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भारत अगर सैन्य तनाव में उलझा तो 1962 से भी करेंगे बुरा हालः चीनी मीडिया ने चेताया

भारत अगर सैन्य तनाव में उलझा तो 1962 से भी करेंगे बुरा हालः चीनी मीडिया ने चेताया नई दिल्लीः सिक्किम सीमा पर जारी तनाव में भारत द्वारा सख्ती दिखाए जाने से चीन बौखला गया है. चीन की यह बौखलाहट वहां की मीडिया कवरेज में साफ दिख रही है.

चीन की सरकारी मीडिया ने भारत को धमकाते हुए कहा है कि अगर भारतीय सेना सिक्किम बॉर्डर के पास 'उसके इलाके' से बाहर नहीं निकलती है, तो चीन के सैनिक उसे 'खदेड़कर बाहर निकाल देगें.'

चीन के अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने अपने एक लेख में लिखा है, 'भारतीय सेना चाहे तो सम्मान के साथ अपनी सीमा में लौट सकती है, वरना चीन के सैनिक उसे इस इलाके से खदेड़कर बाहर निकाल देंगे.'

चीनी मीडिया का कहना है कि सिक्किम सेक्शन के डोंगलांग क्षेत्र में कायम मौजूदा तनाव केवल भारतीय सेना के पीछे हटने पर ही खत्म हो सकता है.

ग्लोबल टाइम्स ने अपने इस लेख में भारत के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया है. अखबार ने भारत पर '21वीं सदी की सभ्यता को अपमानित' करने का भी आरोप लगाया है.

दूसरी तरफ चीन के विदेश मंत्रालय ने सीमा पर जारी तनाव को लेकर एक बयान जारी किया है. इसमें भारत को सिक्किम सेक्शन से अपनी सेना पीछे हटाने की सलाह दी गई है.

ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा है, 'अगर भारत को लगता है कि वह डोकलाम इलाके में अपनी सैन्य क्षमता का सहारा लेकर फायदा उठा लेगा, तो हम साफ करना चाहते हैं कि चीन भारत की सैन्य ताकत को तिरस्कार की नजर से देखता है. हम भारत को खुद से कमतर मानते हैं.'

इस लेख में रक्षामंत्री अरुण जेटली के बयान का जिक्र करते हुए कहा गया है, 'जेटली ठीक कहते हैं कि 2017 का भारत 1962 के भारत से अलग है. अगर भारत दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष को उकसाता है तो उसे 1962 के मुकाबले ज्यादा नुकसान झेलना होगा.'

मालूम हो कि तिब्बत स्थित चुंबी घाटी का एक हिस्सा डोकलाम भूटान का भूभाग है. चीन इसपर अपना हक जता रहा है। भारत का कहना है कि भूटान का रक्षा सहयोगी होने के नाते वह इस मामले में थिंपू के साथ खड़ा है.

पिछले कुछ दिनों से चीन लगातार इस मुद्दे पर आक्रामकता दिखा रहा है. मालूम हो कि 16 जून को चीनी सेना की कंस्ट्रक्शन टीम भारी संख्या में मशीनों और वाहनों के साथ डोकलाम में सड़क बनाने के लिए भूटान की सीमा के अंदर घुस आई.

भूटान के इस इलाके पर चीन भी अपना दावा जताता है. दोनों देशों के बीच इस विवाद को लेकर कई चरणों की बातचीत भी हो चुकी है. भूटान ने चीन द्वारा डोकलाम में सड़क बनाए जाने का विरोध किया. यहीं से यह पूरा विवाद शुरू हुआ.

अखबार ने भारतीय सेना के प्रमुख जनरल बिपिन रावत के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि युद्ध की स्थिति आने पर भारत इसका सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

ग्लोबल टाइम्स ने एक बार फिर भारतीय सेना पर चीन-सिक्किम सीमा को पार करने का आरोप लगाया. चीनी मीडिया ने भारत पर बार-बार अपना बयान बदलने का भी इल्जाम लगाया है.

अखबार ने लिखा है, 'भारत का यह कहना कि वह भूटान के भूभाग की रक्षा में उसकी मदद कर रहा है, केवल बहानेबाजी है. भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने बेहद बेशर्मी से पेश आ रहा है.'

ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारत पर जंग का जुनून सवार है. अखबार ने नई दिल्ली की उन सामरिक चिंताओं को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि चीन द्वारा चुंबी घाटी में सड़क बनाने से भारत की मुख्यभूमि को उत्तरपूर्वी राज्यों के साथ जोड़ने वाले सिलिगुड़ी गलियारे को नुकसान पहुंच सकता है.

मालूम हो कि सिलिगुड़ी गलियारा इस चुंबी घाटी के ठीक नीचे, महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस गलियारा न केवल सामरिक हितों के मद्देनजर, बल्कि आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से भी भारत के लिए बेहद अहम है.

एक ओर जहां चीन पर पाकिस्तान को अपना 'आर्थिक उपनिवेश' बनाने के आरोप लगते हैं, तो वहीं चीनी मीडिया ने भारत और भूटान के संबंधों पर सवाल उठाया है. चीन ने भारत पर भूटान को अपना 'दास' बनाने का भी आरोप लगाया.

साथ ही, अखबार ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अपील की है कि वह भारत द्वारा कथित तौर पर भूटान का दमन किए जाने की कोशिशों की निंदा करे.

मालूम हो कि चीन लगातार डोकलाम मुद्दे पर भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत धैर्य बनाए रखकर पूरी सख्ती और दृढ़ता के साथ इस मुद्दे से निपट रहा है.

1962 के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी इलाके में भारत और चीन की सेनाओं के बीच इतने लंबे वक्त तक गतिरोध बना हुआ है.
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