डिब्रुगढ़ का सहरीकटा गावँ बना एक मिशाल,यहाँ 54 वर्षों से शराब पर है प्रतिबंध

डिब्रुगढ़ का सहरीकटा गावँ बना एक मिशाल,यहाँ 54 वर्षों से शराब पर है प्रतिबंध

मोरानहाट: डिब्रुगढ़ जिले के टिंगखांग विधानसभा क्षेत्र के न-खाट गांव पंचायत अंतर्गत सहरीकटा गांव के लोगों ने पिछले 54 वर्षों से गांव हर प्रकार के शराब पर प्रतिबंध लगा रखा है,आज जहां लगभग हर जगह शराब आसानी से उपलब्ध है,जिसका सेवन कर युवा पिढ़ी से लेकर महिला पुरुष तक सभी करते है और जिससे सामाजिक परिवेश खराब होने के साथ ही पारिवारिक अशांति होती है ऐसे में उक्त गांव ने शराब पर प्रतिबंध लगाकर एक मिशाल कायम की है.

गांव के तरुण संघ के सदस्य तथा समाजसेवी अनंत सोनोवाल तथा हरेन्द्र सोनोवाल से मिली जानकारी के अनुसार 1963 से ही गांव में देशी,विदेशी तथा स्थानिय रुप से तैयार शराब पर प्रतिबंध लगा हुवा है जिसका ग्रामीण पुरी तरह पालन करते आ रहे है.

बुढ़ीडिहिंग नदी के किनारे स्थित सैकड़ों परिवारों वाले इस गांव में पहले लोग सराब पिया करते थे, मगर 1963 की एक शाम शराब के नशे में सराबियों में हुई सनसनीखेज हत्याकांड के घटना के बाद शर्म से गांव के लोगों ने शराब पर प्रतिबंध लगा दिया.

शराब के प्रतिबंध के बाद से वर्तमान गांव में कठोर श्रम,आगे बढ़ने की इच्छा तथा आपस में प्रेम और एक दुसरे की मदद करने की भावना से ओतप्रोत लोग है और इसका सारा श्रेय 1956 में गठित गांव के तरुण संघ और पुस्तकालय को है.

संघ पिछले 61 वर्षों से गांव तथा लेंगेंरी क्षेत्र में वौधिक विकास की ध्वज लहरा रहा है.

कोलकाता के राजा राम मोहन राय पुस्तकालय का स्वीकृति प्राप्त तथा डिब्रुगढ़ जिला ग्रामीण पुस्तकालय का छठा पुरस्कार पाने में सफल रहे उक्त पुस्तकालय में लगभग छ हजार से अधिक बहुमुल्य पुस्तकें संरक्षित है जो युवा पिढ़ी और पाठकों को ज्ञान परोसती है और जिससे गांव के लोग शिक्षित और अच्छे विचारों से परिपुर्ण होते आ रहे है.

गांव के इतने अच्छे प्रयासों और तपस्या के बावजुद सरकार ने आजतक इस गांव के विकास के लिये कुछ भी नहीं किया,वरण गांव की सड़क आज भी बदहाल है,ऐसे में जाती माटी आरु भेटी की बात करनेवाले मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल तथा परिवर्तन का सपना दिखाकर टिंगखांग के विधायक बने विमल बोरा से ग्रामीणों को काफी उम्मीदे है.

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