सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, आज से हाइवे पर नहीं मिलेगी शराब, बिहार में 2 माह के अंदर खत्म होगा स्टाक

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, आज से हाइवे पर नहीं मिलेगी शराब, बिहार में 2 माह के अंदर खत्म होगा स्टाक नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश भर में शनिवार से नेशनल व स्टेट हाइवे के 500 मीटर के दायरे में आनेवाली शराब की दुकानें बंद करनी पड़ेंगी.

हालांकि, 20,000 तक की आबादी वाले इलाकों और सिक्किम, मेघालय व हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों को इससे छूट होगी.  वहां यह सीमा 500 से घटा कर 220 मीटर की गयी है.

कोर्ट ने विभिन्न राज्यों की अर्जियों पर यह आदेश दिया.  प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि हाइवे के पास शराब की दुकानों पर पाबंदी लगाने वाला फैसला बार, पब और रेस्तरां पर भी लागू होगा, क्योंकि शराब पीकर गाड़ी चलाने से जानलेवा सड़क हादसे होते हैं.

नेशनल और स्टेट हाइवे से 500 मीटर दूर तक शराब की दुकानों पर रोक जारी रहेगी या नहीं, अप्रैल की डेडलाइन बढ़ेगी या नहीं? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखा था.

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि फैसले में सुधार की जरूरत है, क्योंकि इससे ‘राज्यों का बजट गड़बड़ा जायेगा.' पर कोर्ट ने उनकी दलील अनसुनी कर दी.

मालूम हो कि गत 15 दिसंबर के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के 500 मीटर केदायरे में एक अप्रैल, 2017 से शराब की दुकानें नहीं होंगी। यह आदेश बार, पब और होटलों पर भी लागू था। साथ ही राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर शराब के दुकानों की मौजूदगी केसंकेतक या बोर्ड लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को अपने फैसले में फेरबदल करते हुए कहा कि वैसे निगम क्षेत्र या शहर जिनकी आबादी 20 हजार या इससे कम हो, वहां 500 मीटर की बजाय 220 मीटर के दायरे में शराब की दुकानें नहीं होंगी।

पीठ ने बार एवं रेस्तरां को किसी तरह का छूट देने से इनकार कर दिया है। पीठ ने कहा कि अगर 15 दिसंबर केआदेश से इन्हें मुक्त रखा जाएगा तो उद्देश्य ही नहीं पूरा होगा। आदेश शराब पीकर वाहन चलाने को रोकने को ध्यान में रखते हुए लिया गया था।

दिसंबर केआदेश में हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों के लिए नए लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी थी। 31 मार्च, 2017 केबाद राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे तक किसी भी शराब के ठेके का लाइसेंस नवीनीकरण पर पाबंदी लगा दी थी।

इस आदेश में भी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बदलाव किए। अब जिनके पास लाइसेंस है वह 30 सिंतबर तक बने रहेंगे। वास्तव में अदालत ने पाया कि सभी राज्य एक अप्रैल से लेकर 30 मार्च के लिए ही लाइसेंस जारी नहीं करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुख को सुनिश्चित करने के लिए कहा है वह योजना तैयार करें जिससे कि निर्देशों का पालन हो सके। पीठ ने कहा कि यह आदेश लाखों लोगों की जिंदगी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

मालूम हो कि कुछ राज्यों समेत कई संगठनों ने याचिका दायर कर 15 दिसंबर के आदेश में बदलाव करने की गुहार की थी।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के वर्ष 2015 के आंकड़े के मुताबिक, देश में हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में हर वर्ष करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है जबकि इससे तिगुनी संख्या में लोग घायल होते हैं। अधिकतर दुर्घटनाओं की वजह शराब पीकर वाहन चलाना है।
 
इस बीच बिहार राज्य में पूर्ण शराबबंदी के एक साल पूरे होने के चार दिन पूर्व प्रदेश में शराब बनानेवाली सभी कंपनियों के लाइसेंस शनिवार को समाप्त हो जायेंगे.

राज्य सरकार ने पहली अप्रैल से किसी भी कंपनी को आगे शराब बनाने के लाइसेंस का नवीकरण नहीं  किया है. इस बाबत शराब बनानेवाली कंपनियों के एसोसिएशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी कंपनियों को दो महीने के अंदर अपने पूर्व के बने स्टाक को खाली करने का निर्देश दिया है.

हालांकि, शराबबंदी पर सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार  इन कंपनियों को सिर्फ एक महीने का ही मोहलत देने के पक्ष में थी.
 
राज्य के प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया कि सरकार किसी भी कंपनी के लाइसेंस का नवीकरण नहीं करने जा रही है, जो भी कंपनियां बिहार में शराब निर्माण कर रही हैं, उन्हें एक महीने के अंदर अपने पूर्व में बने स्टाक को यहां से हटा लेने का आदेश भी दिया है.

इस पर कोर्ट ने आंशिक संशोधन करते हुए कंपनियों को एक और महीने की मोहलत देते हुए दो महीने तक स्टाक खाली करने का आदेश दिया है.
 
उन्होंने देर शाम बताया कि चार अप्रैल तक सभी कंपनियों को राज्य सरकार के समक्ष यह बताना होगा कि उसके पास पूर्व में बने कितने स्टाक जमा है. सरकार एक सप्ताह के भीतर इसकी जांच करायेगी. फिर कंपनियों को इंपोर्ट प्रमाणपत्र दिखाने पर उन्हें दो महीने के अंदर पूरे स्टाक को हटाने की अनुमति दी जायेगी.

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पांच अप्रैल, 2016 से राज्य में पूर्ण रूप से शराबबंदी की थी. साथ ही एक अप्रैल, 2017 से राज्य में पूर्व से चली आ रही शराब कंपनियों के लाइसेंस को नवीकरण करने से भी मना कर दिया है.
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