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भारत-चीन सीमा विवाद: अब पेंटागन ने जताई चिंता, कहा 'सहमति से सुलझाएं विवाद'

भारत-चीन सीमा विवाद: अब पेंटागन ने जताई चिंता, कहा 'सहमति से सुलझाएं विवाद' वॉशिंगटनः भारत और चीने के बीच सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में सीमा विवाद पर अमेरिका का नया नजरिया सामने आया है. अमेरिकी विदेश विभाग के बाद अब रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने भी कहा है कि भारत और चीन सीधे बातचीत के जरिये तनाव कम करें और इसमें किसी तरह की जोर-जबरदस्ती न हो.

इससे पहले, यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने भी इस मसले पर बयान दिया था, लेकिन पेंटागन ने अपनी भूमिका को सीमित करते हुए बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के दोनों देशों को जोर-जबरदस्ती से मुक्त माहौल में बातचीत की सलाह दी है.

बता दें कि डोकलाम में 36 दिन से भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं. ये इलाका एक ट्राई जंक्शन (तीन देशों की सीमाएं मिलने वाली जगह) है. चीन यहां सड़क बनाना चाहता है, लेकिन भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक यूएस के डिफेंस डिपार्टमेंट के स्पोक्सपर्सन गैरी रॉस ने शनिवार को कहा, "हम भारत और चीन की सरकारों को इस बात के लिए उत्साहित करते हैं कि दोनों जोर-जबरदस्ती से मुक्त माहौल में सीधी बातचीत करें और तनाव को कम करने पर फोकस करें. हम इस मामले में अटकलें नहीं लगाना चाहते." हालांकि पेंटागन ने भारत-चीन में से किसी का पक्ष लेने से इनकार किया है.

डोकलाम में भारत और चीन के बीच जारी सैन्य गतिरोध को ख़त्म करने के लिए अमेरिका ने दोनों देशों को बातचीत करने का सुझाव दिया है. शुक्रवार को अमेरिका ने अपने एक बयान में कहा कि वो दोनो देशों के बीच सीमा पर चल रहे तनातनी को क़रीब से देख रहा है. मेरे ख़्याल से दोनों देशों को बातचीत कर विवाद को सुलझाना लेना चाहिए.

बता दें कि गुरुवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा था कि भारत सिक्किम सेक्टर में गतिरोध पर चीन के साथ बातचीत को तैयार है, 'लेकिन दोनों पक्षों को पहले अपनी-अपनी सेनाएं वापस बुलानी होंगी.'

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच फिलहाल सीमा को लेकर स्थिति साफ़ नहीं है और ये बातचीत के ज़रिए ही सुलझाया जा सकता है.

गुरुवार को ही बीजिंग में चीन की विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सैन्य गतिरोध पर बातचीत के लिये कूटनीतिक रास्ते खुले हुए हैं, लेकिन उससे पहले भारत को डाकोला से सैनिकों को पीछे हटाना होगा।

अमेरिका के विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नुअर्ट ने भी एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा था, 'हम इस स्थिति पर करीब से और सावधानी पूर्वक नजर रख रहे हैं. इसपर ज्यादा जानकारी के लिए मुझे आपसे भारत और चीन की सरकारों से संपर्क करने को कहना पड़ेगा.' एक सवाल का जवाब देते हुए हीथर ने कहा कि भारतीय और चीनी उन मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं.

बीजिंग में 27-28 जुलाई को होने वाली ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बैठक में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के शामिल होने का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा, 'वह एक दूसरे से बात करने वाले हैं.' हीथर ने कहा, 'हम उन्हें तनाव कम करने के लक्ष्य से सीधी वार्ता करने को प्रोत्साहित करेंगे. हम इस मामले में अटकलें नहीं लगाना चाहते.' पेंटागन ने भारत-चीन में से किसी का पक्ष लेने से इनकार किया है.

डोकलाम में विवाद क्या?
- ये विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम में चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था. हालांकि चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है. भारत ने 16 जुलाई को सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि वह इस इलाके में पीछे नहीं हट सकता. डोकलाम में चीन को सड़क बनाने नहीं दिया जाएगा. भारत ने चीन की इस वॉर्निंग को नजरअंदाज कर दिया है कि भारत अपने सैनिक वहां से तुरंत वापस बुला ले, नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है.
- इंडियन डिफेंस मिनिस्ट्री की तरफ से कहा गया है कि जब तक चीन के सैनिक सड़क निर्माण से पीछे नहीं हटते, भारतीय सैनिक नॉन काम्बैट मोड में डोकलाम में डटे रहेंगे. उधर, चीनी मीडिया ने कहा है कि भारत के साथ बातचीत की पूर्व शर्त भारतीय सैनिकों का डोकलाम से पीछे हटना है. इस मामले में मोलभाव के लिए कोई जगह नहीं है.

सैनिक केवल 100 मीटर पर आमने-सामने
- भारतीय सेना के जवानों ने चीनी सैनिकों के अड़ियल रवैये को देखते हुए सिक्किम के डोकलाम इलाके में 9 जुलाई से अपने तंबू गाड़ रखे हैं. बॉर्डर पर दोनों देशों की 60-70 सैनिकों की टुकड़ी 100 मीटर की दूरी पर आमने-सामने डटी हैं. दोनों ओर की सेनाएं भी यहां से 10-15 किलोमीटर की दूरी पर तैनात हैं.

भारत का क्या है तर्क?
- नई दिल्ली ने चीन को बताया है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है. रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी मिलिट्री एडवान्टेज हासिल होगी. इससे नॉर्थइस्टर्न स्टेट्स को भारत से जोड़ने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा.
- इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है. भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है. इसका 220 किलोमीटर हिस्सा सिक्किम में आता है.
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