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हरिद्वार में गंगा का पानी, नहाने के लायक भी नहीं: आरटीआई का जवाब

जनता जनार्दन संवाददाता , May 18, 2017, 14:22 pm IST
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हरिद्वार में गंगा का पानी, नहाने के लायक भी नहीं: आरटीआई का जवाब देहरादून: गंगा में स्नान करने से भले आपके पाप 'धुल' जाएं, लेकिन इसका पानी आपको बीमार कर सकता है। हरिद्वार जाकर आप गंगा में डुबकी लगाकर अच्छा महसूस करते होंगे, लेकिन यकीन मानिए यहां पानी इतना गंदा है कि पीना तो दूर, नहाने लायक भी नहीं बचा है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि हरिद्वार में गंगा नदी का पानी नहाने के लिए भी ठीक नहीं है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि हरिद्वार जिले में गंगा का पानी तकरीबन हर पैमाने पर असुरक्षित है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, हरिद्वार के 20 घाटों में रोजाना 50,000 से 1 लाख श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं।

उत्तराखंड में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार जिले तक 11 लोकेशन्स से पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए सैंपल लिए गए थे। ये 11 लोकेशन्स 294 किलोमीटर के इलाके में फैली हैं। बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरएम भारद्वाज ने बताया, इतने लंबे दायरे में गंगा के पानी की गुणवत्ता जांच के 4 प्रमुख सूचक रहे, जिनमें तापमान, पानी में घुली ऑक्सिजन(DO), बायलॉजिकल ऑक्सिजन डिमांड(BOD) और कॉलिफॉर्म(बैक्टीरिया) शामिल हैं।

हरिद्वार के पास के इलाकों के गंगा के पानी में बायलॉजिकल ऑक्सिजन डिमांड, कॉलिफॉर्म और अन्य जहरीले तत्व पाए गए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के मुताबिक, नहाने के एक लीटर पानी में बायलॉजिकल ऑक्सिजन डिमांड का स्तर 3 मिलीग्राम से कम होना चाहिए, जबकि यहां के पानी में यह स्तर 6.4mg से ज्यादा पाया गया।

इसके अलावा, हरकी पौड़ी के प्रमुख घाटों समेत कई जगहों के पानी में कॉलिफॉर्म भी काफी ज्यादा पाया गया। प्रति 100ml पानी में कॉलिफॉर्म की मात्रा जहां 90 MPN(मोस्ट प्रॉबेबल नंबर) होना चाहिए, वह 1,600 MPN तक पाई गई।  केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक नहाने के पानी में इसकी मात्रा प्रति 100 ml में 500 MPN या इससे कम होनी चाहिए।

इतना ही नहीं, हरिद्वार के पानी में DO का स्तर भी 4 से 10.6 mg तक पाया गया, जबकि स्वीकार्य स्तर 5 mg का है। जानेमाने पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने कहा, 'हरिद्वार इंडस्ट्रियल और टूरिस्ट हब बन गया है, ऐसे में जब तक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट इन्स्टॉल नहीं किए जाते और पानी की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी नहीं रखी जाती, घाटों का पानी प्रदूषित रहेगा।'
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