसके वक्ता हैं: श्री प्रकाश मनु, डॉ. क्षमा शर्मा और डॉ दर्शन सिंह आशट।

"अस्मिता के प्रश्न और राष्ट्रीयता" विषय  पर तीसरा सत्र शाम 4.30 बजे से होगा, जिसकी अध्यक्षता डॉ कमल किशोर गोयनका करेंगे। अन्य वक्ता हैं- चंद्र प्रकाश द्विवेदी, सुश्री चित्रा मुद्गल और डा निरंजना महंत बेजबरूआ।

शाम 6.30 बजे ‘स्थापना दिवस व्याख्यानमाला’ में मुख्य वक्ता प्रो. मकरंद आर.परांजपे होंगे। इस अवसर पर  डॉ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, अध्यक्ष साहित्य अकोदमी, अध्यक्षता करेंगे और जाने माने विचारक व चिंतक जे. नंदकुमार का सान्निध्य होगा।

दिनांक 02 अगस्त को चौथा सत्र प्रातः 10.00 प्रारंभ होगा जिसका विषय है - जनजातीय साहित्य: परिधि से केंद्र की ओर । इस सत्र का अध्यक्षता  प्रो. नंदकिशोर पांडे करेंगे जबकि वक्ता होंगे - प्रो. टी.वी. कट्टीमणि, अशोक भगत और रूद्रनारायण पाणिग्रही।

"लोक साहित्य में भारत" विषय पर पांचवे सत्र की अध्यक्षता डॉ. देवेन्द्र दीपक करेंगे और वक्ता होंगे- श्रीराम परिहार, सुश्री मालिनी अवस्थी और यतीन्द्र मिश्र।

छठा सत्र "राष्ट्रीय जागरण और महिला लेखन" पर होगा, जिसमें सुश्री मालती जोशी की अध्यक्षता में सुश्री ऋता शुक्ल, सुश्री नीरजा माधव और सुश्री अद्वेता काला वक्ता होंगी।

02 अगस्त 2017 को शाम  4.30 बजे समापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ महेन्द्रनाथ पांडे, राज्य मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्रालय होंगे। इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्री रंगाहरि जी, प्रख्यात लेखक व विचारक तथा अध्यक्ष डॉ नरेन्द्र कोहली होंगे।

विचार गोष्ठी  के दौरान न्यास द्वारा सद्यप्रकाशित कई पुस्तकों का विमोचन भी होगा।

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत की स्थापना के 60वें वर्ष के अवसर पर आम लोगों का पुस्तकों से जीवन-पर्यन्त नाता जोड़ने के उद्देश्य से न्यास की तरफ से जो अभिनव प्रयास किए जा रहे हैं, उनकी जानकारी भी पत्रकार वार्ता में दी गई, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

राष्ट्रीय पंचायत पुस्तक मेला
विशेषतः ग्रामीण पाठकों को ध्यान में रखते हुए एक अनूठी  पहल, जिसमें पठन संस्कृति के प्रोन्नयन हेतु स्थानीय पंचायती राज संस्थाओं को शामिल किया जाएगा।

जंबूरी: बच्चों एवं युवाओं हेतु पठन-उत्सव
बाल साहित्य के प्रकाशन एवं प्रोन्नयन हेतु एक अग्रणी संस्था होने के नाते राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत, बच्चों के लिए रंगबिरंगी, मनोरंजक, ज्ञानवर्धक और वाजिब दाम पर पुस्तकों के लिए एक ऐसा मंच प्रस्तुत कर रहा है जहाँ पारंपरिक और डिजिटल सामग्री निर्माताओं, प्रकाशकों, युवा पाठकों, लेखकों, अभिभावकों, अध्यापकों, कलाकारों तथा चित्रकारों के बीच, परस्पर विचार-विमर्श को बढ़ावा मिलेगा।

राष्ट्रीय संस्कृत पुस्तक मेला
सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक, संस्कृत से संबंधित भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के प्रोन्नयन हेतु राष्ट्रीय संस्कृत पुस्तक मेले की संकल्पना की गई है जिसका उद्देश्य संस्कृत की पुस्तकों एवं प्रकाशनों को प्रदर्शित करने के साथ-साथ अन्य भाषाओं में लिखी संस्कृत पर आधारित पुस्तकों को प्रदर्शित करना है।

हर हाथ-एक किताब
स्नैपडील के साथ मिल कर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने एक योजना प्रारंभ की है जिसके तहत कोई भी व्यक्ति जरूतरमंद पाठकों तक पुस्तकें पुहंचाने के लिए स्वेच्छा से दान दे सकता है। सौ रूपए में चार पुस्तकें। इस तरह एकत्र राशि से न्यास की पुस्तकें , देशभर के पुस्तक प्रेमियों व बच्चों के बीच दूरदराज तक पठन प्रोन्नयन के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं तक पहुंचाने का कार्य शुरू किया है।

भारतीय डायस्पोरा लेखन का प्रोन्नयन
इस परियोजना के अंतर्गत, एनबीटी, विश्वभर में रह रहे प्रवासी भारतीय लेखकों की चुनिंदा पुस्तकें तथा संकलन चरणबद्ध रूप से प्रकाशित करेगा।

भारतीय डिज़ाइन संस्थान (एनआईडी ) के साथ सहभागिता
न्यास अपने प्रकाशनों तथा प्रदर्शनियों के डिज़ाइन तथा व्यापक आकर्षण को बढ़ाने के लिए देश के प्रमुख डिज़ाइन संस्थान के साथ संस्थागत सहयोग हेतु अग्रसर है।

छात्राओं के लिए प्रकाशन पाठ्यक्रम
इस कार्यक्रम के अंतर्गत छात्राओं के लिए प्रकाशन में विशिष्ट प्रकाशन पाठ्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
   
डिजिटल प्रकाशन कार्यशालाएँ
डिजिटल सामग्री की बढ़ती माँग को ध्यान में रखते हुए न्यास, प्रमुख सरकारी संस्थान, प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) तथा प्रमुख आईटी कंपनियों, जैसे माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से भारतीय भाषा लेखकों, प्रकाशकों तथा अन्य प्रकाशन पेशेवरों के लिए डिजिटल प्रकाशन कार्यशालाएँ आयोजित करेगा।

पुस्तक पठन एवं पुस्तक मेलों पर शोध
न्यास ने अपने शोध एवं नवाचार कार्यक्रम के अंतर्गत, प्रमुख शोध संगठन, एनसीएईआर के माध्यम से सर्वेक्षण पर आधारित शोध कार्यक्रम संचालित करने का प्रस्ताव किया है जिसमें पुस्तक मेलों के व्यापार, पाठकीयता-विकास तथा क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार अवसरों में पुस्तक मेलों के आयोगदान आदि पर शोध किया जाएगा।

विशिष्ट आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए पुस्तकें (ब्रेल, स्पर्शनीय एवं श्रव्य पुस्तकें आदि)
न्यास ब्रेल भाषा में अपने प्रकाशन कार्यक्रम को और अधिक विकसित करने हेतु विशिष्ट आवश्यकताओं वाले पाठकों के लिए ब्रेल, स्पर्शनीय एवं श्रव्य/डिजिटल प्रारूप में उत्कृष्ट गुणवत्ता की पुस्तकें प्रकाशित करने के प्रयासों को बढ़ावा देगा।

पुस्तकालयों के माध्यम से पुस्तक प्रोन्नयन हेतु भारतीय सार्वजनिक पुस्तकालय आंदोलन के साथ सहयोग
भारतीय सार्वजनिक पुस्तकालय आंदोलन (आईपीएलएम)के सहयोग से न्यास, व्यापक पुस्तक प्रोन्नयन गतिविधियों का आयोजन करेगा जिनके केंद्र में पुस्तकालयों का नेटवर्क होगा।

दुर्लभ पुस्तकों का प्रकाशन
रा पु न्यास कुछ ऐसी पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है जो कि अनेक वर्ष पहले प्रकाशित हुईं, लेकिन आज उपलब्ध नहीं हैं । जैसे - आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ , दीनदयाल उपाध्याय: व्यक्ति-चित्र (संपा. डॉ कमल किशोर गोयनका) और भारत की मौलिक एकता(श्री वासुदेव शरण अग्रवाल) का प्रकाशन। इसी क्रम में कई दुर्लभ व महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन होगा।

त्रैमासिक पत्रिका ‘पुस्तक संस्कृति’
देशभर के स्थापित और नए लेखकों को एक मंच प्रदान करने, नई पुस्तकों और पुस्तक प्रोन्नयन गतिविधियों की जानकारी देशभर के पाठकों तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई न्यास की त्रैमासिक पत्रिका ‘पुस्तक संस्कृति’ को व्यापक पाठक वर्ग मिला है।

श्री शर्मा ने यह भी जानकारी दी कि विभिन्न राज्य सरकारों के सहयोग से आंचलिक क्षेत्रों तक न्यास की पुस्तकों के बिक्री केंद्र के विस्तार व उपलब्धता को बढ़ाने की योजना पर भी काम हो रहा है।
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल