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बोफोर्स घोटाले की जांच फिर शुरू करने के लिए केंद्र से इजाजत मांगेगी सीबीआई

जनता जनार्दन डेस्क , Jul 14, 2017, 11:42 am IST
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बोफोर्स घोटाले की जांच फिर शुरू करने के लिए केंद्र से इजाजत मांगेगी सीबीआई नई दिल्ली: कांग्रेस के दामन पर सबसे बड़े 'दाग' के रूप में जाना जाने वाला बोफोर्स घोटाला एक बार फिर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। सीबीआई बोफोर्स तोप सौदे की जांच फिर शुरू करने के लिए केंद्र सरकार से इजाजत मांगने वाली है। संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (PAC) के निर्देश पर सीबीआई ऐसा करने वाली है। कैग की लंबित रिपोर्ट्स की जांच कर रही PAC की एक उप-समिति के अध्यक्ष BJD नेता भातृहरि माहताब ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से गुरुवार को कहा कि वे बोफोर्स सौदे के 'सिस्टैमिक फेल्यर' और घूस लेने के आरोपों की फिर जांच करें।

गुरुवार को माहताब और बीजेपी नेता निशिकांत दुबे सहित उप-समिति के अन्य सदस्यों ने सीबीआई से दिल्ली हाई कोर्ट के 2005 के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा जिसमें बोफोर्स मामले में कार्यवाही निरस्त कर दी गई थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी नेताओं के खिलाफ आरोप फिर से निर्धारित किए जा सकते हैं, तो फिर बोफोर्स मामले में ऐसा क्यों नहीं हो सकता।

जब सीबीआई के निदेशक ने उप-समति को बताया कि एजेंसी को इस सिलसिले में केंद्र सरकार से निर्देश लेने होंगे, तो माहताब ने कहा कि एजेंसी सिर्फ अपना काम करे और फैसला केंद्र सरकार पर छोड़ दे। इस पर वर्मा ने कहा कि वह दो हफ्ते के अंदर समिति के सामने पेश होंगे।इसके अलावा बताया जा रहा है कि उप-समिति के सामने पेश हुए रक्षा सचिव संजय मित्रा ने पैनल को बताया है कि CAG से संबंधित जरूरी फाइलें गायब हैं। सांसदों ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि अगर ऑरिजनल डॉक्युमेंट्स जांच एजेंसियों को दिए गए थे, तब भी उसकी फोटोकॉपी रेकॉर्ड के लिए रखी जानी चाहिए थी।

हालांकि केस अभी पूरी तरफ डेड नहीं हुआ है क्योंकि दिसंबर, 2016 में इसका जिक्र उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में हुआ था, जब सीबीआई ने बताया था कि केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने उसे मामले में अपील दायर करने की इजाजत नहीं दी थी। बता दें कि PAC की यह उप-समिति बोफोर्स सौदे पर 1986 में सीएजी की रिपोर्ट के कुछ पहलुओं का पालन नहीं किए जाने की जांच कर रही है।

गौरतलब है कि बोफोर्स तोप सौदे के चलते 1980 के दशक में देश की राजनीति में भूचाल सा आ गया था। 1989 में कांग्रेस को इसकी वजह से सत्ता तक गंवानी पड़ी थी। मामले में आरोपी इटली के बिजनसमैन ओत्तावियो क्वात्रोकी की गांधी परिवार से कथित नजदीकी सवालों के घेरे में रही है।
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